Maa Katyayani Aarti: नवरात्रि के छठे दिन पढ़े ये आरती, बरसेगी मां अम्बे की कृपा

नवरात्र की षष्ठी तिथि को मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की पूजा की जाती है. माता की उपासना से सुंदर रूप-काया और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि पूजा के दौरान अगर ये आरती नहीं पढ़ी तो पूजा अधूरी रह जाती है.

By Meenakshi Rai | October 19, 2023 4:39 PM
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नवरात्रि के छठवें दिन कात्यायनी देवी की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जानी चाहिए. मां कात्यायनी की पूजा से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है.

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मां दुर्गा के छठवें रूप की पूजा से राहु और कालसर्प दोष से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती हैं.

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कात्यायनी देवी की आरती

जय जय अंबे जय कात्यायनी ।

जय जगमाता जग की महारानी ।।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा ।।

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कई नाम हैं कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।

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हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की ।।

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झूठे मोह से छुड़ानेवाली।

अपना नाम जपानेवाली।।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।।

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हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी ।।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

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ओम देवी कात्यायन्यै नमः॥

एत्तते वदनम साओमयम् लोचन त्रय भूषितम।

पातु नः सर्वभितिभ्य, कात्यायनी नमोस्तुते।।

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मां कात्यायनी का रूप: माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं,इनका स्वरुप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है. इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला है.

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शेर पर सवार माँ कात्यायनी की चार भुजाएं हैं,इनके बायें हाथ में कमल और तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक व आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है. भगवान कृष्ण को पाने के लिए व्रज की गोपियों ने इन्ही की पूजा कालिंदी नदी के तट पर की थी. ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. इस दिन साधक का मन ‘आज्ञा चक्र’ में स्थित होता है.

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