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PHOTOS: JMM के झारखंड दिवस में 1932 के खतियान आधरित स्थानीयता की उठी मांग, 47 राजनीतिक प्रस्ताव पारित

झामुमो का 44वां झारखंड दिवस दुमका के गांधी मैदान में आयोजित हुआ. इस मौके पर गुरुजी शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन समेत कई दिग्गत सभा में उपस्थित थे. इस दौरान जहां 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता को लागू करने की मांग उठी, वहीं 47 राजनीतिक प्रस्ताव भी पारित हुए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 2, 2023 11:06 PM
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झामुमो का 44वां झारखंड दिवस

कोरोना काल के बाद दो फरवरी, 2023 को प्रमंडलस्तर पर उपराजधानी दुमका में झारखंड मुक्ति मोरचा का 44वां झारखंड दिवस समारोह का आयोजन हुआ. इस मौके पर दिशोम गुरु शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री सह झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन समेत पार्टी के कई दिग्गज नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए. इस दौरान 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता घोषित करने, उपराजधानी दुमका में हाईकोर्ट की खंडपीठ स्थापित करने समेत 47 सूत्री प्रस्ताव पारित कर सरकार की कार्यसूची में प्राथमिकता से शामिल करने की मांग की गयी.

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एसपी कॉलेज से निकली रैली

सबसे पहले एसपी कॉलेज मैदान से रैली निकाली गयी, जिसकी अगुवाई राजमहल सांसद विजय हांसदा, दुमका विधायक बसंत सोरेन और लिट्टीपाड़ा विधायक दिनेश विलियम मरांडी ने किया. हजारों की भीड़ मांदर-तमाक के साथ चल रही थी. कई लोगों के हाथों में तीर-धनुष एवं पार्टी के झंडे थे. रैली जब एसपी कॉलेज परिसर से बाहर निकली, तो पूरा रास्ता हरे रंग के झंडे से पटा हुआ था. रैली की भीड़ के बीच में डीजे पर देशभक्ति गीत बज रहे थे, तो हिरणपुर, पाकुड़ और काठीकुंड से आये कलाकारों के जत्थे भीड़ के बीच-बीच में जगह बनाकर नाचते-गाते गांधी मैदान की ओर बढ़ रहे थे. पोखरा चौक पहुंचने पर सांसद विजय हांसदा, दुमका विधायक बसंत सोरेन और लिट्टीपाड़ा विधायक दिनेश विलियम मरांडी ने संताल हूल के अमर नायक सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. यहां कार्यकर्ताओं ने पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन और कार्यकारी अध्यक्ष सह सीएम हेमंत सोरेन के नाम के जयकारे भी लगाये. उसके बाद रैली में शामिल भीड़ टीन बाजार-मेन रोड होते हुए वीर कुंवर सिंह चौक्, अमर शहीद तिलका मांझी चौक होते हुए गांधी मैदान पहुंची. संताल परगना के विभिन्न जिलों से आये कलाकारों की टोली ने कार्यक्रम के आरंभिक दौर में अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर समां बांधने का काम किया.

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झारखंड दिवस के बारे में जानें

झारखंड मुक्ति मोरचा ने दो फरवरी, 1978 में अलग झारखंड राज्य की स्थापना के लिए दुमका में पहली सभा की थी. उस साल से हर बार झारखंड मुक्ति मोरचा इस मंच से प्रस्ताव पारित कर सरकार तक अपनी बात पहुंचाती रही है. सत्ता में रहने के बावजूद भी झामुमो ने अपनी इस परिपाटी को नहीं बदला, बल्कि सरकार को मंच से मांगों से जुड़े प्रस्ताव पारित कर इसे सरकार की कार्यसूची में प्राथमिकता के आधार पर दर्ज करने की मांग करता रहा. कई मांगें इन चार दशकों में पूरी भी हुईं, पर कई मांग चिरलंबित है. इस साल भी प्रमंडलीय संयोजक सह झामुमो के केंद्रीय महासचिव विजय कुमार सिंह ने सभा का संचालन करते हुए इन प्रस्तावों को पढ़ा तथा मंचासीन नेताओं और खचाखच भरे गांधी मैदान में समर्थकों की भीड़ ने हाथ उठाकर इन प्रस्तावों पर मुहर लगाया.

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झामुमो का 44वां झारखंड दिवस पर पारित किये गये प्रस्ताव

1. 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता नीति घोषित की जाए

2. संताल परगना कास्तकारी अधिनियम एवं छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम को सख्ती से लागू किया जाए

3. संताल परगना प्रमंडलीय मुख्यालय दुमका में बिहार राज्य पुर्नगठन विधेयक 2000 की धारा 25 (9) का अवलोकन करते हुए उच्च न्यायालय खंडपीठ की स्थापना की जाए

4. दुमका जिला में ओबीसी के आरक्षण को पूर्ण रूप से लागू किया जाए

5. पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से गांव का विकास करना सुनिश्चित किया जाए

6. झारखंड क्षेत्र के सभी विद्यालयों में संताली, बंगला तथा अन्य सभी क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई शुरू की जाए

7. झारखंड में तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के पद को पूर्णरूपेण स्थायी निवासी (जमाबंदी रैयतों) के वंशजों के लिए आरक्षित किया जाए

8. दुमका में अविलंब कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना किया जाए

9. किसानों को आधुनिक तरीके से कृषि करने हेतु अच्छे किस्म के बीज कृषि उपकरण तथा सिचाई की समुचित व्यवस्था की जाय तथा कृषि को उद्योग का दर्जा दिया जाए

10. झारखंड क्षेत्र में स्पष्ट विस्थापन एवं पुनर्वास नीति बनायी जाये तथा विस्थापितों को सरकारी तथा गैर सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने के साथ पुनर्वास की व्यवस्था की जाए

11. अल्पसंख्यक वित्त निगम का शीघ्र गठन हो

12. झारखंड क्षेत्र में पूर्णरूपेण नशाबन्दी लागू की जाए

13. झारखंड क्षेत्र में वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त की जाए

14. झारखंड क्षेत्र में जंगलों की सुरक्षा एवं संवर्धन करते हुए ग्रामीणों की भागीदारी सुनिश्चित की जाये तथा ग्राम वन प्रबंधन एवं संरक्षण समिति को सशक्त किया जाए

15. झारखंड क्षेत्र में पलायन की समस्या को देखते हुए रोजगार मुहैया कराने की समुचित व्यवस्था की जाये तथा लंबित केंद्रीय योजनाओं में मनरेगा को सख्ती से लागू किया जाए.

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16. दुमका को पूर्णरूपेन उपराजधानी का दर्जा दिया जाए

17. दुमका में अविलंब मिनी सचिवालय का निर्माण किया जाए

18. ग्राम प्रधानों की मानदेय राशि का बढ़ोतरी की जाए

19. संताल परगना प्रमंडल मुख्यालय दुमका में स्पोर्टस कॉम्पलेक्स का निर्माण अविलंब कराया जाए

20. कृषकों को खेती के लिए 365 दिन पानी खेतों के लिए उपलब्ध करायी जाय तथा मार्केटिंग की व्यवस्था की जाए

21. सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाए

22. दुमका को महानगरों से सीधी रेल सेवा से जोड़ा जाए

23. राज्य में महिलाओं के अधिकार, मान-सम्मान एवं सुरक्षा सुनिश्चित की जाए

24. कोल इंडिया एवं डीवीसी समेत सभी पीएसयू कंपनियों के मुख्यालय झारखंड लायी जाए

25. ग्राम शिक्षा समिति तथा ग्राम स्वास्थ समिति को सशक्त एवं पारदर्शी बनायी जाए

26. झारखंड में मदरसा बोर्ड का गठन किया जाय तथा आलिम एवं फाजिल डिग्री का सरकारी नियुक्तियों में बराबर कि मान्यता दी जाए

27. झारखंड में अल्पसंख्यकों की माली हालत को देखते हुए शिक्षा की समुचित व्यवस्था की जाए

28. रैयतों को खनिजों में मालिकाना हिस्सेदारी दी जाए

29. झारखंड राज्य में ओड़िसा के साथ-साथ संताली, मुंडारी, हो, कुटुम्ब, खोरठा,अंगिका, सादरी, कुरमाली एवं अन्य स्थानीय भाषाओं को भी द्वितीय राजभाषा का सम्मान दिया जाए

30. झारखंड राज्य के आंदोलनकारियों के लम्बित आवेदनों को अविलम्ब सम्पादित की जाय तथा स्वतंत्रता सेनानी की दर्जा दिया जाय एवं पेंशन की राशि बढ़ायी जाए.

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31. गोड्डा सुंदर जलाशय योजना को सिंचाई हेतु अविलंब चालू किया जाए

32. संताल परगना प्रमंडल में क्षेत्रीय प्राधिकार का गठन किया जाए

33. झारखंड क्षेत्र के प्रत्येक पंचायत में उप स्वास्थ्य केन्द्र को नियमित करे तथा पेयजल की समुचित व्यवस्था की जाए

34. झारखंड में हड़पी गयी जमीन वापस करने का विधि संगत प्रक्रिया प्रारंभ की जाए

35. झारखंड क्षेत्र के चासा जाति में एकरूपता कायम करते हुए पिछड़ी जाति का दर्जा दी जाए

36. पुनासी जलाशय योजना से विस्थापित रैयतों को उचित मुआवजा दिया जाये एवं उनके पुनर्वास की व्यवस्था करते हुए अविलम्ब पुनासी जलाशय योजना को चालू की जाए

37. साहेबगंज में खासमहल की व्यवस्था को समाप्त की जाए

38. मलुटी (शिकारीपाड़ा), मसानजोर, हिजला, तातलोई, भालसुमर, शुमेश्वरनाथ, नुनवील, सिरसा, दानीनाथ, चुटोनाथ, पाण्डेश्वरनाथ तथा मडपा को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाए

39. सोहराय, बंदना एवं टूसू को राजकीय पर्व घोषित किया जाए

40. दुमका में उड्डयन प्रशिक्षण केन्द्र (फ्लाईंग अकादमी) को बड़े पैमाने पर चालू किया जाए

41. राज्य में खेल नीति लागू की जाये एवं खेल विश्वविद्यालय की स्थापना की जाए

42. झारखंड की ग्राम सभा को सशक्त एवं पारदर्शी बनाया जाय तथा ग्राम प्रधान, गुडैत के अधिकारों में छेड़छाड़ बंद किया जाए

43. झारखंड राज्य में जल नीति बनायी जाए

44. वनाधिकार कानून को शक्ति से लागू किया जाय तथा ग्राम सभा के शक्ति को बरकरार रखी जाए

45. जल पंचायत को सशक्त एवं पारदर्शी बनाया जाय एवं नदियों का संरक्षण किया जाए

46. हिजला मेला को पर्यटनस्थल घोषित करते हुए राष्ट्रीय मेला का दर्जा दिया जाए और

47. सीएए एवं एनआरसी को झारखंड क्षेत्र में पुर्णरूपेन खारिज किया जाए.

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केंद्र अपने नेताओं को भेज रही, गुमराह न होइए : राज्यसभा सांसद महुआ मांझी

राज्यसभा सांसद महुआ मांझी ने कहा कि जनता के संघर्ष की बदौलत यह सरकार बनी है और उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप यह सरकार काम कर रही है. भारतीय जनता पार्टी झारखंडियों की हितैषी नही है. इसलिए जनता ने उन्हें सत्ता से हटाया और आज फिर से वह सत्ता हासिल करने के लिए हथकंडे अपना रही है. उनके केंद्रीय नेताओं का बार-बार दौरा हो रहा है. केंद्र सरकार इसलिए सरना धर्मकोड को लागू नहीं कर रही है, क्योंकि वह जानती है कि सरना धर्मकोड लागू होगा, तो जय श्री राम का वे नारा नहीं लगा सकेंगे. 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति को लेकर केंद्र के इशारे पर राज्यपाल परेशान कर रहे है. भाजपा ने हेमंत सोरेन की लोकप्रिय सरकार को गिराने-अपदस्थ करने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन विफल रही. अपने घोटाले सामने आने पर आज भाजपा शांत हो गयी है. महुआ मांझी ने कहा कि केंद्र सरकार अपने नेताओं को झारखंड भेजती रहेगी, लेकिन गुमराह न हों. उनका प्रयास कभी सफल नहीं होगा. महिलायें झारखंड में ज्यादा है. उन्हें अपनी सरकार को बचानी होगी. हमारे यहां खनिज संपदा की प्रचुरता है, हमारा झारखंड समृद्धि के मामले में पीछे नहीं रहेगा और झारखंड को समृद्ध बनाने का काम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ही कर सकते हैं.

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