पटना. फर्जी डिग्रियों के आधार पर राज्य में बड़ी संख्या में शिक्षकों की हुई बहाली के मामले की जांच को लेकर दायर किये गये लोकहित याचिका पर हाइकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई. सरकार और निगरानी की ओर से कोर्ट को बताया की 77 ऐसे शिक्षक हैं जिन का फोल्डर अभी भी नहीं मिल रहा है. यह जानकारी कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को दी गयी.
इसके पहले हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को एक सप्ताह का समय देते हुए यह निर्देश दिया था कि वह एक समय सीमा निर्धारित करें जिसके तहत सभी संबंधित शिक्षक अपना डिग्री व अन्य कागजात संबंधित पदाधिकारी या कार्यालय में प्रस्तुत कर सकें . कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जो भी शिक्षक सरकार द्वारा निर्धारित किए गए तिथि पर अपना कागजात व अन्य प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करेंगे उनके विरुद्ध सरकार द्वारा कार्रवाई की जायेगी. कोर्ट ने इसके पहले इस मामले में सुनवाई करते हुए अब तक की गई कार्रवाई का रिपोर्ट मांगा था.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं. वे वेतन भी उठा रहे है. उन्होने कोर्ट को बताया कि इससे पूर्व कोर्ट ने वर्ष 2014 के एक आदेश में कहा था कि जो इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य सरकार के तहत शिक्षक है उन्हें एक अवसर दिया जाता है कि वे खुद शिक्षक के पद से इस्तीफा दे दें.
कोर्ट ने स्पष्ट किया था की अगर ऐसे शिक्षक अपना पद स्वयं छोड़ देते हैं तो उनके विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जायेगी. इस मामले की सुनवाई के दौरान 26 अगस्त,2019 को याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि इस आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में जाली सर्टिफिकेट के आधार पर कई शिक्षक कार्यरत है और वेतन भी ले रहे है. कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए इस पूरे मामलें को निगरानी विभाग को जांच कर कानूनी कारवाई करने के लिए दे दिया था.
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कुमार ने कोर्ट को बताया की 31 जनवरी, 2020 के सुनवाई दौरान निगरानी विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि राज्य सरकार द्वारा इनके सम्बंधित रिकॉर्ड की जांच कर रही है. अभी भी एक लाख दस हजार से अधिक शिक्षकों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. जांच में यह भी पाया गया है कि 1316 शिक्षक बिना वैध डिग्री के नियुक्त किये गये. कोर्ट ने इस मामलें को काफी गंभीरता से लेते हुए संबंधित विभागीय सचिव से हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था .