समुद्र तल से करीब 2200 फीट की ऊंचाई पर अवस्थित लोहरदगा जिला को प्रकृति ने अपने नैसर्गिक सौंदर्य से सजाया और संवारा है. ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक धरोहरों से परिपूर्ण होने के साथ-साथ यह जिला पुरातात्विक धरोहरों के कारण अपनी विशिष्ट पहचान रखता है. यहां की सुरम्य वादियां, वनाच्छादित पठारी झरना, खनिज पदार्थों से परिपूर्ण भूभाग, जनजातीय संस्कृति एवं लोक संगीत सदियों से सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना रहा है. यहां की शंख नदी और कोयल नदी कलकल करती अपनी मधुर आवाज से मन-मस्तिष्क को तनाव मुक्त कर देती है. केकरांग जलप्रपात, लावापानी जलप्रपात, निंदी जलप्रपात, धरधरिया जलप्रपात, चूल्हापानी जलप्रपात अपनी अनोखी छंटा से लोगों का मन मोह लेती है. जबकि बगडू, पाखर, सेरेंगदाग हिल, नंदिनी जलाशय अपनी सुंदरता के लिए पहचानी जाती है.
पिछले एक डेढ़ दशक पूर्व तक नक्सली गतिविधियों के कारण यह पूरा इलाका अशांत एवं अति संवेदनशील के रूप में जाने जाना लगा था. जिसके परिणाम रूवरूप पर्यटक इन मनोरम स्थलों में छुट्टियों के अवसरों तथा नये साल के मौके पर पिकनिक मनाने के लिए यहां जाने से कतराते लगे थे. लेकिन, लोहरदगा पुलिस द्वारा नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन डबल बूम अभियान ने कई उल्लेखनीय सफलता हासिल किए. इस दौरान कई हार्डकोर नक्सली अपने हथियार एवं समर्थकों के साथ आत्मसमर्पण किया. अब यह इलाका पूरी तरह शांत है. यही कारण है कि क्षेत्र के सभी पिकनिक स्पॉट पर सैलानियों की भीड़ उमड़ने लगी है. लोग बैखोफ होकर यहां घंटों समय गुजार रहे हैं. वहीं, पहले की अपेक्षा अब आवागमन भी सुगम हुआ है. पहाड़ों को काटकर जोड़ी सड़क का निर्माण किया गया है.
जिला मुख्यालय से 52 किमी दूर केकरांग-पेशरार होते हुए सड़क मार्ग से लावापानी पहुंचा जा सकता है. वन विभाग के इलाके में अवस्थित लावापानी जलप्रपात जहां लगभग नौ सौ फीट की ऊंचाई से समतली क्षेत्र में गिरता पानी मोतियों की तरह चमकता है. और यह दृश्य सैलानियों की आंखों को चकाचौंध कर देती है. लावापनी झरना जिला के पर्यटन स्थलों में महत्वपूर्ण स्थान माना जाता हैं. यहां पानी पहाड़ के सात चरणों में कलकल करते प्रवाहित होती है. वहीं इसके आसपास पठारी क्षेत्र व वनों से आच्छादित वृक्ष व रंग-बिरंगी पक्षियों को विचरण करते देख पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.
किस्को, कुडू और चंदवा के सीमावर्ती इलाके में अवस्थित चूल्हापानी जलप्रपात काफी ऊंचाई से नीचे गिरती है. जो पर्यटकों के लिए काफी मनोरम दृष्य होता है. वहीं इसके कुछ दूरी पर मसूरियाखाड़ झरना भी पर्यटकों को अपनी ओर खींचने को बाध्य कर देती है.
पेशरार प्रखंड के चापरोंग पंचायत में अवस्थित जोरी नदी का निंदी घाघ जलप्रपात लगभग साढ़े तीन सौ फीट की ऊंचाई से छलछल कर नीचे गिरता पानी पर्यटकों को खूब लुभाता है. यह स्थान आकर्षक व मनोरम पिकनिक स्पॉट के लिए अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है. यहां हर वर्ष नए साल के मौके पर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है.
जिला मुख्यालय से लगभग 15 किमी दूर किस्को प्रखंड में अवस्थित बगडृू हिल तथा 21 किलोमीटर दूर पाखर हिल बॉक्साइट माइंस इलाका जिले की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है. तथा अपने नसर्गिक सौंदर्य के कारण जिले का प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में पहचान स्थापित की है. माइंस से बॉक्साइट, चूना पत्थर, चाईन क्ले की प्रचूरता भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए है.
जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी दूर नेतरहाट पहाड़ी इलाके से सटा सेन्हा प्रखंड का सेरेंगदाग माइनिंग एरिया तथा वन संपदा से भरा भू-भाग एक रमणिक स्थल के रूप में अपनी पहचान स्थापित की है. यहां की मनोरम वादियां सैलानियों को खूब भाता है.
शहर से 25 किमी दूर सेन्हा प्रखंड में अवस्थित धरधरिया जलप्रपात सूबे के सर्वाधिक खूबसूरत जलप्रपातों में से एक है. सैकड़ों फीट की ऊंचाई से गिरता जलप्रपात लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. जलप्रपात के जंगली रास्ते एवं जीव-जंतुओं की प्रचूरता होने के बावजूद नववर्ष पर सैलानी यहां उमड़ते हैं. यहां सड़क मार्ग से अर्रू, हेसवे होते हुए जलप्रपात तक पहुंचने का रास्ता है.
शहर के बरवाटोली स्थित अजय उद्यान बच्चों के मनोरंजन का एक बेहतर विकल्प बन चुका है. नये साल के अलावा छुट्टियों के दिनों में अकसर बच्चे अजय उद्यान पहुंचकर घंटों समय गुजारते हैं. उद्यान में स्थापित विशाल दानव की प्रतिमा बच्चों को खूब लुभाता है. इसके अलावे अजगर, हाथी, झूला, मछली आकर्षण का केंद्र है.
रिपोर्ट : संजय कुमार, लोहरदगा.