नये साल में घूमने का मन बना रहे हैं, तो गुमला आइये. यहां कई ऐतिहासिक धरोहर के साथ-साथ धार्मिक स्थल और पिकनिक स्पॉट है जो आपका मनमोह लेगी. यहां की इठला कर बहती नदी की धारा, सुंदर पत्थर, आसपास घने जंगल और शांत वातावरण आपको अपने पास बुलाने के लिए पर्याप्त है. गुमला का हीरादह नये साल में पर्यटकों को बुला रही है. यह वीर सपूत बख्तर साय और मुंडन सिंह की धरती रायडीह प्रखंड में आता है. हीरादह गुमला जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर है. यह धार्मिक सहित पर्यटक स्थल के रूप में राज्य स्तर पर विख्यात है.
नववर्ष में यहां झारखंड सहित छत्तीसगढ़, ओड़िशा, मध्यप्रदेश और बिहार के सैलानी आते हैं. इसका नामकरण नदी से हीरा मिलने के कारण हीरादह पड़ा. यह नागवंशी राजाओं का गढ़ है. इस इलाके का अनुसंधान हो, तो यहां से अभी भी हीरे मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. इस गढ़ में आज भी कई रहस्य छुपे हुए हैं. जिनसे अभी तक पर्दा नहीं उठा है. यहां 150 मीटर गहरा व 12 फीट का कुंड कई मायने में महत्वपूर्ण माना जाता है. जनश्रुति के अनुसार यहां नागवंशी राजाओं द्वारा हीरा की उत्पति की जाती थी. आज भी जिस कुंड से हीरा निकलता था. वह धार्मिक आस्था का केंद्र है. नागवंशी राजाओं के अंत के बाद यह स्थल वर्षो से गुमनाम रहा है. इस वजह से इलाके का सही तरीके से विकास नहीं हो सका है. नववर्ष में दूर दूर से सैलानी आते हैं और यहां के हसीन वादियों का लुत्फ उठाते हैं. रास्ता ठीक है. आसानी से पहुंच सकते हैं.
हीरादह में नदी का पत्थर काफी चिकना है. कई पत्थर के आकर मानव खोपड़ी जैसा दिखता है. अगर दूर से एकटक देखा जाये, तो मानव खोपड़ी ही लगता है. पत्थर में फिसलन है. इसलिए लोग संभलकर इसमें चलते हैं. कई पत्थरों की बनावट लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करता है. तरकी डूबा कुंड, जोड़ा कुंडा, नदी के बीच में सबसे ऊंचा पत्थर, पेरवां टुकू, दक्षिण भाग में विशाल दह, डेगाडेगी पवित्र स्थल, राजधर, कुरनी दह, बालाधर, डुबकी दह, तीलैइ दह, गाय लंघ दह, लक्ष्मणपांज, पेरवां घाघ, कई गुफाएं एक साथ, राम गुफा, सोरंगो रानी माता की मंदिर है. यह सब प्राचीन धरोहर है. इन सबके पीछे रहस्य है.
खतरनाक है कुंड, सावधानी बरते
हीरादह के कई कुंड खतरनाक है. थोड़ी सी चूक आपको कुंड में गिरा सकती है, जो आपके लिए खतरनाक साबित हो सकती है. इसलिए कुंड के आसपास घूमे तो सावधानी बरते. अगर कोई परेशानी हो तो नजदीक के थाना सुरसांग व रायडीह है. जहां आप संपर्क कर सकते हैं.
दूसरे जिले व राज्य से आने वाले सैलानी गुमला पहुंचे. एक दिन रूकना है तो गुमला में ठहर सकते हैं. यहां ठहरने के लिए कई होटल व रेस्टूरेंट है. गुमला में ठहरने के बाद सुबह आठ बजे निकले. दिनभर हीरादह घूमने के बाद पांच बजे शाम तक वापस लौट सकते हैं. उसी दिन लौटना है, तो समय का ख्याल रखते हुए हीरादह पहुंचे और उसी दिन लौट जाये.
हीरादह की दूरी
– गुमला से 35 किमी
– रांची से 130 किमी
– सिमडेगा से 40 किमी
– लोहरदगा से 85 किमी
रिपोर्ट : जगरनाथ पासवान, गुमला.