PHOTOS: कोयलांचल का ऐसा इलाका जहां गैस का लगातार हो रहा रिसाव, धंस रही धरती, भोजन-पानी के लिए परेशान हैं लोग
धनबाद जिला अंतर्गत सिजुआ व जोगता के पीड़ित लोगों को पांच दिन बाद भी सहायता नहीं मिली है. भोजन-पानी के लिए तबाह हैं. वहीं, लगातार हो रहे गैस रिसाव के प्रभावितों को अब तक राहत नहीं मिल पायी है. इस असुविधा की ओर ना तो जिला प्रशासन और ना ही बीसीसीएल के अधिकारियों ने सुध लिया.
सिजुआ व जोगता में हर रोज धंस रही धरती
धनबाद, संजीव/ उमेश/ इंद्रजीत : धनबाद जिला के सिजुआ और जोगता में हर रोज धरती धंस रही है. वहीं, चौबीसों घंटे गैस का रिसाव हो रहा है. इस वजह से पूरा इलाका दहशत में है. भू-धंसान के कारण एक ही परिवार के तीन सदस्य जमींदोज हो गये थे, पर उनकी किस्मत अच्छी थी कि तीनों को लोगों ने बचा लिया. कई घर धंस गये, तो कई में दरारें आ गयी हैं. बावजूद परेशान और दहशतजदा लोगों की घटना के पांच दिन बाद भी ना तो जिला प्रशासन और ना ही बीसीसीएल के किसी अधिकारी ने सुधि ली है. सहायता के नाम पर बीसीसीएल ने 10 बाई 15 साइज का एक छोटा-सा सामान्य पंडाल बना कर छोड़ दिया है. वहां ना कोई खाट है और ना ही भोजन-पानी की व्यवस्था है, जबकि पूरे प्रभावित इलाके में कोयले का खनन लगातार चल रहा है.
क्या है मामला
14 अगस्त, 2023 की आधी रात धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन तथा बीसीसीएल की वेस्ट मोदीडीह कोलियरी के बीच कच्चे मकान में रहनेवाले श्याम भुईयां का घर जमींदोज हो गया था. पास का एक मंदिर भी धरती में समा गया. आसपास के लोगों ने श्याम और उसके दोनों बच्चों को गोफ से बचा लिया, लेकिन चार परिवार बेघर हो गये. उनके पास खाना बनाने से लेकर अनाज या कोई और सामान नहीं है. कोई कुछ दे दे तो खाने के लिए बर्तन तक नहीं है. पहनने के लिए कपड़े भी नहीं हैं. अगल-बगल के लोगों की मदद से उनको भोजन मिल रहा है. घटना में घायल श्याम भुईयां पैसे के अभाव में अपना और अपने बच्चों का इलाज तक नहीं करा पा रहे हैं.
चारों तरफ लगातार हो रहा है गैस रिसाव
जोगता 11 नंबर में लगभग दो सौ घर है. यहां रहनेवालों की आबादी लगभग डेढ़ हजार है. यह अति खतरनाक क्षेत्र घोषित है. यहां पहले बीसीसीएल के क्वार्टर थे. जब भू-धंसान का खतरा बढ़ा, तो बीसीसीएल ने अपने कर्मियों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करा दिया, लेकिन दशकों से वहां कच्चे मकान, झोपड़ी में रह रहे लोगों के पुनर्वास के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं हुई. जब-जब भू-धंसान की बड़ी घटना होती है, बीसीसीएल प्रबंधन वहां के लोगों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने की बात कह देता है. 14 अगस्त की घटना के बाद भी यही फरमान जारी हुआ. जिस क्वार्टर से बीसीसीएल कर्मियों को हटाया गया है, वैसे क्वार्टरों में ही इन लोगों को शिफ्ट होने को कहा जा रहा है. हालांकि कागज पर कोई आदेश नहीं निकला है. प्रभात खबर की टीम ने रविवार को यहां का दौरा किया. इस दौरान चारों तरफ गैस रिसाव होते देखने को मिला. उसके बीच भी लोग कोयला निकालने में लगे थे. महिलाएं कच्चा कोयला पका रही थीं, ताकि उसे फैक्ट्री में बेचा जा सके.
अव्यवस्था के बीच झूल रहे लोग
सिजुआ 22/ 12 में भू धसान व जोगता 11 नंबर में लगातार हो रहे गैस रिसाव को लेकर यहां के प्रभावितों को कोई राहत नहीं मिल रही है. जोगता 11 नंबर स्थित घटनास्थल पर एक छोटा सा पंडाल बनाया गया है. इसमें न सोने की कोई व्यवस्था है, और ना ही भोजन, पानी का कोई इंतजाम. दूर-दराज से लोग पानी भर कर लाते हैं. पीड़ित लोगों का कहना है कि भोजन भी मांग-चांग कर चल रहा है. पुटकी अंचल कार्यालय से भी सहायता के लिए संपर्क किया गया. लेकिन, कोई सहायता नहीं मिली. रविवार शाम तक यहां बीसीसीएल के कोई अधिकारी भी नहीं पहुंचे थे.
ग्रामीणों की मांग : गुरुजी आयें, तो बने बात
यहां रहने वाले लोगों की मांग है कि पूर्व मुख्यमंत्री सह दिशोम गुरु शिबू सोरेन को यहां आना चाहिए. कहा पुराने आंदोलनकारी नेता हैं. ग्रामीणों की समस्या को वही समझ सकते हैं. समस्या सुलझा सकते हैं.
अति डेंजर जोन में चल रहा विद्यालय
उउवि जोगता हरिजन का संचालन भी इस अति डेंजर जोन में चल रहा है. यहां क्षेत्र के बच्चे बड़ी संख्या में पढ़ने आते हैं. इस स्कूल में काम करने वाले शिक्षकों, कर्मियों तथा पढ़ने वाले बच्चों के मां-पिता में डर समाया रहता है.
जान दे देंगे, पर मुआवजा मिले बिना घर नहीं छोड़ेंगे
बीसीसीएल सिजुआ क्षेत्र के 22/ 12 इलाका में रोज धरती धंस रही है. 16 अगस्त को यहां हुई भू-धंसान की घटना में बड़ी मस्जिद का एक हिस्सा धंस गया. सीढ़ी का एक हिस्सा भी धरती में समा गया. मस्जिद के आस-पास के लगभग सभी घरों में दरार पड़ चुका है. रविवार को भी यहां के कुछ घरों में दरार पड़ने का सिलसिला जारी रहा. यहां पर 27 रैयत परिवार है. एक एकड़ से अधिक भूमि रैयती है. इन रैयतों को पुनर्वास योजना के तहत निचितपुर शिफ्ट करने को कहा जा रहा है. इसके अलावा दो सौ घर है. पूरे इलाका में ढाई से तीन हजार की आबादी है. यहां भू-धंसान की घटना के बाद बालू भराई की कोशिशों को स्थानीय लोगों ने रोक दिया. उनलोगों का कहना है कि बीसीसीएल उन लोगों को मुआवजा दे दे. घर छोड़ देंगे. यहां रहने वाले मो. कमालउद्दीन ने कहा कि उनलोगों को नौकरी या जमीन नहीं चाहिए. सिर्फ मुआवजा ही चाहिए. इसके बिना यह इलाका नहीं छोड़ेंगे. कहा कि तीन वर्ष पहले जब यहां आउटर्सोसिंग प्रोजेक्ट शुरू हुआ तब ही यहां तीन माह के अंदर मुआवजा देने की बात हुई थी. आज तक नहीं मिला.
जब-जब मूसलधार बारिश होती है, तब तब होता है हादसा
इलाका के लोगों का कहना है कि जब-जब यहां तेज बारिश होती है. तब-तब यहां कोई न कोई बड़ा हादसा होता है. रेहाना खातून कहती हैं बारिश के समय रात को नींद नहीं आती. हादसा के डर से सारे लोग रातजगा करते हैं. यह सिलसिला वर्षों से चल रहा है.
प्रशासन की तरफ से मिलेगी राहत : डीसी
इस संबंध में डीसी वरुण रंजन ने कहा कि जोगता 11 नंबर में भू-धंसान के कारण बेघर हुए लोगों को जिला प्रशासन की तरफ से राहत दिलायी जायेगी. उन्हें राशन सहित अन्य जरूरी सहायता मुहैया करायेंगे. साथ ही जल्द ही बीसीसीएल के अधिकारियों के साथ जोगता एवं 22/12 मामले को लेकर समीक्षा बैठक होगी. यहां के लोगों के लिए फौरी कार्रवाई होगी.