Bihar News: मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी यूनिवर्सिटी (एमएमएचएपीयू) में आधे से अधिक कर्मचारियों को इंटरनल फंड (आंतरिक स्रोत) से सैलरी दी जा रही थी. कुल 40 कर्मियों की बहाली 2015 में की गयी थी. उसके बाद से ही इनकी नियुक्त पर विवाद चल रहा है. शिक्षा विभाग के अनुसार नियुक्ति में जो प्रक्रिया अपनायी गयी, वह सही नहीं थी. रोस्टर का उसमे ध्यान नहीं रखा गया. साथ ही बहाली प्रशाखा पदाधिकारी के पद पर होनी थी, लेकिन उसकी जगह असिस्टेट के पद पर बहाल कर लिया गया. इस वजह से सरकार ऐसे कर्मियों की नौकरी को पुख्ता नहीं मान रही है.
यही वजह है कि शिक्षा विभाग ने इन कर्मचारियों की सैलरी को कुछ समय बाद से ही रोक दिया और अब तक रोक कर रखा है. 40 में तीन कर्मचारी छोड़कर चले गये थे. बाकी सभी की प्रक्रिया पर सवाल उठे थे. 5 कर्मचारी न्यायालय से जीत कर आये, उनकी सैलरी सरकार दे रही थी. पहले 40 में 32 कर्मियों की सैलरी सरकार ने शुरू की. बाद में 22 की सैलरी दी जाने लगी, फिर 13 कर्मियों की और इसके बाद सिर्फ सात की सैलरी सरकार देने लगी. हालांकि इधर कुछ महीनों से सरकार किसी भी कर्मचारी की सैलरी नही दे रही है.
कुलपति ने रोकी सैलरी
विवि के कुलपति प्रो मो कुदस ने इंटरनल फंड से सैलरी रोक दी है. अब कुलपति इस संबंध में मुख्यमंत्री, राजभवन व शिक्षा मंत्री को पत्र लिखने जा रहे है. कुलपति के अनुसार जो सरकार व राजभवन का निर्देश होगा, उसके अनुसार ही वे कार्य करेंगे. अब तक 6 करोड़ रुपये वेतन मद में दिये जा चुके है. इसके अलावा विवि में 23 कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मियों को भी इंटरनल फंड से राशि दी जाती है. इस संबंध में कुलपति का कहना है कि इनकी नियुक्ति का क्या आधार है और कैसे हुई इसका भी कुछ पता नहीं है.
इनपुट- अमित कुमार
Posted by: Radheshyam Kushwaha