Kashi Vishwanath Corridor: दुनियाभर के लिए काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर स्वच्छता की आदर्श छवि पेश करने जा रहा है. अब, काशी आने वाले भक्तों को बाबा विश्वनाथ धाम की तसवीर देखने को मिलेगी. काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर महात्मा गांधी ने भी अपने अनुभव साझा किए थे.
बीएचयू में अपने संबोधन में महात्मा गांधी ने कहा था कि इस महान मंदिर में कोई अजनबी आए तो हिंदुओं के बारे में उसकी क्या सोच होगी और तब जब वो हमारी निंदा करेगा, क्या वो जायज नहीं होगा? क्या इस मंदिर की हालत हमारे चरित्र को प्रतिबिंबित नहीं करता? एक हिंदू होने के नाते मैं जो महसूस करता हूं, वही कह रहा हूं.
महात्मा गांधी ने कहा था कि अगर हमारे मंदिरों की हालत आदर्श नहीं हैं तो फिर अपने स्व-शासन के मॉडल को हम कैसे गलतियों से बचा पाएंगे? जब अपनी खुशी से या बाध्य होकर अंग्रेज यहां से चले जाएंगे तो इसकी क्या गारंटी है कि हमारे मंदिर एकाएक पवित्रता, स्वच्छता और शांति के प्रतिरूप बन जाएंगे?
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पीड़ा को पीएम नरेंद्र मोदी ने समाप्त करने का काम किया है. काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की एक अलौकिक छवि हमारे पर्यटकों के मन मस्तिष्क में स्थापित होगी. काशी को धर्म और आध्यात्म की नगरी कहा जाता है. यहां आने वाले लोगों में काशी की पहचान एक धार्मिक दृश्य के रूप में बनी है.
काशी जैसी भव्य जगह में गंदगी और अव्यवस्था का अंबार देखकर मन खिन्न होना स्वभाविक है. इसी पीड़ा को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने उद्बोधन में व्यक्त किया था. महात्मा गांधी को 4 फरवरी 1916 को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करना था.
एक दिन पहले महात्मा गांधी काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन करने गए थे. इससे पहले 1903 में भी वो काशी विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए आए थे.
13 साल बाद भी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र की तंग गलियों में गंदगी देख वो बुरी तरह नाराज हुए थे. बापू की नाराजगी अगले दिन बीएचयू में सार्वजनिक हुई थी. काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साथ ही 105 साल पहले महात्मा गांधी की नाराजगी दूर होने जा रही है.
54,000 वर्गफीट क्षेत्रफल में बनाए गए श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के साफ-सफाई की अत्याधुनिक व्यवस्था की गई है. इस वजह से धाम क्षेत्र और उसके आसपास दूर-दूर तक गंदगी का नहीं होगी.
(रिपोर्ट:- विपिन सिंह, वाराणसी)