झारखंड शिक्षक के ब्लैकबोर्ड मॉडल को बंगाल के टीचर ने चुराया, सीएम हेमंत सोरेन ने दिया कार्रवाई का निर्देश
झारखंड की उपराजधानी दुमका के शिक्षक डॉ सपन कुमार के ब्लैकबोर्ड मॉडल की चोरी हो गई. मॉडल की चोरी करने वाला बंगाल का एक शिक्षक है. इसी मॉडल के नाम पर बंगाल का शिक्षक ग्लोबल टीचर प्राइज के लिए नॉमिनेट हुआ. डॉ सपन ने सीएम से मुलाकर कर उन्हें मामले से अवगत कराया. सीएम ने कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त झारखंड के शिक्षक डॉ सपन कुमार के ब्लैक बोर्ड मॉडल की चोरी हो गई है. बंगाल के एक शिक्षक ने मॉडल का नकल करते हुए वर्की फाउंडेशन की ओर से आयोजित ग्लोबल टीचर प्राइज के लिए इस मॉडल के नाम पर नॉमिनेशन किया है. सोमवार को दुमका में मुख्यमंत्री से मिलकर शिक्षक डॉ सपन कुमार ने लिखित तौर इस मामले से झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अवगत कराया. मुख्यमंत्री ने मौके पर उपलब्ध संबंधित विभाग के पदाधिकारी को इस संबंध में कार्रवाई करने का निर्देश दिया. बते दें कि यूनेस्को और वर्की फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किए जाने वाला ग्लोबल टीचर प्राइज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है. इसके लिए एक मिलियन डॉलर पुरस्कार की राशि निर्धारित है.
मालूम हो कि झारखंड प्रदेश के दुमका जिला के जरमुंडी प्रखंड के आदिवासी बहुत क्षेत्र में 2020 में कोरोना काल में बच्चों को पढ़ाने के लिए गांव के गलियों में मिट्टी के दीवारों पर अनोखे तरीके से ब्लैकबोर्ड बना कर पढ़ाने का काम शिक्षक डॉक्टर सपन कुमार ने किया था. ब्लैकबोर्ड मॉडल का नकल बंगाल के शिक्षक दीप नारायण नायक ने ग्लोबल टीचर प्राइज के लिए किया है.
वर्की फाउंडेशन, यूनेस्को द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्तर के ग्लोबल टीचर प्राइज में टॉप 10 में भारत के बंगाल के शिक्षक दीप नारायण नायक का चयन किया गया है. दीप नारायण नायक ने ब्लैकबोर्ड मॉडल को अपना मॉडल बता कर सबमिट किया है. जबकि दुनिया भर में कोरोना काल में सबसे पहले ब्लैकबोर्ड मॉडल की शुरुआत डॉ सपन कुमार ने अप्रैल 2020 में की थी. इसको लेकर झारखंड के आदिवासी समाज के लोगों और शिक्षकों में काफी आक्रोश है.
इस संबंध में अपनी आपत्ति दर्ज करते हुए डॉ सपन कुमार ने कहा कि बंगाल के शिक्षक ने साल 2021 में ब्लैक बोर्ड मॉडल की शुरुआत की थी, जबकि उन्होंने 2020 में झारखंड में इसकी शुरुआत कर दी थी. उन्होंने कहा कि उनके पढ़ाने के तरीके का अनुकरण दुनिया के सभी जगह पर किया जा सकता है, किंतु इस मॉडल के लिए उनका और उनके गांव समाज के लोगों का भी नाम एवं सहमति होना चाहिए, जिन्होंने मूल रूप से इस मॉडल की शुरुआत की है.
डॉ सपन ने कहा कि बंगाल के शिक्षक दीप नारायण नायक ने ग्लोबल टीचर प्राइज के लिए अपना नाम सबमिट किया है. ब्लैकबोर्ड मॉडल की शुरुआत कोरोना काल में दुनिया भर में मेरे द्वारा की गई थी. इस तरीके से बच्चों को कोई भी पढ़ा सकते हैं, किंतु पढ़ाने के लिए किसी भी तरह का शुल्क या पुरस्कार प्राइज नहीं ले सकता है. इस संबंध में दुमका के न्यायालय में वर्ष 2020 में ही हमारे द्वारा रजिस्टर कराया गया.
डॉ सपन कुमार ने यूनेस्को, वर्की फाउंडेशन, प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय, शिक्षा मंत्रालय एवं मीडिया सहित संबंधित सभी स्थानों पर इस संबंध में सूचना देकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में हमारे ब्लैक बोर्ड मॉडल की प्रशंसा सबसे पहले दुमका के डीसी, झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री और नीति आयोग ने किया.
2021 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में भी डॉ सपन के इस मॉडल की प्रशंसा की थी. डुमरथर गांव के प्रधान रामबिलास मुर्मू ने कहा कि इस मॉडल की शुरुआत हमारे विद्यालय के शिक्षक डॉ सपन कुमार और समुदाय के लोगों ने मिलकर किया था. बंगाल के शिक्षक द्वारा हम लोगों के कामों की चोरी की गई है. प्रधान ने कहा कि उनके द्वारा हमलोगों के काम को अपना काम बताना एवं हमलोगों का जिक्र नहीं करना कानूनन अपराध है.
आदिवासी गांव के लोगों और विद्यालय के विद्यार्थियों ने भी यूनेस्को एवं वर्की फाउंडेशन से इस संबंध में कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए नकल करने वाले शिक्षक पर कार्रवाई करने का आग्रह किया है.