बारिश के बाद झारखंड के सबसे ऊंचे जलप्रपात लोध फॉल का दिखने लगा रौद्र रूप, देखें तस्वीरें
झारखंड में बारिश के बाद कई जलप्रपातों की खूबसूरती बढ़ गई है. बात करें लोध फॉल की तो उसका रौद्र रूप एवं इसकी खूबसूरती चरम पर पहुंच गई है. लोध जलप्रपात (Lodh Waterfall), झारखंड के सबसे ऊंचे जलप्रपात में से एक है और इसकी सुंदरता देखने वालों को मोह लेती है.
लातेहार (महुआडांड़), वसीम अख्तर : लातेहार जिले का महुआडांड़ प्रखंड में पिछले 24 घंटे से हो रही लागातर बारिश के कारण झारखंड के सबसे ऊंचे जलप्रपात ( Highest waterfall of Jharkhand ) लोध फॉल का रौद्र रूप एवं इसकी खूबसूरती चरम पर पहुंच गई है. (Lodh Waterfall) वहीं, स्थानीय पर्यटक की भीड़ बारिश के दौरान जुटने लगी है. बता दें कि यह जलप्रपात झारखंड राज्य के पर्यटन स्थलों में से एक है और हर साल लाखों टूरिस्ट यहां आकर अपनी यात्रा का आनंद लेते हैं.
महुआडांड़ प्रखंड मुख्यालय से 17 किमी दूर पक्षिम के पठार क्षेत्र में स्थित राज्य का प्रसिद्ध लोध जलप्रपात की प्राकृतिक सौंदर्यता काफी अनुपम है. 143 मीटर ऊंचाई से बूढ़ा नदी का पानी झरने के रूप में जब सीधे पहाड़ के चट्टान से नीचे गिरता है. तब इसका विहंगम दृश्य इतना मनोरम होता है कि लोग पहुंचने लगते हैं, तब उन्हें यहां से जाने का मन नहीं करता. मूसलाधार बारिश होती है तो जलप्रपात की खूबसूरती अधिक बढ़ जाती है.
वैसे तो लोध फॉल को देखने नवंबर से फरवरी माह तक पर्यटको की भारी भीड़ यहां पहुंचती है, जिसमें बंगाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ ओडिशा के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों से भी पर्यटक आते हैं. इसकी खूबसूरती का दीदार करते हैं.
यहां बंगाल के पर्यटकों की सबसे अधिक भीड़ लगती है. लोध फॉल आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर यहां व्यापक व्यवस्था की गई है. इको विकास समिति की टीम के द्वारा यहां सुरक्षा की कमान संभाली जाती है. तैराक टीम भी तैनात रहते है, साथ झारखंड टूरिज्म द्वारा बहाल किये कर्मी भी तैनात होते है, वह भी किसी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहते हैं.
लोध फॉल पहुंचने के लिए सड़क मार्ग एकमात्र रास्ता है. महुआडांड़ से लोध फॉल तक बेहतरीन सड़क बनाये गए हैं. रांची से इसकी दूरी लगभग 217 किमी है.
वही रांची- घाघरा- बनारी के रास्ते से महुआडांड़ होते हुए पहुंचा जा सकता है. मेदिनीनगर-लातेहार- महुआडांड़ के रास्ते भी पहुंच सकते है.
लातेहार जिला मुख्यालय से इसकी दूरी लगभग 120 किलोमीटर है. वहीं लोध फॉल के अलावा प्रखंड में स्थित अन्य फॉल की खूबसूरती भी बारिश के बाद लोगों को लुभाने लगी है.