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बिहार में अब पशुपालकों को मोबाइल से सलाह देंगे डॉक्टर, 1333 पशु चिकित्सा पदाधिकारियों को मिलेगा मोबाइल

मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से 1.99 करोड़ रुपया 1333 पशु चिकित्सा पदाधिकारियों को मोबाइल व सिम कार्ड देने के लिए स्वीकृत किया गया है. पदाधिकारी इस मोबाइल से पशुपालकों को सलाह देने के साथ दवा भंडारण व इलाज की भी मॉनिटरिंग कर सकेंगे.

मनोज कुमार, पटना. बिहार के कुल 1333 पशु चिकित्सा पदाधिकारियों को पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से मोबाइल दिया जायेगा. इस मोबाइल से पशु चिकित्सा पदाधिकारी पशुपालकों को चिकित्सकीय सलाह देंगे. मोबाइल के साथ क्लोजड यूजर ग्रुप सिम कार्ड भी मिलेगा. यह सिम कार्ड स्थायी होगा.

तबादले पर भी नहीं बदलेगा नंबर

पशु चिकित्सकों के स्थानांतरण या किसी कारण से निर्धारित क्षेत्र से कहीं और जाने पर भी नंबर नहीं बदलेगा. तबादले व अन्य स्थिति में पशु चिकित्सा पदाधिकारी नये पदाधिकारी को सिम कार्ड सौंप कर जायेंगे. रिटायर होने पर अपने नियंत्री पदाधिकारी को मोबाइल व सिम सौंपना होगा.

मत्स्य संसाधन विभाग ने 1.99 करोड़ रुपया किया स्वीकृत

इसे लेकर शुक्रवार को मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से 1.99 करोड़ रुपया स्वीकृत किया गया है. एक पशुपालन पदाधिकारी अधिकतम 15 हजार रुपये का मोबाइल खरीद सकते हैं. पूर्व से पशु चिकित्सा पदाधिकारियों को दो सौ रुपये रिचार्ज कूपन के लिए मिलते हैं. इसी दो सौ रुपये का वे इस सिम में रिचार्ज कराने में उपयोग करेंगे. सात निश्चय-2 के तहत यह योजना क्रियान्वित की जायेगी.

इसी मोबाइल से होगी दवा व इलाज की मॉनीटरिंग

पशुओं की चिकित्सा, बधियाकरण, कृत्रिम गर्भाधान आदि को लेकर पशु चिकित्सकों को पशुपालकों को संपर्क में रहना पड़ता है. वर्तमान में पशु चिकित्सक निजी मोबाइल से ये सभी कार्य करते हैं. उनके स्थानांतरण या प्रतिनियुक्ति से पशुपालकों को नये पदाधिकारी का नंबर प्राप्त करने में परेशानी का सामना करना पड़ता था. मोबाइल नंबर नहीं बदलने से उनकी यह समस्या समाप्त हो जायेगी. दवा भंडारण व इलाज की भी इसी मोबाइल से मॉनीटरिंग की जायेगी.

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राज्य में 3.64 करोड़ पशु व 1.65 करोड़ कुक्कुट

राज्य में 3.64 करोड़ पशु व 1.65 करोड़ कुक्कुट हैं. इनमें गाय 1.54 करोड़, भैंस 77.19, बकरी 1.28, सूअर 3.43, घोड़ा 32.17 हजार, खच्चर, 1.49 हजार, गदहा 11.26 हजार, भेड़ 2.13 लाख तथा ऊंट मात्र 88 हैं. इन सभी के इलाज की जिम्मेदारी पशु चिकित्सा पदाधिकारियों पर है.

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