12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

PHOTOS: हर मौसम घूमते हैंं माटी के माहिर कुम्हार के चाक, बारिश में बढ़ जाता इनका संघर्ष

माटी की कला के माहिर कुम्हार की चाक लोगों की मिट्टी के बर्तनों की जरूरत को पूरा करने के लिए हर सीजन चलते रहते हैं. आगामी सीजन को ध्यान में रख कर दो-तीन माह पहले से ही इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं. यहां तक कि बारिश के मौसम में भी अपना काम बंद नहीं करते.

Undefined
Photos: हर मौसम घूमते हैंं माटी के माहिर कुम्हार के चाक, बारिश में बढ़ जाता इनका संघर्ष 9
माटी के माहिर का बारिश में बढ़ जाता है संघर्ष

जमशेदपुर, अखिलेश कुमार : जमशेदपुर के कई इलाकों में लोग मिट्टी के बर्तन बनाने व बेचने के कारोबार से जुड़े हैं. हालांकि, वर्तमान में बरसात का मौसम होने से कुछ लोगों ने जगह और मिट्टी के सामान को सही ढंग से ढकने के संसाधन नहीं होने के कारण काम बंद कर दिया है, लेकिन बहुत से लोग आगामी दशहरा, दीपावली व शादी-ब्याह के लगन आदि में उपयोग होने वाले दीये, कलश सहित अन्य समान अभी से ही धीरे-धीरे कर बनाने में जुटे हैं. कुम्हारपाड़ा में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले 72 वर्षीय वासुदेव प्रसाद ने बताया कि वैसे तो उनका काम कभी बंद नहीं होता. लेकिन, बरसात में जगह के अनुसार ही मिट्टी के बर्तन बनाते हैं. चूंकि, मिट्टी के बर्तनों को सुखाने और पकाने में काफी कठिनाई होती है. इस कारण अधिक बर्तन नहीं बना पाते हैं. फिर भी एक दिन में चार-पांच सौ रुपये का सामान जरूर बना लेते हैं, जिससे घर का खर्च चलता है. वहीं, मिट्टी के बर्तन बेचने का काम करने वाली विद्या देवी ने कहा कि वह अपनी मां की दुकान चला रही हैं. हर दिन कई लोग उनकी दुकान पर मिट्टी के बर्तन खरीदने आते हैं. कोई त्योहार होने पर इसकी डिमांड और बढ़ जाती है, जिसके लिए पहले से मिट्टी के बर्तनों का स्टॉक कर लिया जाता है. बारिश में मिट्टी के बर्तनों के टूटने का डर अधिक रहता है, जिससे हर समय इसके बचाव की चिंता रहती है.

Undefined
Photos: हर मौसम घूमते हैंं माटी के माहिर कुम्हार के चाक, बारिश में बढ़ जाता इनका संघर्ष 10
हर सीजन चलते हैं इनके चाक

मिट्टी के बर्तन सबसे पुराने ज्ञात कला रूपों में से एक है. मिट्टी के बर्तनों की कला मिट्टी की शक्ति और इसकी नाजुकता के अनूठे संगम को प्रदर्शित करती है. भारत में मिट्टी के बर्तनों को बनाने की कला की शुरुआत मध्य पाषाण काल से शुरू हुई तथा धीरे-धीरे इन्हें बनाने की तकनीकों में कई परिवर्तन आये. सुराही, मटकी, कलश, कुल्हड़, फूलों के बर्तन, मूर्तियां सहित विभिन्न रूपों में यह कला दिखायी देती है.

Undefined
Photos: हर मौसम घूमते हैंं माटी के माहिर कुम्हार के चाक, बारिश में बढ़ जाता इनका संघर्ष 11
डिमांड के अनुसार होता है काम

बारिश में चूंकि मिट्टी के बर्तनों के टूटने या खराब होने का डर अधिक रहता है, इसलिए सीमित मात्रा में इसका निर्माण किया जाता है. लेकिन, मिट्टी के बर्तन का उपयोग पूजा-पाठ सहित अन्य त्योहार, लगन व किसी की मृत्यु पर अंतिम संस्कार में भी होता है, जिससे इसकी डिमांड बनी रहती है. वहीं, अगर कहीं पर कोई बड़ा धार्मिक आयोजन हो रहा है और वहां मिट्टी के बर्तनों की डिमांड होती है, तो काम बढ़ा दिया जाता है.

Undefined
Photos: हर मौसम घूमते हैंं माटी के माहिर कुम्हार के चाक, बारिश में बढ़ जाता इनका संघर्ष 12
बरसात में गमलों की बिक्री अधिक

वैसे तो मिट्टी के बर्तनों की डिमांड हमेशा बनी रहती है. लेकिन, किसी-किसी सीजन में किसी खास चीज की बिक्री बढ़ जाती है. इसके लिए इसे बनाने की भी तैयारी पहले ही कर ली जाती है. इसी तरह पानी को ठंडा रखने के लिए में गर्मी के मौसम में जहां मटकों की अधिक डिमांड रहती है, वहीं बरसात में कई लोग घरों के बाहर व छतों पर पौधे लगाते हैं, जिससे इन दिनों गमलों की बिक्री बढ़ जाती है.

Undefined
Photos: हर मौसम घूमते हैंं माटी के माहिर कुम्हार के चाक, बारिश में बढ़ जाता इनका संघर्ष 13
कुल्हड़ की मांग हमेशा एक जैसी

मिट्टी के बर्तनों में चाय पीने के लिए कुल्हड़ भी बनाया जाता है. कुल्हड़ में चाय पीने का अपना ही स्वाद होता है. शौकीन लोग चाय दुकानों पर कुल्हड़ चाय की ही डिमांड करते हैं. ऐसे में दुकानदार भी लोगों की शौक को पूरा करने के लिए कुल्हड़ का स्टॉक रखते हैं. ऐसे में मिट्टी के बर्तन बनाने वालों के पास कुल्हड़ की डिमांड हमेशा एक जैसी बनी रहती है.

Undefined
Photos: हर मौसम घूमते हैंं माटी के माहिर कुम्हार के चाक, बारिश में बढ़ जाता इनका संघर्ष 14
अब इलेक्ट्रॉनिक चाक ने ली जगह

हर व्यवसाय में आधुनिकता का रंग चढ़ा है, तो फिर कुम्हार का चाक इससे क्यों वंचित रहता. कुम्हार के चाक को पहले हाथ से चलाना पड़ता था, जिसकी जगह अब इलेक्ट्रॉनिक चाक ने ले ली है. राज्य सरकार भी मिट्टी के बर्तन बनाने में जुटे लोगों के प्रोत्साहन के लिए सब्सिडी पर इलेक्ट्रॉनिक चाक देने की योजना चलायी है. इससे इन लोगों को सुविधा हुई है.

Undefined
Photos: हर मौसम घूमते हैंं माटी के माहिर कुम्हार के चाक, बारिश में बढ़ जाता इनका संघर्ष 15
स्थानीय के साथ बाहर से भी मंगाये जाते हैं मिट्टी के बर्तन

कुम्हारपाड़ा में मिट्टी के बर्तन बेचने का काम करने वाली विद्या देवी ने बताया कि वह खुद से मिट्टी के बर्तनों को नहीं बनाती हैं. स्थानीय स्तर पर मिट्टी के बर्तनों की खरीदारी करने के साथ बनारस व कोलकाता से भी मिट्टी की मूर्तियां, खिलौने आदि मंगा कर बेचती हैं. इस कारोबार में अधिक आमदनी तो नहीं, पर इसकी डिमांड लगातार बनी रहने से उनका परिवार अच्छे से चल रहा है.

Undefined
Photos: हर मौसम घूमते हैंं माटी के माहिर कुम्हार के चाक, बारिश में बढ़ जाता इनका संघर्ष 16
माटी कला बोर्ड से हैं काफी उम्मीदें

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मिट्टी के बर्तन बनाने में जुटे लोगों की मदद के लिए माटी कला बोर्ड की स्थापन की थी. लेकिन, वर्तमान में सरकार की योजना इलेक्ट्रॉनिक चाक के लिए सब्सिडी देने तक ही सीमित है. वहीं, लोगों को बोर्ड से काफी उम्मीदें हैं. प्रजापति कुम्हार महासंघ जमशेदपुर के उपाध्यक्ष दिनेश प्रसाद प्रजापति ने कहा कि अगर सरकार सामूहिक रूप बर्तन बनाने के लिए जगह देने सहित गैस-इलेक्ट्रॉनिक भट्ठी व शेड के साथ मिट्टी के बर्तनों की बिक्री में मदद करती है, तो इस काम से विमुख होकर दूसरे राज्यों में युवाओं का पलायन रुक सकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें