दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएमआरसी) ने पटना मेट्रो की भूमिगत सुरंग के लिए टनल रिंग सेगमेंट के पहले बैच को ढालना शुरू कर दिया है. स्टील रीइन्फोर्समेंट केज में कंक्रीट सेट के छोटे-छोटे खंडों से तैयार इस टनल रिंग का उपयोग सुरंग की स्थायी परत बनाने के लिए किया जाता है. डीएमआरसी के मुताबिक मार्च, 2023 से मेट्रो सुरंग का निर्माण शुरू कर दिया जायेगा, जिसे 30 महीने यानी सितंबर, 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
डीएमआरसी के मुताबिक आकाशवाणी से मोइनुल हक स्टेडियम तक का भाग पटना मेट्रो परियोजना के लिए निर्मित होने वाली भूमिगत सुरंग का पहला हिस्सा होगा. इस बीच गांधी मैदान, पीएमसीएच और पटना विवि भूमिगत स्टेशन भी रहेंगे. इस रूट की कुल लंबाई 7.78 किमी है. टनल बोरिंग मशीन मोइनुल हक स्टेडियम से शुरू होकर पटना विवि और फिर आगे के स्टेशनों तक दो चरणों में काम करेगा. अधिकारियों द्वारा किये गये सर्वेक्षण के अनुसार सुरंग को जमीन से 15-20 मीटर नीचे बनाया जायेगा.
मेट्रो अधिकारियों ने बताया कि टनल रिंग भूमिगत सुरंगों के लिए एक प्रीकास्ट सेगमेंट लाइनिंग है, जो संरचना और ताकत देती है. जब टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) का उपयोग जमीन के नीचे खुदाई के लिए किया जाता है, तो स्टील रीइन्फोर्समेंट केज में कंक्रीट सेट के छोटे खंडों का उपयोग सुरंग की स्थायी परत बनाने के लिए किया जाता है. प्रत्येक टनल रिंग छह खंडों को एक साथ जोड़ कर व्यवस्था को लॉक करके पूरा किया जाता है. यह टनल बोरिंग मशीन को आगे बढ़ने में मदद भी करता है.
जब सुरंग की दीवार स्थापित की जाती है, तो यह सुनिश्चित किया जाता है कि यह भूमिगत जल के दबाव को रोक सके. साथ ही भूकंप और औद्योगिक कंपन से स्थिरता दे सके. यह सुनिश्चित करता है कि आंतरिक या बाहरी दबाव का सामना करने पर सुरंग पर्याप्त रूप से मजबूत हो. जमीन के ऊपरी बुनियादी ढांचे को किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचाये बगैर भूमिगत सुरंग की खुदाई व टनल रिंग को स्थापित करने का काम पूरा होगा. इससे इन भीड़-भाड़ और प्रतिबंधित क्षेत्रों में किसी प्रकार की बाधा भी नहीं होगी.