पटना. हाइस्कूल और इंटर स्कूलों के शिक्षकों को अध्ययन अवकाश पूरे सेवाकाल में केवल एक बार और केवल एक ही योग्यता में इजाफे के लिए दिया जायेगा. अध्ययन अवकाश उन शिक्षकों को नहीं दिया जायेगा, जिनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई हो और वे निलंबित हुए हों.
विभाग ने अध्ययन अवकाश से जुड़ी गाइडलाइन की औपचारिक अधिसूचना बुधवार को जारी की. इसमें अध्ययन अवकाश के लिए पात्रता की शर्तें तय की गयी हैं.
शर्तों के मुताबिक अध्ययन अवकाश के लिए शिक्षक और पुस्कालयाध्यक्ष की सेवा कम-से-कम तीन साल जरूर होनी चाहिए. साथ ही उनके प्रमाणपत्र जांच में वैध पाये गये हों.
अवकाश के आवेदन के समय शिक्षक ने वेतन पा लिया हो या उसे वेतन की पात्रता हासिल होनी चाहिए. अध्ययन अवकाश उन्हीं माध्यमिक शिक्षकों को उन्हीं विषयों में स्नातकोत्तर या पीएचडी करने के लिए मिलेगा, जिस विषय को वह स्कूल में पढ़ाते हों.
इन्हीं शर्तों के अनुसार इंटर स्कूलों के शिक्षकों को पीएचडी के लिए यह अवकाश मिलेगा. इसके अलावा हाइस्कूल और इंटर स्कूलों के शिक्षकों को शिक्षा में स्नातकोत्तर या एमएड और पुस्तकालयाध्यक्षों को एमलिब या स्नातकोत्तर करने के लिए अवकाश दिया जायेगा.
खास यह कि किसी भी शिक्षक को बीएड के लिए अध्ययन अवकाश नहीं दिया जायेगा. साथ ही शिक्षकों को इस अध्ययन अवकाश के बाद उतनी ही अवधि तक सेवा अवश्य देनी होगी. यह सेवा एक वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए. इसके बाद ही किसी अन्य सेवा में जाने के आवेदन पर विचार किया जायेगा.
शिक्षा विभाग के उपसचिव अरशद फिरोज के नाम से जारी की गयी अधिसूचना में बताया गया है कि 2020 में प्रकाशित नियमावली में यह पहले ही निर्धारित किया जा चुका है कि अध्ययन अवकाश को सेवा में टूट नहीं माना जायेगा.
यह अवकाश प्रधानाध्यापक को भी देय होगा. अधिसूचना में साफ कर दिया गया है कि यह कार्यपालक अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि अध्ययन अवकाश से विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी.
Posted by Ashish Jha