भूतों की तरह सजने वाला त्योहार हैलोवीन, हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है, जिसमें लोग अलग-अलग तरह के डरावने लुक कैरी करते हैं. पहले यह विदेशों तक ही प्रचलित था, लेकिन अब हमारे देश में भी काफी लोकप्रिय हो गया है. राजधानी रांची के निजी डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट में भी हैलोवीन डे को बड़े शानदार रूप से सेलिब्रेट किया गया, जिसमें बच्चों ने अलग-अलग लुक कैरी किया. इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि एक छात्रा ने भूल-भुलैया का भूतिया किरदार ‘चंद्रमुखी’ का लुक कैरी किया है, जो फिल्म के किरदार से भी ज्यादा डरावना लग रहा है.
वहीं दूसरे छात्र ने अपने चेहरे को पेंट करके हॉरर लुक दिया है. इसकी फॉटोग्राफी से यह और भी ज्यादा डरवाना और रियल लग रहा है. छोटे बच्चे इसे सामने से देख लें तो डर ही जाएंगे.
एक और छात्रा ने अपने चेहरे पर पेंट कर अजीबों-गरीबों लुक कैरी किया है, जो इस तस्वीर में साफ देखा जा सकता है. बच्ची ने अपने चेहरे पर कई आंखें बनाई है, उन आंखों से खून के आंसू निकल रहे हैं.
छात्रों के इस कारनामे को देखकर तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि यह आर्टिफिशियल है. यह बिल्कुल रियल और काफी डरावना दिख रहा है.
यह हाथ कोई पहली बार देखे, तो डर ही जाए. बच्चों ने इतना डरावना और भूतिया हाथ कैसे बनाया ये तो वह ही जानें.
पेंट की मदद से एक और छात्र ने अपने आपको डरावना लुक देने की कोशिश की है, लेकिन यह कैसा भूत है? यह तो दुखी आत्मा दिख रहा है. Iron बच्चे नहीं डरने वाले हैं. खैर यह मजाक था. बच्चों ने वाकई बेहतरीन काम किया है.
पेंट और अपने एक्प्रेशन से यह छात्र डरावना लुक पाने में सफल रहा. इससे बच्चे डर सकते हैं. खैर हैलोवीन बच्चों को डराने के लिए नहीं मनाया जाता है. हैलोवीन का उद्देश्य पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करना है. इसे ऑल सेंट्स इव, ऑल हैलोज इव और ऑल हैलोवीन के नाम से भी जाना जाता है. जिस तरह नये वर्ष की पूर्व संध्या पर उत्सव शुरू होता है.
इंस्टीट्यूट के कुछ छात्र तो भूतों का लुक लेकर रांची की सड़कों पर निकल पड़े और फोटोग्राफी भी की. इस दौरान इन सड़कों से गुजरने वाले लोगों का क्या रिएक्शन रहा होगा, इसका अंदाजा तो आप खुद ही लगा सकते हैं.
सेल्टिक ईसाइयों का मानना था कि उनके पूर्वजों की आत्माएं रात में सड़कों और गांवों में भटकती रहती थी, जिनसे उनकी फसलों और जानवरों को नुकसान पहुंचता था. ऐसे में उन्हें सम्मान देने के लिए भूतों जैसे कपड़े पहन कर हैलोवीन का आयोजन किया गया. इस तरह यह परंपरा बन गयी. इसी परंपरा के तहत इस बच्ची ने भी भूतिया लुक धारण किया है.
डिजाइनिंग के इन छात्रों ने कुछ इस ढंग से एक दूसरे की मदद कर उन्हें डरावना लुक दिया और हैलोवीन डे मनाया. बता दें कि रांची में ये सभी बच्चे एनआईएफटी-एनआईडी आदि की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.
बता दें कि दुनियाभर के कई देशों में क्रिसमस के बाद यह दूसरा बड़ा त्योहार है. इसकी शुरुआत आयरलैंड व स्कॉटलैंड में हुई थी. अब यह ज्यादातर अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोपीय देशों में मनाया जाता है. अमेरिका में तो इसे कद्दू की खेती की कटाई के साथ भी जोड़ा जाता है. इस समय कद्दू आसानी से मिलते हैं, जिन्हें भूत के डरावने मुंह की नक्काशी कर और काले रंग से पेंट कर फेस या चेहरा बनाया जाता है. इसे जैक-ओ-लैनटर्न कहा जाता है.
हैलोवीन की रात नारंगी रंग के बड़े आकार के पंपकिन की लालटेन को घर के बाहर सजाया जाता है. हैलोवीन के दिन की यह एक लोकप्रिय परंपरा है. इसके पीछे कंजूस जैक और शैतान की आयरिश लोककथा प्रचलित है.
आयरिश लोककथा के मुताबिक आयरलैंड में जन्मे कंजूस शराबी जैक ने अपने एक शैतान दोस्त को घर में ड्रिंक लेकर आने के लिए बुलाया, लेकिन जैक पैसे खर्च करना नहीं चाहता था. उसने अपने दोस्त को ड्रिंक के बदले घर में लगा पंपकिन देने के लिए राजी किया, लेकिन ड्रिंक करने के बाद वह अपनी बात से मुकर गया. इसके बदले जैक ने पंपकिन की डरावनी लालटेन बना कर घर के बाहर पेड़ पर टांग दिया, जिस पर मुंह की नक्काशी की और जलते कोयले डाल दिये. इस तरह कद्दू के लालटेन बनाने का चलन शुरू हो गया. यह उनके पूर्वजों की आत्माओं को रास्ता दिखाने और बुरी आत्माओं से रक्षा करने के प्रतीक है. अब कद्दू के साथ खाना और कैंडीज भी रखी जाती हैं.
इन सभी तस्वीरों को देखने के बाद आपको भी समझ आ गया होगा कि रांची में भी हैलोवीन शानदार तरीके से मनाया जाता है और डिजाइनिंग के इन बच्चों में भी टैलेंट कूट-कूटकर भरा है. बता दें कि 31 अक्तूबर की शाम को शुरू हुआ हैलोवीन त्योहार पांच दिन तक चलता है. इस दौरान लोग दोस्तों व परिवार के लोगों के साथ पार्टी करते हैं. 5 नवंबर को बड़े पैमाने पर आतिशबाजी करके हैलोवीन त्योहार को संपन्न किया जाता है.
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