राजदेव पांडेय
पटना. वर्ष2022 को आपदाओं के लिहाज से सबसे संवदेनशील वर्ष माना जा रहा है. जनवरी से अक्तूबर तक 300 दिनों में ठनके की 246 घटनाएं हुई हैं और अब तक 375 लोगों की मौत हो चुकी है. आइएमडी पटना अब इस पर अनुसंधान कर रहा है. आइएमडी के अब तक के विश्लेषण के मुताबिक गंगा के दोनों किनारों से सटे जिलों में ठनका की सर्वाधिक घटनाएं हुई हैं. किशनगंज के अलावा प्रदेश के सभी जिले थंडर स्टॉर्म की गतिविधियों के लिहाजा से असुरक्षित हो गये हैं.
किशनगंज ही एक ऐसा जिला रहा, जहां एक भी ठनका की गतिविधियां नहीं हुई हैं. वहीं इस तरह की गतिविधियों से मार्च भी अछूता रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक सामान्य तौर पर थंडर स्टॉर्म गतिविधियां दक्षिण बिहार और उत्तरी बिहार के बहुत कम जिलों को अपनी चपेट में लेती थीं. अब इस तरह की मौसमी आपदाएं राज्य के 37 जिलों तक पहुंच चुकी हैं. यह मौसमी घटनाक्रम लंबे समय तक चलता है.
आइएमडी पटना के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक आशीष कुमार ने बताया कि प्री मॉनसून से लेकर मॉनसून सीजन तक थंडर स्टॉर्म विशेष रूप से ठनके की तीव्रता में चिंताजनक बढ़ोतरी देखी गयी है. विशेष रूप से गंगा के किनारे बसे जिलों में ठनका की अधिकतर घटनाएं हो रही हैं. प्री मॉनसून सीजन अप्रैल, मई और जून में गर्म पछुआ हवा पूरे प्रदेश गंगा के ऊपर छा जाती हैं. जैसे ही मॉनसून के साथ नमी युक्त पुरवैया इनसे टकराती हैं तो आसमानी उपद्रव होने लगते हैं.
माह——–मौत——-घटनाक्रम——–प्रभावित जिले
जनवरी ——–2——– 2——– 2
फरवरी——–10 ——–5——– 5
अप्रैल ——–3 ——–3——– 3
मई ——–37 ——–20 ——–14
जून ——–64 ——–36 ——–23
जुलाई ——–104 ——–76 ——–28
अगस्त ——–44 ——–24 ——–17
सितंबर——– 96——– 66 ——–27
अक्तूबर ——–15——– 14 ——–12