पलामू, सैकत चटर्जी : पलामू जिले के मेदिनीनगर में गुरुवार (11 अप्रैल) को तीन-तीन उत्सव मनाए गए. मुस्लिम समुदाय ने ईद का त्योहार मनाया, तो आदिवासियों ने सरहुल पर्व. इन दोनों पर्वों के बीच मारवाड़ी समाज की सुहागिन महिलाओं एवं कुंवारी कन्या ने गणगौर पूजा में भाग लिया.
मेदिनीनगर शहर के गणपति धर्मशाला में मारवाड़ी युवा मंच एवं प्रेरणा शाखा के तत्वावधान में गणगौर पूजा का आयोजन किया गया. विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए गणगौर पूजा करतीं हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखतीं हैं.
डालटेनगंज शहर के जामा मस्जिद, छोटी मस्जिद, नूरी मस्जिद सहित कई मस्जिदों में ईद की नमाज पढ़ी गयी. इस दौरान सबसे अधिक भीड़ जामा मस्जिद में देखी गई.
मस्जिदों और ईदगाहों में बच्चे बेहद उत्साहित थे. मस्जिदों में नमाज खत्म होते ही बच्चे दौड़कर बाहर निकले और एक-दूसरे से गले मिले. ईद की मुबारकबाद दी.
बुजुर्गों ने युवा और बच्चों को गले लगाकर ईद की बधाई दी. बच्चों को ईदी भी दी. बड़ी मस्जिद में नमाज पढ़ने वालों की अच्छी-खासी भीड़ देखी गई.
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बड़ी मस्जिद में एक परिवार एक ही रंग के परिधान में नजर आया. बुजुर्ग, युवा और बच्चों के परिधान का रंग एक ही था. यहां आने वाले सभी नमाजियों ने इस परिवार के साथ तस्वीर खिंचवाई.
सभी ईदगाहों में दिव्यांग नमाजियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी. दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए कुर्सी का इंतजाम था. इन लोगों ने कुर्सियों पर बैठक नमाज अदा की.
जीएलए कॉलेज स्थित अखड़ा में सरहुल हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. पाहन ने रीति-रिवाज से पूजा करवाई. उपवास रखने वाले श्रद्धालुओं ने पूजा अनुष्ठान में भाग लिया.
आयोजन के दौरान पूजा समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रो कैलाश उरांव ने सरहुल के महत्व पर प्रकाश डाला. पूजा के बाद लोग सरहुल गीत पर जमकर नाचे. विभ्भिन्न आदिवासी छात्रावास की लड़कियां नृत्य में शामिल हुईं.
सरहुल पूजा के दौरान पारंपरिक वेशभूषा में पहुंचीं महिलाएं आकर्षण का केंद्र थीं. जीएलए कॉलेज अखड़ा के अलावा चियांकी, चैनपुर में भी सरहुल का आयोजन किया गया. सरहुल का जुलूस शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरा.