पटना. राज्य के छह जिले नक्सलमुक्त होने के बाद अब वहां पैरामिलिट्री फोर्स की संख्या कम की जायेगी. बटालियन की संख्या घटाने के साथ और गृह मंत्रालय का सुरक्षा संबंधी खर्च (एसआरइ) स्कीम को उन जिलों से समाप्त किया जायेगा. इसके अलावा इन जिलों तैनात पैरामिलिट्री के एएसपी (ऑपरेशन ) के पद को समाप्त किया जायेगा.
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय की नयी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अब औरंगाबाद, बांका, गया, जमुई, कैमूर, लखीसराय, मुंगेर, नवादा, रोहतास और पश्चिमी चंपारण नक्सलवाद से प्रभावित रह गये हैं,जबकि अरवल, पूर्वी चंपारण, जहानाबाद, मुजफ्फरपुर, वैशाली और नालंदा को इससे मुक्त घोषित कर दिया गया है.
सीआरपीएफ व एसएसबी करती है कार्रवाई : बिहार के नक्सल प्रभावित जिलों में सीआरपीएफ, एसएसबी और कोबरा की बटालिन की ओर से ऑपरेशन किया जाता है.
राज्य के अधिकतर नक्सल प्रभावित जिलों में सीआरपीएफ की फोर्स तैनात है, जबकि गया, जमुई, मुजफ्फरपुर आदि जिलों में एसएसबी के जवान भी एनटी नक्सल ऑपरेशन का काम कर रहे हैं. गृह मंत्रालय की ओर से एसएसबी को बिहार-नेपाल बॉर्डर के अलावा नक्सल प्रभावित जिलों में लगाया गया है.
राज्य में गया, जमुई और लखीसराय अति नक्सल प्रभावित जिले हैं. यहां सबसे अधिक पैराफोर्स के जवानों को तैनात किया गया है. गया में सबसे अधसिक सीआरपीएफ, कोबरा व एसएसबी की बटालियन तैनात हैं.
जमुई में छह टीमें केवल सीआरपीएफ की ऑपरेशन पर रहती हैं. गौरतलब है कि एक बटालियन में सात सौ के लगभग फाइटिंग स्ट्रेंथ रहता है. इसके अलावा अन्य स्टॉफ होते हैं.
Posted by Ashish Jha