बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ ने कहा कि बिहार के विद्यालयों में बीपीएससी के माध्यम से होने वाली शिक्षकों की बहाली में स्थानीय नीति हटने से बिहार के युवाओं को काफी नुकसान होगा. चार सालों से शिक्षक बहाली के लिए परेशान शिक्षक अभ्यर्थियों पर स्थानीय नीति हटाकर पूरे देश के अभ्यर्थियों की बहाली करना शिक्षक अभ्यर्थियों को मानसिक प्रताड़ना देने जैसा फैसला है, जिसकी जितनी निंदा की जाये, कम होगा.
संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने कहा कि जहां दूसरे राज्यों ने बिहार के युवाओं के लिए नौकरी के दरवाजे बंद कर दिये हैं, वहीं बिहार में भी स्थानीय नीति हटने से दूसरे राज्यों के बच्चे नौकरी करेंगे, ऐसे में बिहार के बेरोजगार युवा कहां जायेंगे.
बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव एवं नितेश पांडे ने सरकार से स्थानीय नीति हटाने के फैसले को वापस लेने की मांग की है. उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि दो दिनों के अंदर सरकार स्थानीय नीति को हटाने के फैसले वापस नहीं लेती, तो पूरे राज्य में शिक्षक अभ्यर्थियों द्वारा चक्का जाम किया जायेगा. संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष मीकू पाल तथा अनीश सिंह ने कहा कि डोमिसाइल नीति हटाना सरकार की युवा विरोधी मानसिकता का परिचायक है.
टीइटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि नया आदेश पारित करके बिहार के लाखों टेट, एसटेट उत्तीर्ण शिक्षित बेरोजगार के भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का कार्य किया है. छात्र नेता सौरभ कुमार सिंह ने कहा कि बिहार के बाहर के लोगों को नौकरी में अवसर देना छात्रों और युवाओं के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है.
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आइसा ने भी इसका विरोध किया है. आइसा ने कहा है कि शिक्षक बहाली में स्थानीयता लागू करनी चाहिए. देश के 14 राज्यों में शिक्षक बहाली में स्थानीयता लागू है, लेकिन बिहार सरकार ने अध्यापक नियुक्त नियमावली में स्थानीयता को समाप्त कर दिया है. आइसा राज्य अध्यक्ष विकाश यादव व सचिव साबिर ने संयुक्त रूप से कहा कि शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल को हटाना दुर्भाग्यपूर्ण है. बाकी राज्यों के तर्ज पर स्थानीयता को लागू होना चाहिए.