बिहार के 22 जिलों के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सेवाओं के सुधार को लेकर आयोजित बैठक में निर्देश दिया गया कि सभी अस्पतालों में ऐसी व्यवस्था हो कि गरीब मरीजों के इलाज का खर्च कम हो. इसके लिए सरकार द्वारा स्वीकृत की गयी राशि का पूरा खर्च कर सेवाओं की गुणवत्ता बहाल की जाये. इसमें शहरी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को न सिर्फ चिकित्सकों का परामर्श मिले, बल्कि वहां पर खून जांच, एक्स-रे जांच व पैथोलॉजी संबंधित सभी प्रकार के जांच उपलब्ध हो.
सरकार द्वारा अनुमोदित बजट का पूरा इस्तेमाल करना आवश्यक
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत 22 जिलों की हुई समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन मोहम्मद मसूद आलम ने कहा कि सरकार द्वारा अनुमोदित बजट का पूरा इस्तेमाल करना आवश्यक है. राशि का पूरा इस्तेमाल नहीं होने से आगे की प्रस्तावित योजनाओं को पूरा करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. शहरी स्वास्थ्य केंद्रों में किये गये इलाज का अनुसरण ग्रामीण स्तर में भी दिखता है. मॉडल टीकाकरण केंद्र तथा कोरोना संक्रमण के समय संचालित टीका एक्सप्रेस इसका एक सशक्त उदाहरण है.
इन जिलों की हुई समीक्षा
राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य बिहार के सभी शहरी स्वास्थ्य कार्यक्रम वाले 22 जिलों को शहरी स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन सेवाओं को सुदॄढ़ किया जाना है. कार्यक्रम में राज्य के पटना, बक्सर, भोजपुर, नालंदा, नवादा, रोहतास, सारण, सिवान, भागलपुर, गया, औरंगाबाद, बेगूसराय, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, जहानाबाद, कटिहार, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, पुर्णिया, सहरसा, वैशाली एवं पश्चिमी चंपारण जिलों की समीक्षा की गयी.
कार्यक्रम में इन संगठनों के लोग थे शामिल
कार्यक्रम में राज्य वित्त प्रबंधक नयन कुमार, राज्य टीम लीडर- आशा प्रोसेस प्रणय कुमार, डॉ संजीव कुमार बेलवाल, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी मुरादाबाद (मास्टरकोच-मुरादाबाद,) सहित अन्य पार्टनर संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे.