रांची में क्रिसमस मनाने की परंपरा 177 साल पुरानी है. इस मौके पर खास तौर पर चरनी बनाई जाती है. बाजार में उपलब्ध रेडिमेड चरनी में संत मेरी चर्च, सीएनआइ चर्च और जीइएल चर्च का प्रारूप खास है. इसके अलावा घरौंदा, कुटिया व गोशाला के प्रारूप में भी चरनी मिल रही है. इनकी कीमत 200 से 2000 रुपये तक है.
बिशप हाउस, पुरुलिया रोड में मिशन वर्क थीम पर चरनी बनायी जा रही है. इसे जमगई, हुलहुंडू में तैयार हो रहे मिशन स्टेशन के मुख्य द्वार का प्रारूप दिया गया है. साथ ही आस-पास की सज्जा को किंग्स यानी तीन ज्योतिष के नगर के रूप में विकसित किया है.
रांची के संत जॉन हाई स्कूल में गिटार के प्रारूप की चरनी बनाई गई है. जो कि काफी आकर्षक लग रहा है. लोगों को यह गिटार वाला चरनी काफी पसंद आ रहा है.
रांची के विभिन्न इलाकों में चरनी की तैयारी की जा रही है. डंगरा टोली, बरही टोली, सीआइपी कॉलोनी कांके, सेम्हर टोली कांके, सीएमपीडीआइ, खोरहा टोली, हेसाग, राजेंद्र चौक डोरंडा, नामकुम आदि इलाकों में मसीही विश्वासी डिजाइनर चरनी तैयार कर रहे हैं. इसके अलावा विभिन्न चर्च और संस्थानों व घर में क्रिसमस ट्री के साथ डिजाइनर चरनी की सजावट दिखायी देने लगी है.
रांची के बहू बाजार स्थित संत पॉल कैथेड्रल (St. Paul Cathedral) झारखंड में एंग्लिएं कन कलीसिया का पहला महागिरजाघर है. यहां भी बड़े धूम-धाम से क्रिसमस मनाया जाता है.