पटना: राज्य में हत्या की जितनी भी वारदातें होती हैं, उनमें करीब 40 फीसदी मामलों में लाइसेंसी हथियारों का उपयोग होता है. इसके अलावा वर्चस्व को लेकर होने वाली फायरिंग में भी लाइसेंसी हथियार का इस्तेमाल बड़ी संख्या में हो रहा है. हत्या की वारदातों को लेकर पुलिस महकमा और गृह विभाग की आंतरिक समीक्षा में यह बात सामने आयी है. जिला स्तर पर भी इस तरह का आकलन किया गया है.
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इसे देखते हुए राज्य में निजी हथियारों को नियंत्रित करने और इनकी सतत मॉनीटरिंग की कवायद तेज कर दी गयी है. खासकर आरा, बक्सर, गोपालगंज, सारण, रोहतास व मुंगेर समेत ऐसे अन्य जिलों में, जहां लाइसेंसी हथियारों की संख्या अन्य जिलों की तुलना में अधिक है. जिन जिलों में लाइसेंसी हथियारों की संख्या ज्यादा है, वहां हत्या की वारदातों में इनका उपयोग भी ज्यादा होता है.
हाल में गृह विभाग के स्तर से लाइसेंसी हथियारों की सतत जांच करने का निर्देश भी दिया गया है. इसमें अगर किसी व्यक्ति के नाम पर दो या इससे ज्यादा लाइसेंस हैं, तो उसकी जांच कर उसे रद्द करने की कार्रवाई तेजी से करने के लिए कहा गया है. अगर किसी परिवार में कई सदस्यों के नाम पर लाइसेंस है, तो इसकी भी समीक्षा की जायेगी.
आरा समेत ज्यादा लाइसेंसी हथियार वाले जिलों में सभी लाइसेंसधारियों को अपने हथियार और गोली का पूरा वेरिफिकेशन कराने को कहा गया है. अगर किसी ने गोली छोड़ी है, तो उसका खोखा भी दिखाना होगा और बताना होगा कि किस कारण या अवसर पर फायरिंग की है. इस तरह से कई स्तर पर जांच शुरू कर दी गयी है.
गृह विभाग हथियारों की नियमित जांच और इसका पूरा विवरण तैयार किया जा रहा है. गौरतलब है कि सरकार ने पहले से ही राज्य के सभी लाइसेंसी हथियारों को 16 अंक का यूनिक आइडी नंबर जारी करने का काम जारी कर रखा है. इसके तहत कई जिलों में यह काम हुआ है, लेकिन कई जिलों में यह काम अटक गया है. इस काम को भी तेजी से करने के लिए कहा गया है. ताकि सभी जिलों में हथियारों को यूनिक आइडी देने की प्रक्रिया पूरी हो सके.
इस मामले में एडीजी (मुख्यालय) जितेंद्र कुमार ने बताया कि जिस लाइसेंसी आर्म्स का उपयोग हत्या समेत किसी अन्य वारदात में होता है, तो उसे तुरंत रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है. आर्म्स लाइसेंस के सत्यापन और इसे देने या रद्द करने का अधिकार जिला प्रशासन का है. उनके स्तर पर इसे लेकर कार्रवाई की जाती है.