23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Diwali 2022: झारखंड की चाकुलिया गौशाला के दीयों से रोशन होंगे दिल्ली, कोलकाता समेत कई शहर, ये है खासियत

Diwali 2022: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले की चाकुलिया गौशाला में बन रहे दीये से देश की राजधानी दिल्ली समेत कोलकाता एवं झारखंड की राजधानी रांची रोशन होगी. गोबर, मिट्टी, प्रीमिक्स पाउडर, रिफाइंड तेल तथा मिट्टी के रंगों से चाकुलिया नया बाजार स्थित गौशाला में दीये तैयार किए जा रहे हैं.

Undefined
Diwali 2022: झारखंड की चाकुलिया गौशाला के दीयों से रोशन होंगे दिल्ली, कोलकाता समेत कई शहर, ये है खासियत 6

स्टील के सांचे में इन दीयों को तैयार कर एवं मिट्टी के रंगों से रंगे जाने के बाद धूप में सुखाकर पैकेट में बंद कर दिया जाता है. प्रत्येक पैकेट में 10 दीये होते हैं. इसकी कीमत 40 रुपये है. कोलकाता के बाजारों में इस दीये की काफी अधिक मांग है. इसके अलावा नई दिल्ली, हैदराबाद, रांची, बिलासपुर तथा ओडिशा के बाजारों में भी इन दीयों की मांग है.

Undefined
Diwali 2022: झारखंड की चाकुलिया गौशाला के दीयों से रोशन होंगे दिल्ली, कोलकाता समेत कई शहर, ये है खासियत 7

गौशाला कमेटी के सचिव संजय लोधा ने बताया कि एक लाख दीये बनाने का ऑर्डर उन्हें पहले ही मिल चुका है, लेकिन क्षेत्र में मजदूरों की कमी के कारण दीया बनाना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने कहा कि अब तक 40 से 50 हजार दीयों का निर्माण कर कोलकाता एवं नई दिल्ली भेजा जा चुका है. कई युवा चाकुलिया गौशाला से खरीदकर दीयों को ऑनलाइन बेच रहे हैं.

Undefined
Diwali 2022: झारखंड की चाकुलिया गौशाला के दीयों से रोशन होंगे दिल्ली, कोलकाता समेत कई शहर, ये है खासियत 8

चाकुलिया गौशाला में निर्मित दीयों की खासियत यह है कि इसे सांचे में भरकर सुंदर आकृति दी जा रही है. बाजार में जिस दीये की कीमत लगभग 10 रुपये है. उस दीये को चाकुलिया गौशाला में निर्माण कर महज 4 रुपये में बेचा जा रहा है. एक बार तेल डालने के बाद दीया 1 घंटा तक चलेगा. अन्य दीये की तरह इस दीये से तेल की एक बूंद नहीं गिरती है. इससे दीवारों को खराब होने से बचाया जा सकता है.

Undefined
Diwali 2022: झारखंड की चाकुलिया गौशाला के दीयों से रोशन होंगे दिल्ली, कोलकाता समेत कई शहर, ये है खासियत 9

आमतौर पर कुम्हारों द्वारा बनाए गए मिट्टी के दीये को आग की भट्टी में जला कर पकाया जाता है. इसके बाद दीये तैयार होते हैं, परंतु चाकुलिया गौशाला में बनने वाले दीये को गोबर, मिट्टी एवं प्राकृतिक रंगों से बनाया जाता है. इसे धूप में सुखाकर तैयार किया जाता है. इस कारण इसका इस्तेमाल के बाद खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है. इस्तेमाल के बाद इसे तोड़कर पेड़ पौधों की जड़ों में डालने से यह खाद का काम करता है.

Undefined
Diwali 2022: झारखंड की चाकुलिया गौशाला के दीयों से रोशन होंगे दिल्ली, कोलकाता समेत कई शहर, ये है खासियत 10

चाकुलिया गौशाला के सचिव संजय लोधा तथा कोषाध्यक्ष आलोक लोधा ने बताया कि यहां के दीये की मांग सर्वाधिक पश्चिम बंगाल के कोलकाता में है. इसके अलावा देश के कई बड़े शहरों में चाकुलिया गौशाला से दीये भेजे जा रहे हैं. इन दीयों की कीमत उतनी ही रखी गई है जिससे कि आम लोग इसे आसानी से खरीद सकें. इसे बेचने के बाद होने वाले मुनाफे से गाय का भोजन तथा रखरखाव का इंतजाम होता है. आपको बता दें कि चाकुलिया गौशाला में फिनाइल, हवन- टिकिया, देसी गाय का घी, धूप, केंचुआ खाद का भी निर्माण किया जाता है और उसकी बिक्री की जाती है.

रिपोर्ट : राकेश सिंह, चाकुलिया, पूर्वी सिंहभूम

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें