डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की पुण्यतिथि हर वर्ष 6 दिसंबर को मनाई जाती है. इसे महापरिनिर्वाण दिवस के तौर पर मनाया जाता है. बाबासाहेब आंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को उनके दिल्ली स्थित आवास पर हुआ था.
संविधान निर्माण मेंबाबा साहेब भीम राव आंबेडकर ने अहम योगदान निभाया. बाबा भीमराव आंबेडकर को अपने शुरूआती जीवन में काफी भेदभाव का सामना करना पड़ा. उन्होंने तभी ठान लिया था कि वो समाज को इस कुरीति से मुक्ति दिलाने के लिए तत्पर रहेंगे.
‘हमें जो स्वतंत्रता मिली हैं उसके लिए क्या कर रहे हैं? यह स्वतंत्रता हमें अपनी सामाजिक व्यवस्था को सुधारने के लिए मिली हैं. जो असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरी हुई है, जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष करती है’
आदि से अंत तक हम सिर्फ एक भारतीय है.-बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर
“स्वतंत्रता का अर्थ साहस है, और साहस एक पार्टी में व्यक्तियों के संयोजन से पैदा होता है.’
महान प्रयासों को छोड़कर इस दुनिया में कुछ भी बहुमूल्य नहीं है.
शिक्षा महिलाओं के लिए भी उतनी ही जरूरी है जितनी पुरषों के लिए.-
कुछ लोग सोचते हैं कि धर्म समाज के लिए आवश्यक नहीं है. मैं यह दृष्टिकोण नहीं रखता. मैं धर्म की नींव को समाज के जीवन और प्रथाओं के लिए आवश्यक मानता हूं.
पुरुष नश्वर हैं. तो विचार हैं. एक विचार को प्रसार की आवश्यकता होती है जितना एक पौधे को पानी की आवश्यकता होती है. नहीं तो दोनों मुरझाएंगे और मरेंगे.
राजनीतिक अत्याचार, सामाजिक अत्याचार की तुलना में कुछ भी नहीं है. समाज को बदनाम करने वाले सुधारक सरकार को नकारने वाले राजनेता की तुलना में अधिक अच्छे व्यक्ति हैं.
एक सफल क्रांति के लिए यह आवश्यक नहीं है कि असंतोष हो. जो आवश्यक है वह हैं न्याय, आवश्यकता, राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों के महत्व पर गहन और गहन विश्वास.