Chandrayaan-3: अब चांद से कितनी दूर स्थित है चंद्रयान-3, इसरो ने शेयर किया चंद्रयान से भेजी गई चांद की तस्वीर
जैसे-जैसे चंद्रयान चांद की कक्षा में प्रवेश कर रहा है उसके सामने चुनौतियां बढ़ती जा रही है. सबसे मुश्किल काम इसरो के लिए चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर है. यह इस मिशन का सबसे अहम और सबसे बड़ी चुनौती है.
चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने का बेसब्री से इंतजार कर रहे लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी है. इसरो ने चंद्रयान-3 को चांद की सतह के और नजदीक कर दिया है. चांद की कक्षा में परिक्रमा कर रहे चंद्रयान-3 की इसरो ने दूसरी बार ऑर्बिट घटाई है. अब यह चंद्रमा की 174 Km x 1437 Km की परिधि में आ गया है.
फिलहाल चंद्रयान-3 एक अंडाकार कक्षा में घूम रहा है. 174 km और 1437 km की ऑर्बिट का अर्थ है कि चंद्रयान-3 की चांद से सबसे कम दूरी 174 Km और सबसे ज्यादा दूरी 1437 Km है.चंद्रयान अभी इसी ऑर्बिट पर चांद की परिक्रमा करेगा.
इसके बाद 14 अगस्त को फिर से यह अपनी ऑर्बिट बदलेगा. बता दें, चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 14 जुलाई को किया गया था और पांच अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था.
इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक ट्वीट कर बताया कि चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह के और नजदीक पहुंच गया है. वैज्ञानिकों ने कहा कि आज की गई प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 की कक्षा घटकर 174 किमी x 1437 किमी रह गई है. इसने कहा कि अगली प्रक्रिया 14 अगस्त 2023 को सुबह साढ़े 11 बजे से दोपहर साढ़े 12 बजे के बीच निर्धारित की गई है.
इसरो ने रविवार को भी चंद्रयान को चांद की कक्षा में नीचे लाए जाने की इसी तरह की प्रक्रिया को अंजाम दिया था. महत्वाकांक्षी मिशन के आगे बढ़ने के साथ ही चंद्रयान-3 की कक्षा को धीरे-धीरे कम करने और इसकी स्थिति चंद्र ध्रुवों के ऊपर करने के लिए इसरो कवायद कर रहा है.
जैसे-जैसे चंद्रयान चांद की कक्षा में प्रवेश कर रहा है उसके सामने चुनौतियां बढ़ती जा रही है. सबसे मुश्किल काम इसरो के लिए चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर है. यह इस मिशन का सबसे अहम और सबसे बड़ी चुनौती है. इसरो सूत्रों के मुताबिक अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के करीब लाने के लिए दो और प्रक्रियाएं की जाएगी.
उन्होंने कहा कि ये प्रक्रियाएं 14 और 16 अगस्त को 100 किमी की कक्षा तक पहुंचने के लिए की जाएगी, इसके आगे की प्रक्रिया के तहत प्रपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा. इसके बाद लैंडर के धीमे होने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. बता दें, 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव इलाके पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है.
गौरतलब है कि अपने मिशन के दौरान चंद्रयान- तीन 5 अगस्त को चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के संपर्क में आया था. सात ही यह चंद्रमा के गुरुत्व क्षेत्र में स्थापित हो गया था. इसके बाद इसरो ने चंद्रयान-3 की गति को कम कर दिया था ताकी यान को कोई नुकसान न पहुंचे. इश दौरान चंद्रयान ने चांद की काफी सुंदर तस्वीर भी भेजी.
भाषा इनपुट के साथ