14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

PHOTOS: झारखंड के इस गांव में कभी तैयार होते थे सूती कपड़े, आज हाशिये पर हथकरघा उद्योग

2006 में कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए झारक्राफ्ट का गठन हुआ. इसके बाद देवघर के मधुपुर के तीन गांवों में लाखों खर्च कर बुनकर शेड बने, लेकिन बुनकरों की अनदेखी के कारण हथकरघा उद्योग आज हाशिये पर आ गया. प्रशिक्षण पाकर भी क्षेत्र के कारीगर बेरोजगार हो गये.

Undefined
Photos: झारखंड के इस गांव में कभी तैयार होते थे सूती कपड़े, आज हाशिये पर हथकरघा उद्योग 6

देवघर के मधुपुर के तीन गांवों में हाशिये पर हथकरघा उद्योग

मधुपुर (देवघर), बलराम भैया : महात्मा गांधी ने हथकरघा को उद्योग (Handloom Industry) का रूप देकर आर्थिक गुलामी से आजादी दिलाने और लोगों को स्वावलंबी बनाने का सपना देखा था. भारत की सरकारें भी हथकरघा उद्योग से जुड़े लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए समय-समय पर योजनाएं चलातीं रहीं. झारखंड राज्य बनने के बाद साल 2006 में कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए झारक्राफ्ट का गठन किया गया. झारक्राफ्ट के गठन के बाद मधुपुर के महुआडाबर, मनियारडीह और खैरबन गांव में 16-16 लाख की लागत से तीनों जगह बुनकर शेड का निर्माण किया गया. मगर, बुनकरों की अनदेखी के कारण यह उद्योग हाशिये पर चला गया और प्रशिक्षण पाकर भी कारीगर बेरोजगार हो गये. इसके पीछे कई वजहें हैं, लेकिन उपेक्षा की वजहों से काम नहीं मिल सका.

Undefined
Photos: झारखंड के इस गांव में कभी तैयार होते थे सूती कपड़े, आज हाशिये पर हथकरघा उद्योग 7

हथकरघा उद्योग चालू होने से ये होते फायदे

मधुपुर के तीनों गांवों के बुनकर शेड में हथकरघा उद्योग शुरू हो जाने से न केवल स्थानीय कारीगरों को रोजगार मिलता, बल्कि, एक यहां बने उत्पादों को एक बड़ा बाजार मिलता. यहां की कला को एक प्लेटफॉर्म मिलता और स्वावलंबन की राह में फिर से एक नयी उम्मीद जगती.

Undefined
Photos: झारखंड के इस गांव में कभी तैयार होते थे सूती कपड़े, आज हाशिये पर हथकरघा उद्योग 8

लाखों की मशीनें हो रहीं बेकार

मधुपुर की पसिया पंचायत अंतर्गत महुआडाबर, चरपा पंचायत के मनियारडीह और खैरबन गांव में बने बुनकर शेड 10 साल से अधिक समय से बंद पड़े हैं. सूत से कपड़े तैयार करने के लिए यहां लाखों की मशीनें मंगायी गयीं. हर शेड में हैंडलूम और कपड़े की रंगाई, सूत रोल करने की मशीनें रखी हुई हैं. तीनों ही जगहों पर उद्योग विभाग की ओर से 60-120 कामगारों को सूत से कपड़े तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण पाकर कारीगरों ने बाजार समिति के माध्यम से दो-तीन महीने तक कपड़े भी तैयार किये. यहां बेडशीट, गमछा, शर्ट के कपड़ों के अतिरिक्त तरह-तरह के सूती कपड़े बनाये जा रहे थे. इन कपड़ों को उद्योग विभाग के अधिकारी व कर्मचारी आकर ले जाते थे. मगर, यहां काम रहे कारीगरों का उत्साह दो-तीन महीने से अधिक समय तक टिका नहीं रह सका और संसाधनों की कमी तथा अनदेखी की वजह से कुछ कारीगर काम छोड़कर पलायन कर गये. कहा जा रहा है कि ये ऐसा करने को मजबूर हो गये. धीरे-धीरे अन्य कारीगरों ने भी मुंह मोड़ना शुरू किया और काम छोड़ते गये. इस प्रकार यह उद्योग लगभग पूरी तरह बंद ही हो गया. सालों से बंद पड़े रहने के कारण बुनकर शेड के आसपास अब गंदगी पसरी हुई है और चारों तरफ झाड़ियां उग आयी हैं. लाखों की मशीनें भी रखे-रखे जंग खा रही है.

Also Read: Indian Railways News: रेलवे स्टेशनों पर पूछताछ के लिए Inquiry Counter की जगह ‘सहयोग’ करेगा आपकी मदद

Undefined
Photos: झारखंड के इस गांव में कभी तैयार होते थे सूती कपड़े, आज हाशिये पर हथकरघा उद्योग 9

ग्रामीण महिलाओं की जुबानी

महुआडाबर की नसीमा खातून ने कहा कि शेड में 10 वर्ष पहले समिति के माध्यम से काम करती थी. लेकिन उचित मजदूरी नहीं मिलने के कारण काम छोड़ दिया. खैरबन की कथवा देवी ने कहा कि बुनकर शेड चालू होने से हमलोगों को रोजगार मिल सकता है. आर्थिक रूप से भी स्वावलंबी हो सकते हैं. वहीं, रीता देवी कहती हैं कि घर के काम के साथ वे लोग बुनकर शेड में काम करतीं थीं. लेकिन, शेड बंद रहने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

Undefined
Photos: झारखंड के इस गांव में कभी तैयार होते थे सूती कपड़े, आज हाशिये पर हथकरघा उद्योग 10

एक बेहतर प्लेटफॉर्म दिलाने का होगा प्रयास : भुवन

इस संबंध में हस्तकला केंद्र के सहायक निदेशक भुवन भास्कर ने कहा कि ये राज्य सरकार की संरचना है. यह किस कारण से बंद पड़ा है, इसकी जानकारी नहीं है. राज्य स्तर द्वारा कदम उठाने या केंद्र को प्रस्ताव भेजने पर इस उद्योग काे पुनर्जीवित करने और कारीगरों को एक बेहतर प्लेटफाॅर्म दिलाने का प्रयास किया जायेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें