चंद्र ग्रहण से पहले सूतक काल माना जाता है. शरद पूर्णिमा पर लगने वाला चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले यानी दोपहर 4 बजकर 44 मिनट से शुरू हो जाएगा. सूतक चंद्र ग्रहण खत्म होने तक यानी 2 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार सूतक काल के दौरान शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को कुछ कार्यों से परहेज करना चाहिए.
ग्रहण के दौरान प्रेग्नेंट स्त्रियां धारदार चीजों का इस्तेमाल भूलकर भी न करें. जैसे सब्जी न काटें, सिलाई, कढ़ाई, कैंची, चाकू का उपयोग करने से बचे. ऐसा करना अशुभ होता है और मां के साथ बच्चे पर भी बुरा असर पड़ता है.
ग्रहण के दौरान भगवान का स्मरण करते रहें. अपने मन में नकारात्मक विचार नहीं रखने चाहिए साथ ही तनाव और विवाद की स्थिति से बच कर रहें. क्रोध और अहंकार न करें, खुद को बिल्कुल शांत रखें.
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सोने से भी परहेज करना चाहिए. कहते हैं इससे बच्चे की बुद्धि पर नकारात्मक असर पड़ता है. ऐसा करने से बच्चा मानसिक रूप से मंद होता है.
शास्त्रों के अनुसार ग्रहण की अवधि में प्रेग्नेंट स्त्रियों को तुलसी दल रखकर दुर्गा पाठ या अपने इष्टदेव के मंत्र का स्मरण करना चाहिए. इससे मां-शिशु पर बुरी शक्तियों का असर नहीं पड़ता.
चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद गर्भवती महिला को पवित्र जल से स्नान कर लेना चाहिए. कहते हैं इससे गर्भस्थ शिशु और मां दोनों पर ग्रहण का दोष खत्म हो जाता है. सूतक काल में देव विग्रह के स्पर्श को नहीं करना चाहिए, इसके अलावा ग्रहण का साया भी देव विग्रहों पर न पड़े, इसके लिए मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं. जिन जगहों पर ग्रहण का साया पड़ता है, वहां इससे अच्छे और बुरे का असर होता है, इसलिए ग्रहण काल में इसके दोष को कम करने के लिए जप और तप करना चाहिए.
चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन बनाने और खाने से बचना चाहिए.इस दौरान किसी भी प्रकार की पूजा अर्चना नहीं करनी चाहिए.चंद्र ग्रहण के दौरान सोना नहीं चाहिए. इस दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए.साथ ही चाकू या कैंची का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए.चंद्र ग्रहण के दौरान पेड़-पौधों को छूने से भी बचना चाहिए.
चंद्र ग्रहण दिखे या न दिखे लेकिन इसके कारण तमाम राशियों पर प्रभाव पड़ता है. मान्यता है कि यदि चंद्र ग्रहण वाले दिन चंद्रमा के मंत्र ‘ॐ सों सोमाय नमः’ अथवा भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए. इससे अशुभ प्रभाव खत्म होते हैं.
चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद गर्भवती महिला को पवित्र जल से स्नान कर लेना चाहिए. कहते हैं इससे गर्भस्थ शिशु और मां दोनों पर ग्रहण का दोष खत्म हो जाता है.
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