वर्ष 2007 से अब तक 10 लाख 31 हजार स्वयं सहायता समूहों से एक करोड़ 27 लाख परिवारों को जीविका से जोड़ा गया है. जीविका दीदी के नाम से पहचानी जाने वाले ये महिलाएं कृषि, वानिकी, मधुमक्खी पालन, ग्रामीण बैंकिंग, दुग्ध उत्पादन, किराना दुकान का संचालन कर रही हैं. 350 जीविका दीदी सोलर लैंप निर्माण में लगी हैं. 519 दीदी नर्सरी संभाल रही हैं. कोरोना काल में 31 हजार से अधिक जीविका दीदियों ने 11 करोड़ से अधिक मास्क बनाकर बेचे.
राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था में महिलाओं के लिए पचास फीसदी पद रिजर्व हैं. इस बार पंचायत चुनाव में सामान्य सीटों पर भी महिलाएं जीतीं और इस वजह से उनका प्रतिनिधित्व बढ़ कर 58 फीसदी हो गया है. यह पिछले पंचायत चुनाव से करीब ढाई फीसदी ज्यादा है. सामान्य सीटों में 8 फीसदी पदों पर भी महिलाएं.
सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण की वजह से बिहार पुलिस का चेहरा बदल गया है. राज्य पुलिस में सिपाही से लेकर सब इंस्पेक्टर तक के पदों पर करीब 25,128 महिलाएं कार्यरत हैं. 2005 में पुलिस बल में सिर्फ आठ सौ महिलाएं कार्यरत थीं. 2023 तक सभी पुलिस थाने में एक महिला अधिकारियों के तैनाती की योजना है.
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यूं तो श्रम बल में महिला कामगारों की संख्या काफी कम है. लेकिन, महिलाएं अब रोजगार मांग रही हैं. श्रम संसाधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक लगभग एक करोड़ 52 लाख असंगठित क्षेत्र की महिला कामगारों ने इ-श्रम पोर्टल पर निबंधन कराया है. पोर्टल पर 43.78 प्रतिशत पुरुषों और 56.22 प्रतिशत महिलाओं ने निबंधन कराया है. यानी असंगठित क्षेत्र में महिला कामगारों की संख्या बिहार में बढ़ी है.
मुख्यमंत्री साइकिल और पोशाक योजना से स्कूलों में लड़कियों की संख्या बढ़ी है. प्रारंभिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में लड़कों की तुलना में लड़कियों का नामांकन थोड़ा ही पीछे रह गया है. 2019-20 में प्राथमिक स्तर पर कुल नामांकन 139.47 लाख था, जिसमें 68.13 लाख लड़कियां और 71.34 लाख लड़के हैं. इस बार के मैट्रिक परीक्षा में लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में अधिक हो गयी.