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Opinion Poll, बिहार चुनाव में क्या हैं बड़े मुद्दे, क्या होगी अगली रणनीति, पढ़िये तेजस्वी यादव से EXCLUSIVE बात

Bihar Election 2020, Tejashwi Yadav : महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरा तेजस्वी यादव की सभाओं में इन दिनों भारी भीड़ जुट रही है. तेजस्वी ने युवाओं को फोकस करते हुए सरकार बनने पर पहली कैबिनेट में 10 लाख सरकारी नौकरी का आदेश जारी करने की घोषणा कर चुके हैं. अपनी हर चुनावी सभा में तेजस्वी युवाओं से समर्थन मांग रहे हैं.

Bihar Election 2020, Tejashwi Yadav: बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरा तेजस्वी यादव की सभाओं में इन दिनों भारी भीड़ जुट रही है. तेजस्वी ने युवाओं को फोकस करते हुए सरकार बनने पर पहली कैबिनेट में 10 लाख सरकारी नौकरी का आदेश जारी करने की घोषणा कर चुके हैं. अपनी हर चुनावी सभा में तेजस्वी युवाओं से समर्थन मांग रहे हैं.

सरकारी और स्थायी नौकरी के वादे युवाओं से लेकर बुजुर्गों को लुभा रहे हैं. 31 साल के तेजस्वी मौजूदा सरकार पर हमला कर रहे हैं. पूर्ण बहुमत की सरकार का दावा करने वाले तेजस्वी हंग असेंबली की बात को खारिज करते हैं. प्रभात खबर के राज्य ब्यूरो प्रमुख मिथिलेश और वरीय संवाददाता राजदेव पांडेय ने उनसे बातचीत की.

आपने सरकार बनने की स्थिति में पहली कैबिनेट से 10 लाख युवाओं को नौकरी देने का आदेश जारी करने की बात कही है, कैसे करेंगे?

देखिए. इसका जवाब बहुत साधारण है. बिहार में साढ़े चार लाख पद खाली हैं. इसके अलावा नीति आयोग ने आबादी के अनुरूप पदों के सृजन और नियुक्ति की बात कही है. इससे करीब साढ़े पांच लाख पद नये सृजित किये जायेंगे. कुल मिला कर दस लाख पदों को अपनी कलम से पहली कैबिनेट में आदेश जारी करेंगे.

वित्त मंत्री कह रहे हैं कि 58 हजार करोड़ रुपये कहां से आयेंगे. मैं कह रहा हूं कि राज्य सरकार का अभी का बजट दो लाख करोड़ से अधिक का है. इसकी कुल राशि खर्च भी नहीं होती है. करीब चालीस प्रतिशत राशि यानी अस्सी हजार करोड़ रुपये, तो यों ही बच जाते हैं. इन पैसे का उपयोग करेंगे. जब तक कर्मचारी, सिपाही, दारोगा, डाॅक्टर, नर्स नहीं होंगे, तो लोगों का काम कैसे होगा. इसे तो करना ही है.

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आप चिराग पासवान के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे, क्या उनसे राजनीतिक दोस्ती हुई है?

चिराग पासवान (Chirag paswan) तो अभी भाजपा गठबंधन के साथ हैं. चिराग ने खुद ही कहा है कि वह पोस्ट पोल अलायंस नहीं करते. इस बार भी नहीं करेंगे, तो सवाल कहां पैदा होता है. फायदा नुकसान मैं नहीं देखता. वे भाजपा के साथ हैं, हम हाथ खींच कर तो नहीं ला सकते हैं.

चुनाव बाद यदि हंग असेंबली यानी किसी भी दल को बहुमत नहीं मिले, तो क्या 2015 की महागठबंधन वाली स्थिति बन सकती है ?

हंग असेंबली का तो सवाल ही नहीं है. आइ कैन नाॅट टाॅक टू नंबर, आइ गेन कम्फरटेबल मैजूरिटी. मैं सीटों की संख्या की बात नहीं कर रहा, मैं पूर्ण बहुमत की बात कर रहा हूं. पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी. जहां तक नीतीश कुमार या जदयू की बात है, तो वह तो भाजपा के साथ हैं. उनका सपोर्ट, तो तभी न लेंगे जब वो भाजपा छोड़ कर आयेंगे. सरकार के खिलाफ गुस्सा है. हंग भी आयेगा, तो वह सरकार के खिलाफ गुस्सा ही न होगा.

एनडीए का सीधा आरोप है कि राजद के साथ एक बार फिर वाम उग्रवाद पनप रहा है ?

ये लोग गरीब, मजदूर और छोेटे किसान लोग हैं. इन पर आरोप लगाना गलत है. भाजपा और जदयू तो कह रही थी कि हमने खत्म कर दिया, जबकि बिहार में वाम उग्रवाद तो 2000 के पहले ही खत्म हो चुका था.

आपकी सरकार बनी, तो शराबबंदी लागू रहेगी या कोई संशोधन होगा ?

हम पूर्ण नशाबंदी के पक्षधर हैं. विधि विशेषज्ञों से बात करेंगे. राय- विचार लेकर ही फैसला होगा. लेकिन, एक बात बता देते हैं, हम पूरी तरह इसके पक्षधर हैं. सरकार इस पर पूरी तरह अमल नहीं कर रही है. जब कोई कानून बनता है, तो इसका पालन किस प्रकार हो, इसका रोडमैप सरकार बनाती है. यहां ऐसा कुछ भी नहीं है. सरकार इससे पांच हजार करोड़ का नुकसान की बात कह रही है. जबकि, ब्लैक मार्केट 10 हजार करोड़ का हो चुका है. बिहार का पैसा नेपाल जा रहा, यूपी जा रहा, झारखंड जा रहा और बंगाल जा रहा है. यह ताे सरकार की जिम्मेदारी थी न, इसे रोकने की. भाजपा ने तो पूर्ण नशाबंदी का विरोध किया था. नशा की दूसरी चीजें भी बंद होनी चाहिए.

आप खिलाड़ी भी रहे हैं. युवाओं खासकर खेल नीति को लेकर आपके पास क्या रूपरेखा है ?

हमारी सरकार बनी ताे एक कम्पलीट खेल नीति हम लायेंगे. पंजाब व हरियाणा या फिर इससे भी बेहतर खेल नीति बिहार के लिए लायी जायेगी. इसमें खिलाड़ियाें के लिए रहने, उनके लिए पौष्टिक भोजन, ट्रेनर और किट व बेहतर माहौल का इंतजाम किया जायेगा. जब हम उपमुख्यमंत्री थे, उस समय भी हमने मुख्यमंत्री को मोइनुलहक स्टेडियम को लेकर कई सलाहें दी थीं. इसे बीसीसीआइ को दिये जाने का मेरा सुझाव था. इससे मैच भी होते और उसका रखरखाव भी होता. अभी तो वहां सिपाही रह रहे हैं. सरकार मेरी बातों को पूरी तरह टालती रही. युवाओं पर कोई फोकस नहीं रहा.

आपमें अनुभव की कमी कही जा रही है ?

मुझे पचास साल का अनुभव है. मैं बचपन से ही राजनीतिक जागरूक रहा हूं. पांच साल में एक विधायक के रूप में, उपमुख्यमंत्री के रूप में और नेता विपक्ष के रूप में काम कर रहा हृूं. उनके आरोप पर ही बात करें तो मैं अकेला और मेरे पीछे विश्व की साबसे बड़ी पार्टी के 20-20 हेलीकाॅप्टर घूम रहे हैं. प्रधानमंत्री भी आने वाले हैं, उनके अलावा केंद्रीय मंत्रियों की फौज घूम रही है. भाजपा में तो एक मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा तक नहीं है.

10 लाख सरकारी नौकरी की बात आप कर रहे हैं, लेकिन कृषि और उद्योग लगाने की बात आप नहीं कर रहे हैं ?

हमारी सरकार बनी, तो फूड प्रोसेसिंग यूनिटें लगायी जायेंगी. इसके लिए पूरा रोडमैप तैयार किया जायेगा. हमारे विधानसभा क्षेत्र राघोपुर मेंं केला की खेती होती है. इससे कितनी चीजें बन सकती हैं. कभी सरकार ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया. मक्का, ईख, लीची और मखाना से संबंधित यूनिटें लगायी जायेंगी. बिहार सरकार ने बिहार फाउंडेशन बनाया है, जिसका कोई काम नहीं है. कोई काम नहीं कर रहा है

आज तक कितने निवेशक सम्मिट कराये गये. जब हम सरकार में थे, महागठबंधन की सरकार ने ही सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया था. सरकार की पर्यटन नीतियां गड़बड़ हैं, इसके कारण पर्यटक नहीं आ रहे. हमारी सरकार इसमें पूरी तरह बदलाव करेगी.

कांग्रेस को 70 सीटें दी गयीं, क्या वह महागठबंधन पर बोझ नहीं लग रहा ?

ऐसा नहीं है. हमारा पुराना अलायंस है. हम राहुल गांधी के साथ 23 अक्तूबर को एक मंच से प्रचार करेंगे. प्रियंका गांधी का भी प्रोग्राम होगा. हम साथ हैं.

सीपीआइ नेता कन्हैया के साथ भी मंच साझा करेंगे?

हां, ऐसी योजना है.

बाढ़ की समस्या बिहार की विकराल है, आप क्या समझते हैं, कैसे दूर होगी?

यह बिहार और संपूर्ण पूर्वांचल की समस्या है. यह ऐसी समस्या है जिसमें राज्य सरकार अकेले कुछ भी नहीं कर सकती. इसके लिए केंद्र सरकार को पहल करनी होगी. नेपाल से बात करनी होगी. केंद्र सरकार के रिश्ते नेपाल के साथ खराब हो रहे हैं. जब प्रधानमंत्री जी नेपाल गये, तो क्यों नहीं मुख्यमंत्री दिल्ली गये. उन्हें कहना चाहिए था कि मुझे भी ले चलिए, बिहार को बाढ़ से निजात दिलाने के लिए बात करनी है. पर ऐसा नहीं हुआ. पानी के बिहार आने से रोकने के लिए केंद्र को ध्यान केंद्रित करना होगा.

राजद पर माय समीकरण का आरोप लगता रहा है. इसी समीकरण की दूसरी पार्टियां भी मैदान में है, आप क्या सोचते हैं?

जनता जानती है, कौन वोटकटवा है और कौन पार्टी चुनाव जीत रही है. दिल्ली, झारखंड और कई राज्यों में इस तरह के लोग चुनाव मैदान में रहे, पर नतीजा क्या निकला. यह राजद पर आरोप है कि माय समीकरण के आधार पर वह राजनीति करता आ रहा है. 1990 से लेकर 2005 तक की हमारी सरकार को देखिए, क्या सिर्फ यही समीकरण के लोग सरकार में थे. लालू जी ने जितना प्रतिनिधित्व अपर कास्ट और अतिपिछड़ी जातियों को दिया, उतनी मौजूदा सरकार में भी नहीं है. हम किसी खास वर्ग के विरोधी नहीं रहे. इस बार भी टिकट सभी वर्गों को दिया है. जहां तक दूसरी पार्टिंयों की बात है, तो चुनाव लड़ने से किसी को कोई रोक सकता है क्या. सबको लोकतंत्र में चुनाव लड़ने का अधिकार है.

इस बार परिवार के लोग चुनाव मैदान में नहीं दिखते?

कुछ लोग पर्दे के पीछे होते हैं और कुछ लोग सामने हैं. जो सामने नहीं हैं, वो पर्दे के पीछे हैं. माता जी की तबीयत ठीक नहीं रहती. कोरोना भी है, उनकी उम्र भी है. इसलिए वो घर में हैं. बड़े भाई चुनाव मैदान में हैं.

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चुनाव सर्वेक्षण में महागठबंधन को पीछे दिखाया जा रहा है ?

देखिए, जमीनी हकीकत कुछ और है. भाजपा की पूरी टीम है. प्रधानमंत्री हैं, अमित शाह जी हैं, मुख्यमंत्री हैं. चुनाव के लिए सब हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान कोई नहीं थे. इसलिए सारे लोग गुस्से में हैं, सरकार के खिलाफ हैं.

यहां का पैसा दूसरे राज्यों में जा रहा है

ब्लैक मार्केट 10 हजार करोड़ का हो चुका है. बिहार का पैसा नेपाल जा रहा, यूपी जा रहा, झारखंड जा रहा और बंगाल जा रहा है. यह ताे सरकार की जिम्मेदारी थी न, इसे रोकने की. भाजपा ने तो पूर्ण नशाबंदी का विरोध किया था. नशा की दूसरी चीजें भी बंद होनी चाहिए.

आइ कैन

  • नाॅट टाॅक टू नंबर, आइ गेन कम्फरटेबल मैजूरिटी

  • मैं बचपन से ही राजनीतिक जागरूक रहा हूं

Posted By : Sumit Kumar Verma

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