Jharkhand News: विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर दो दिवसीय झारखंड आदिवासी महोत्सव का रंगारंग आगाज हुआ. इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ‘झारखंड आदिवासी महोत्सव 2023’ पर डाक टिकट का लोकार्पण किया. वहीं, 35 पुस्तकों को लोकार्पण किया गया. इस पुस्तक में आदिवासी जीवन पर किये गए तमाम शोध कार्यो से है. वहीं, आदिवासी महोत्सव के अवसर पर खास डाक टिकट भी तैयार किया गया.
इस मौके पर मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन ने कहा कि सभी आदिवासी समुदाय की करीब-करीब एक ही संस्कृति है. मेरा आग्रह है कि अपने बच्चों को शिक्षित जरूर करें. यह महोत्सव आदिवासी समुदाय के एकजुटता और आपसी भाईचारा को दर्शाता है. आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति और सभ्यता से जोड़ कर रखने की आवश्यकता है.
इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में आदिवासी महोत्सव मनाया जा रहा है. कार्यक्रम काफी बड़ा है. हर तरह आदिवासी महोत्सव की धूम है, लेकिन इस खुशी में मणिपुर का दर्द झलक रहा है. अपने संबोधन में मणिपुर के दर्द को लोगों के साथ साझा किया. कहा कि हम एकजुट होकर स्वाभिमान के लिए खड़ा होने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि आदिवासी महोत्सव हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. पिछले बार के मुकाबले इस बार और बेहतर महोत्सव मनाया जा रहा है. दो दिन तक चलने वाले इस महोत्सव में विभिन्न राज्य से आये हुए आदिवासी ग्रुप पारंपरिक नृत्य दिखाएंगे. साथ ही विभिन्न आदिवासी के मामलों पर चर्चा होगी. कहा कि इस महोत्सव को बड़ी मजबूती के साथ पूरा झारखंड मना रहा है. आज की परिस्थिति में ये दिवस और भी कई मायनों से महत्वपूर्ण भी है. कई दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में आदिवासी संस्कृति, सभ्यता आदि का आयोजन किया जा रहा है. इस आयोजन में कई राज्यों के आदिवासी आये हुए हैं. आदिवासी संगीत आदिवासी समाज की पहचान है. वह आज आपको सुनाई देगा.
सीएम ने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर देश के 13 करोड़ से ज्यादा आदिवासियों भाइयों-बहनों से एक होकर लड़ने एवं बढ़ने की अपील की. साथ ही कहा कि देश का आदिवासी समाज जाति, धर्म, क्षेत्र के आधार पर बंटा हुआ है, जबकि सबकी संस्कृति एक है. खून एक है, तो समाज भी एक होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि हम आदिवासियों के लिए अपनी जमीन, संस्कृति और भाषा बहुत महत्वपूर्ण है. आदिवासी एक स्वाभिमानी कॉम है. मेहनत करके खाने वाली कॉम है. हम भगवान बिरसा, एकलव्य, राणा पूंजा की कॉम हैं. हम इस देश के मूलवासी हैं. हमारे पूर्वजों ने ही जंगल, जानवर और पहाड़ बचाया. कहा कि हमारे पूर्वजों ने हर दौर में बेहतर काम किया है. यह भी सच है कि हमारे पास इस समाज को देने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन जरूरत है सही मायने में हमसे समाज लेना सीखे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी संस्कृति को आदर की दृष्टि से देखने की जरूरत है. हमें सिर्फ जंगल में रहने वाले के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. जंगल एवं मानव विकास की कहानी हमारे पूर्वजों के पास है. जरूरत है आमजन के अंदर आदिवासी समाज के प्रति सम्मान व सहयोग की भावना पैदा करने की.