CDS Bipin Rawat: तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जान गंवाने वाले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (CDS) जनरल बिपिन रावत का काशी से एक खास लगाव था. वह चार साल पहले 9-10 नवंबर को तत्कालीन थल सेना अध्यक्ष के तौर पर वाराणसी आए थे. उस दौरान वह 9 गोरखा रायफल के गठन के 200 साल पूरे होने पर आयोजित हुए स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए थे.
जनरल बिपिन रावत ने स्थापना दिवस के कार्यक्रम के बाद बजड़े पर सवार होकर पत्नी के साथ गंगा में सैर की थी और वाराणसी के घाटों की अलौकिक छठा को बहुत ध्यान से देखा था. गंगा में घूमने के दौरान पत्नी मधुलिका रावत के संग आरती घाट पर गंगा आरती भी देखी थी.
जनरल बिपिन रावत ने काशी विश्वनाथ मंदिर के दरबार में हाजिरी लगाई थी. काशी विश्वनाथ मंदिर के शास्त्री राकेश पाराशर, तीर्थराज त्रिपाठी और देवेंद्र ने सविधि षोडशोपचार पूजन कराया. इसके बाद रूद्र सूक्त के सस्वर पाठ के बीच उन्होंने बाबा विश्वनाथ का रूद्राभिषेक किया था.
जनरल बिपिन रावत ने काशी विश्वनाथ मंदिर के ऐतिहासिकता के बारे में यहां के कर्मियों से जानकारी ली थी. इसके बाद मंदिर परिसर में मौजूद लोगों का अभिवादन स्वीकार करते हुए वह छत्ताद्वार पहुंचे थे, जहां मीडिया से बातचीत की थी.
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि सेना के शौर्य और साहस पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए. सेना हर परिस्थिति का सामना करने में सक्षम और तैयार है. सेना हर तरह की स्थिति में माकूल जवाब दे सकती है. सेना के पास हथियारों की कमी नहीं है, लेकिन उसे नई तकनीक से लैस करने की जरूरत है.
जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि काशी वाकई में त्रिलोक से न्यारी और एक अद्भुत आध्यात्मिक शहर है. यहां आकर एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है. इतने साहसी व्यक्तित्व के इंसान बिपिन रावत की इस तरह से दुर्घटना में मौत होने के बाद पूरे देश के साथ साथ काशी भी स्तब्ध है.
हमेशा अपने सेना के जवानों के लिए सोचते रहने वाले बिपिन रावत का इस तरह हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो जाना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है. देश उनके योगदान के लिए हमेशा उनका ऋणी रहेगा.
(रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी)