जी20 शिखर सम्मेलन कवर करने के लिए दुनियाभर के सैंकड़ों पत्रकार नयी दिल्ली में एकत्र हुए. पिछले तीन दिन के दौरान प्रगति मैदान में अंतरराष्ट्रीय मीडिया केंद्र में एक साथ काम कर उन्हें ‘एक परिवार’ की भावना का अनुभव हुआ. इटली से सिंगापुर और तुर्किये से ब्राजील तक के पत्रकारों व छायाकारों ने नवनिर्मित भारत मंडपम् के केंद्र से काम किया. काम के बीच- बीच, कॉफी व भारतीय व्यंजनों का लुत्फ उठाते हुए उन्होंने एक दूसरे से बातचीत की और एक-दूसरे से अलग अलग देशों की संस्कृति के बारे में जाना.
जर्मनी की एक समाचार एजेंसी के लिए काम करने वाले माइकल होफेले कहते हैं कि जी20 की थीम ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है. हम सभी एक ही स्थान पर, एक ही छत के नीचे एक लक्ष्य के साथ कुछ इसी मिजाज के साथ काम कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय मीडिया केंद्र ‘भारत मंडपम्’ परिसर के हॉल नंबर पांच में दो मंजिलों में फैला हुआ है. हॉल के भूतल पर, एक कोने में, तुर्किये की एक पत्रकार सीधा प्रसारण दे रही थीं, जबकि उनकी मेज के पास एक जर्मन छायाकर जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज की प्रेस वार्ता के बाद तस्वीरें भेजने में व्यस्त थे.
इस्तांबुल के पत्रकार बोले- यहां दीवार नहीं : इस्तांबुल की टीवी पत्रकार असली बिल्गर कुतलुदाग ने कहा कि हम सभी पिछले तीन दिनों से यहां काम कर रहे हैं और बहुत ही शानदार अनुभूति हो रही है. मुझे इस कार्यस्थल पर सबसे अच्छी बात यह लगी कि इसमें खंड विभाजित करने के लिए दीवारें नहीं है. एक कोने में बैठा शख्स दूसरे कोने में बैठे व्यक्ति को देख सकता है. भारत आने का अनुभव अलग रहा.
मीडिया सेंटर पहुंचे पीएम मोदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार की शाम को अंतरराष्ट्रीय मीडिया सेंटर का दौरा किया. शिखर सम्मेलन की समाप्ति के बाद विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने के बाद पीएम मोदी यहां आये और सभी का अभिवादन किया. उन्होंने देश-विदेश से आये पत्रकारों की ओर हाथ हिलाया, जबकि कैमरामैन के बीच उनकी तस्वीरें लेने की होड़ लग गयी.
एक मेज पर ब्राजील, तो दूसरे पर जर्मन पत्रकार: एक मीडियाकर्मी ने कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय मीडिया केंद्र में विविधता का अद्भूत संगम देखने को मिला. एक मेज पर ब्राजील के एक पत्रकार बैठे हैं, जबकि दूसरी मेज पर जर्मनी के एक पत्रकार बैठे हैं. वे सभी एक ही काम कर रहे हैं. फुर्सरत के पल में एक-दूसरे को जानने की कोशिश कर रहे हैं. भले ही वे अलग-अलग संस्कृति और देशों से हों. पिछले तीन दिनों से यह ‘एक बड़े वैश्विक परिवार’ जैसा था. सचमुच ‘वसुधैव कुटुंबकम्’.