गुमला का परमवीर अलबर्ट एक्का स्टेडियम का मैदान अब खेलने लायक नहीं रह गया है. ग्राउंड में लोहे के कील सहित पत्थर का चूर्ण भरा पड़ा है. इससे खिलाड़ी अभ्यास के दौरान घायल होते रहते हैं. ग्राउंड में दौड़ने के लिए न ट्रैक है, न फुटबॉल खेलने लायक ग्राउंड है. मेंटनेंस में हर साल लाखों रुपये खर्च होते हैं. बावजूद इसके खिलाड़ियों को बेहतर ग्राउंड नहीं मिल रहा है.
खेल को बढ़ावा देने के लिए रंका (गढ़वा) में आउटडोर और इंडोर स्टेडियम का निर्माण कराया गया, लेकिन दोनों स्टेडियमों का इस्तेमाल निजी फायदे के लिए हो रहा है़ आउटडोर स्टेडियम में फील्ड नहीं है. इसमें तिल की खेती हो रही है. स्टेडियम में आजतक कोई खेल नहीं हुआ. पूर्व विधायक गिरिनाथ सिंह ने खेल को बढ़ावा देने के लिए दोनों स्टेडियमों का निर्माण कराया था.
गुमला जिला हॉकी खेल की नर्सरी है. 2005 में हॉकी खेल को बढ़ावा देने के लिए कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग झारखंड सरकार द्वारा संत इग्नासियुस हाइस्कूल की कुछ जमीन लेकर उसमें एस्ट्रोटर्फ (हॉकी ग्राउंड) लगवाया गया, परंतु सिर्फ ग्राउंड बना कर छोड़ दिया गया. यह एस्ट्रोटर्फ हॉलैंड से मंगवाया गया. लेकिन पानी छिड़कने (स्प्रिंकलर) की व्यवस्था नहीं रहने के कारण एस्ट्रोटर्फ उखड़ गये हैं.
सरकार ने सभी प्रखंड मुख्यालय में स्टेडियम का निर्माण शुरू किया लेकिन कहीं भूमि विवाद तो कहीं पदाधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण स्टेडियम का निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है. हंटरगंज प्रखंड में स्टेडियम का निर्माण 2009-10 में डुमरी कॉलेज के समीप कराया गया था. इसका निर्माण 39 लाख की लागत से किया गया था. हालांकि इस स्टेडियम का उद्घाटन आज तक नहीं हो पाया.
कभी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल मैच खेले जानेवाले हजारीबाग कर्जन ग्राउंड अब खिलाड़ियों के प्रैक्टिस करने के लायक भी नहीं है. इस मैदान ने अंतरराष्ट्रीय एथलीट अरविंद पन्ना, सरोज लकड़ा, कामेश्वर रविदास, रॉबर्ट कुजूर जैसे खिलाड़ी दिये.
लोहरदगा शहरी क्षेत्र के कॉलेज रोड स्थित ललित नारायण स्टेडियम की बदहाली से युवा परेशान हैं. एलएन स्टेडियम के मुख्य द्वार से लेकर अंदर मैदान तक जल-जमाव और गंदे पानी के बहाव से मॉर्निंग वॉक, एक्सरसाइज सहित खेल के आयोजन परेशानी होती है. एक समय था, जब यह स्टेडियम युवाओं का भविष्य संवारने का काम करता था.
दो प्रखंडों में बनाये गये खेल स्टेडियम खंडहर में तब्दील हो गये, जबकि खेल मैदान पशुओं का चारागाह बन गया है. वर्ष 2005-06 में खेल विभाग द्वारा स्टेडियम और खेल मैदान बनाने का निर्णय लिया गया था.