बिहारशरीफ (नालंदा) .नवजात शिशु और नाबालिग मां के हित को देखते हुए कोर्ट ने नाबालिग लड़का और लड़की की शादी को मान्यता दे दी है.
नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा ने दो साल से मुकदमे की सुनवाई के बाद आरोपित किशोर को दोषमुक्त कर दिया और मुकदमे से संबंधित जांच को बंद कर दिया.
दंडाधिकारी मिश्रा ने फैसले में आरोपित किशोर को ही नवजात शिशु और नाबालिग मां बनी पत्नी को पालन और संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी है.
साथ ही कोर्ट ने नवजात शिशु और मां के पालन-संरक्षण की सही देखरेख के लिए परिवीक्षा पदाधिकारी और बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी को दो साल तक हर छह माह पर इनकी स्थिति की जांच कर कोर्ट में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. अंतरजातीय विवाह के कारण दोनों नाबालिगों के परिवार उन्हें रखने के लिए तैयार नहीं हैं.
जज ने कहा कि सवाल किशोर के दोष का नहीं है. वह तो दंडनीय अपराध कर चुका है, लेकिन सवाल नाबालिग मां व शिशु के संरक्षण का है. यदि आरोपित को सजा के तौर पर जेल दिया जाता है, तो किशोरी व बच्चे की जिंदगी खतरे में पड़ जायेगी. हालांकि, आरोपित अभी 19 साल का ही है और एक बच्चे का पिता है.
अंत: दोनों के बेहतर संरक्षण व जीवन के लिए किशोर को दोषमुक्त करना ही सर्वोत्तम न्याय है, क्योंकि अंतरजातीय विवाह के कारण लड़की के पिता अपनाने से इन्कार कर रहे हैं. जज ने अभिभावकों को भी यह निर्देश दिया है कि वे दोनों के संरक्षण व जरूरतों की पूर्ति करें.
नूरसराय थाना क्षेत्र के राजेश कुमार ने दो अप्रैल, 2019 को नूरसराय के ही एक किशोर पर अपनी नाबालिग बेटी को भगाने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी थी. हालांकि, इस मामले में 13 अगस्त, 2019 को किशोरी ने स्वयं न्यायालय में उपस्थित होकर बयान दर्ज कराया था. उसने अपने बयान में कहा था कि माता-पिता दूसरी जगह शादी कराना चाहते थे, इसलिए भागकर आरोपित के साथ शादी कर ली है. लेकिन, इस मामले में कोर्ट ने आरोपित किशोर को दोषी मान लिया.
Posted by Ashish Jha