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दुनिया को उन्होंने ही गढ़ा है, जो धुन और संकल्प के धनी थे, पुस्तक के विमोचन पर बोले हरिवंश

इस दुनिया को उन्होंने ही गढ़ा है, जो धुन और संकल्प के धनी थे. ऐसे ही लोगों ने संसार को अपने सृजन, कल्पना और मनोबल से पत्थर युग, कृषि युग, औद्योगिक युग, सूचना क्रांति से आगे बढ़ाते हुए प्रौद्योगिकी से हो रहे अविश्वसनीय बदलावों के द्वार तक आज पहुंचाया है.

पटना. इस दुनिया को उन्होंने ही गढ़ा है, जो धुन और संकल्प के धनी थे. ऐसे ही लोगों ने संसार को अपने सृजन, कल्पना और मनोबल से पत्थर युग, कृषि युग, औद्योगिक युग, सूचना क्रांति से आगे बढ़ाते हुए प्रौद्योगिकी से हो रहे अविश्वसनीय बदलावों के द्वार तक आज पहुंचाया है. यह मानव जिद और संकल्प का चमत्कार है. ये बातें रविवार को राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने पटना पुस्तक मेले में कहीं. उनकी तीन पुस्तकों का यहां लोकार्पण किया गया.

तीनों पुस्तकों से जुड़े सवालों के दिये जवाब

इस मौके पर फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम के साथ एक बातचीत में उन्होंने अपनी तीनों पुस्तकों से जुड़े सवालों के जवाब दिये. इसमें उन्होंने अपने लंबे अनुभवों को साझा किया. पुस्तक मेले में उनकी पुस्तक ‘पथ के प्रकाश पुंज’, ‘सृष्टि का मुकुट: कैलाश मानसरोवर’ और ‘कलश’ का लोकार्पण किया गया.

27 लेखों की शृंखला है प्रकाश पुंज

बातचीत में हरिवंश ने कहा कि पुस्तक पथ के प्रकाश पुंज में 27 लेखों की शृंखला है, जिसमें अलग-अलग क्षेत्र के शीर्ष पुरुषों पर आलेख हैं. उन्होंने कहा कि राजनीति, समाज, विज्ञान, पत्रकारिता, शिक्षा आदि क्षेत्रों के वैसे महापुरुष, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में असाधारण काम किये हैं, ने मुझे काफी प्रभावित किया है. उनसे जुड़ी स्मृतियों, उनके व्यक्तित्व और नेतृत्व क्षमता ने लोगों और समाज को गहराई से प्रभावित किया है. कुछ इस कदर कि वे समाज व दूसरों के लिए जीवन के प्रकाश पुंज की तरह हैं. ऐसे ही लोगों के बारे में पुस्तक पथ के प्रकाश पुंज में लिखा गया है.

एक यात्रा वृतांत है सृष्टि का मुकुट : कैलाश मानसरोवर

उन्होंने कहा कि पुस्तक सृष्टि का मुकुट : कैलाश मानसरोवर एक यात्रा वृतांत है. भारतीय मानस में सनातन से कैलाश दर्शन की साध रही है. इसे तीर्थों का तीर्थ भी कहते हैं. उन्होंने बताया कि कैलाश मानसरोवर में प्रकृति का वैभव दिखता है.

यह साक्षात्कारों, संस्मरणों का संकलन है

वहीं, तीसरी पुस्तक कलश में प्रचार-प्रसार की दुनिया से परे रहने वाले साधु-संतों और योगियों से बातचीत है. उनके बारे में प्रमाणिक स्रोतों से मिले तथ्यों का वर्णन है. यह साक्षात्कारों, संस्मरणों का संकलन है. पुस्तक में शामिल संतों के विचार अध्यात्म के उन रूपों को प्रकट करते हैं, जो गहन तपस्या के बाद ही अर्जित होते हैं.

ये लोग थे उपस्थित 

इस पुस्तक लोकार्पण समारोह में प्रसिद्ध गांधीवादी रामजी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार, अश्विनी कुमार सिंह, आलोक मिश्रा, अंकित शुक्ला ने भी अपने विचार व्यक्त किये. वहीं, इस दौरान बड़ी संख्या में लेखक, पत्रकार, साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी मौजूद थे.

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