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पटना संग्रहालय में बना अनोखा ऑडियो-वीडियो सेक्शन, आचार्य चाणक्य से पूछिए सवाल, बतायेंगे बिहार का इतिहास

पटना संग्रहालय अब नयी तकनीक का उपयोग कर लोगों को बिहार के गौरवशाली इतिहास से अवगत करवायेगा. इनमें सबसे खास बात नयी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आचार्य चाणक्य का होलोग्राम होगा, जो कि सवाल पूछने पर जवाब देगा. यह अब तक किसी संग्रहालय में नहीं है. यह खास से तौर से पटना संग्रहालय में होगा.

पटना. पटना संग्रहालय अब नयी तकनीक का उपयोग कर लोगों को बिहार के गौरवशाली इतिहास से अवगत करवायेगा. ऑडियो और वीडियो के माध्यम से दर्शक इतिहास के अलग-अलग काल को जान पायेंगे. 158 करोड़ रुपये की लागत से बन रही बिल्डिंग का काम पूरा हो चुका है. इसका निरीक्षण कला संस्कृति युवा विभाग की ओर से किया जा चुका है. संग्रहालय में कुल छह गैलरियां हैं, जो गंगा की कहानी से लेकर पटालिपुत्र के सामाजिक ताने-बाने को बतायेंगी. अभी फिलहाल पटना संग्रहालय को कुछ महीने के लिए बंद किया गया है.

यह तकनीक अब तक किसी संग्रहालय में नहीं

नयी बिल्डिंग तैयार है. पुरानी बिल्डिंग के स्वरूप में बदलाव नहीं किया गया है. दोनों को बिल्डिंग को इस तरह से तैयार किया गया है कि आने वाले समय में यह पटना संग्रहालय का हिस्सा लगे. इनमें सबसे खास बात नयी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आचार्य चाणक्य का होलोग्राम होगा, जो कि सवाल पूछने पर जवाब देगा. यह अब तक किसी संग्रहालय में नहीं है. यह खास से तौर से पटना संग्रहालय में होगा.

इंटरएक्टिव स्क्रीन के जरिये संग्रहालय के इतिहास को समझने में होगी सहूलियत

संग्रहालय की प्राकृतिक दीर्घा, राहुल सांकृत्यायन दीर्घा, धातु कला दीर्घा, बुध अस्थि कला दीर्घा समेत अन्य दीर्घाओं नें रखी कलाकृतियां, पुरावशेष के डिसप्ले के जरिये लोगों को दिखाया जायेगा. संग्रहालय के बेहतर करीके से इतिहास को समझाने के लिए इंटरएक्टिव स्क्रीन लगायी जायेगी जिस पर हर कलाकृति के बारे में विस्तार से बताया जायेगा.

तिब्बत से लायी गयी पांडुलिपियों का अनुवाद हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में हो रहा

पटना संग्रहालय की दुर्लभ पांडुलिपियों और कलाकृतियों के संरक्षण का कार्य फिर से शुरू हो गया है.संग्रहालय में संरक्षण का कार्य एनआरएलसी (राष्ट्रीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण अनुसंधानशाला) लखनऊ की टीम कर रही है. इन्हें संग्रहालय की कुल 66 वस्तुओं के संरक्षण का कार्य दिया गया है. तिब्बती अध्ययन के केंद्रीय विश्वविद्यालय, सारनाथ में राहुल सांस्कृत्यान की लायी हुई पांडुलिपियों का अनुवाद चल रहा है.

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पांडुलिपियों के 1500 फोलियो का संरक्षण होगा

राहुल द्वारा तिब्बत से लायी गयी पांडुलिपियों और विभिन्न तरह के गंथ्रों की भाषा प्रकृत और तिब्बतियन हैं, जिसका अनुवाद हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में किया जा रहा है. तिब्बती अध्ययन के केंद्रीय विश्वविद्यालय को इसकी डिजिटल कॉपियां भेजी जा चुकी हैं. इन पांडुलिपियों के 1500 फोलियो का संरक्षण होगा, इसमें से कुछ पांडुलिपियों सोने और चांदी की स्याही से लिखी हुई है. इसके संरक्षण में टीम लगी हुई है.

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