Jharkhand News: कर्ज लेकर फंस गये श्री बंशीधर नगर के किसान, अब कर रहे दलहन, ज्वार व बाजरे की खेती
Jharkhand News: कहा कि अकाल भयावह है. सभी किसान दुखी हैं. धान की फसल नहीं होने से कुछ किसान कर्ज में डूब गये हैं. धान की खेती इस क्षेत्र की मुख्य फसलों में एक है. सामान्य से भी कम वर्षा ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है.
Jharkhand News: झारखंड के गढ़वा जिला में बारिश नहीं होने से किसान बेहद चिंतित हैं. खेतों में लगे धान के बिचड़े अब मवेशियों का चारा बन रहे हैं. आगे कैसे गुजारा होगा, यह सोचकर श्री बंशीधर नगर के किसान सशंकित हैं. सुखाड़ से स्थिति बदतर है. गांव में अब पेयजल का संकट उत्पन्न हो गया है.
इस संबंध में ‘प्रभात खबर’ ने किसानों से जानकारी लेनी चाही, तो उन्होंने अपना दर्द बयां किया. कहा कि अकाल (Drought in Garhwa District) भयावह है. सभी किसान दुखी हैं. धान की फसल नहीं होने से कुछ किसान कर्ज में डूब गये हैं. धान की खेती इस क्षेत्र की मुख्य फसलों में एक है. सामान्य से भी कम वर्षा (Rain Deficit) ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. खरीफ फसलों की बात करें, तो किसान इस बार कम पानी में होने वाली फसल पर जोर दे रहे हैं. अरहर, मूंग, कुर्थी, चना, बाजरा, लगाने की तैयारी कर रहे हैं.
किसान राजेंद्र कुमार ने कहा कि धान की खेती करने के लिए उन्होंने 8 हजार रुपये प्रति बीघा की दर से मालगुजारी जमीन ली थी. उम्मीद थी कि खेती करके कुछ कमाई होगी. लेकिन, सूखा पड़ने से स्थिति और खराब हो गयी है. इस वर्ष कुर्थी की खेती करके कर्ज चुकाने का प्रयास करेंगे.
किसान सीता राम ने कहा कि इस वर्ष वर्षा सामान्य से भी कम हुई है. इसकी वजह से किसान परेशान हैं. कर्ज में डूबने का खतरा भी मंडरा रहा है. कर्ज से बचने के लिए हमें कुछ न कुछ फसल का उत्पादन करना होगा. तभी हमारा गुजारा हो सकेगा. अगर खेती नहीं हुई, तो किसान कर्ज में डूबने से नहीं बच सकेंगे.
आनंद पांडे ने कहा कि हमने दो एकड़ की खेती करने के लिए धान का बिचड़ा बोया था. बारिश नहीं होने के कारण बिचड़े सूख गये और बचे हुए बिचड़े जानवर खा गये. पानी की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण सूखे खेत में कुर्थी बोने का फैसला किया है.
बबलू कुमार ने कहा कि इस बार सूखा पड़ने की वजह से हमने अरहर की खेती की है. उन्होंने सूखे की मार झेल रहे सभी किसानों से आग्रह किया है कि वे भी अरहर, मूंग, ज्वार, बाजरा जैसी अन्य फसलों की खेती करें.
रिपोर्ट – गौरव पांडेय, श्री बंशीधर नगर (गढ़वा)