जब हम महान कवि-सह-गीतकार गुलज़ार के बारे में बात कर रहे हैं, तो शब्द कम पड़ जाते हैं. संपूर्ण सिंह कालरा, जिन्हें प्यार से गुलजार के नाम से जाना जाता है, आज एक 89 साल के हो गये.
भारतीय सिनेमा में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए दुनिया उनकी सराहना करती है, चाहे वह उनके गानों के लिए हो या फिल्म निर्देशक के रूप में. सफेद रंग के प्रति अपने प्रेम के पीछे का कारण कवि ने अभी तक उजागर नहीं किया है, लेकिन हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि सफेद रंग की शांति ही कवि को अपनी ओर खींचती है.
गुलज़ार का जन्म वर्तमान पाकिस्तान में हुआ था. गुलज़ार का जन्म ब्रिटिश भारत के झेलम जिले के दीना में हुआ था. बंटवारे के बाद दीना को पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया.
गुलज़ार अपने कॉलेज के दिनों में एक कार मैकेनिक थे. उन्होंने मोटर गैराज में पार्ट टाइम काम किया, जहां उन्हें रंग मिलाने का काम दिया गया. उन्होंने नौकरी इसलिए ली, क्योंकि इससे उन्हें किताबें पढ़ने के लिए पर्याप्त समय मिलता था. साहित्य के प्रति उनका प्रेम सराहनीय था.
आप में से बहुत से लोग नहीं जानते होंगे कि गुलज़ार का परिवार चाहता था कि वह एक नियमित नौकरी करें, क्योंकि उन्हें लगता था कि एक लेखक खुद को बनाए रखने के लिए पर्याप्त कमाई नहीं कर सकता है, लेकिन वह लेखक बनने की अपनी पसंद पर अड़े रहे. आज वह जो कुछ भी हैं उसके लिए उन्होंने कड़ा संघर्ष किया.
उन्हें जासूसी उपन्यासों की सख्त लत थी, लेकिन रबींद्रनाथ टैगोर के उपन्यास गार्डेनर को पढ़ने के बाद उनमें अलग तरह के लेखन की रुचि विकसित हुई. यह उनके जीवन की गेम-चेंजिंग घटना थी.