धर्मनगरी प्रयागराज में माघ मेले के तृतीय स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर आज लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान संगम तीर्थ में स्नान के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं की आस्था कोरोना महामारी पर भारी नजर आई. लोगों ने गंगा में स्नान कर भागवान सूर्य को जल भी अर्पित किया. बता दें कि मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2022) को माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. मौनी अमावस्या सभी अमावस्याओं में काफी महत्वपूर्ण होती है.
मौनी अमावस्या पर एक दिन पहले से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था. संगम में पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर रखे थे. संगम समेत विभिन्न घाटों पर स्नान के बाद श्रद्धालु दान पुण्य करते रहे. धार्मिक शिविर और संस्थाओं के बाहर दिनभर भंडारा चलता रहा.
माघ मेले में लगे सामाजिक संस्थाओं और शिविरों में मौनी अमावस्या के बाद दिन भर भजन कीर्तन इत्यादि चलता रहा. इसके साथ ही कल्पवासी शिविरों में श्रद्धालुओं की ओर से स्नान के बाद पूजा पाठ के साथ ही दान पुण्य किया गया.
उन्होंने संगम स्नान को लेकर कहा कि तुलीदास जी ने रामचरित मानस में कितने विश्वास के साथ कहा है, आओ सब कोई, जिसमे आस्था को लेकर विश्वास होगा, वो जरूर आयेगा. हम उनका भरोसा कैसे तोड़ सकते है. ये संगम आज का नहीं है, वेदों और पुराणों में इसका वर्णन है.
आपको बता दें कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर स्नान-दान का एक विशेष महत्व है. इस दिन गंगा तट पर स्नान-दान की अपार महिमा है. गंगा में स्नान के बाद आज तिल या इससे बनी खाद्य सामग्री, आंवला और कपड़े का दान करना चाहिए. इस दिन गुड़ और काले तिल के लड्डू बनाने का भी एक विशेष महत्व है. स्नान-दान के बाद साधु-संतों, तीर्थ पुरोहितों और घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए. इसके साथ ही नियम और संयम के साथ रहना चाहिए.