Shardiya Navratri 2023 : स्थायी दुर्गा मन्दिरों में परदा लगाना है शास्त्र के विरुद्ध

Shardiya Navratri 2023 : शारदीय नवरात्र में लोग देवी मन्दिरों में या पंडाल लगाकर या अपने घरों में कलश स्थापित कर बहुत उत्साह से नवरात्र की पूजा कर रहे हैं . लेकिन क्या आपको पता है कि स्थायी देवी मन्दिरों में पट नहीं लगाना चाहिए.

By Meenakshi Rai | October 15, 2023 6:03 PM
undefined
Shardiya navratri 2023 : स्थायी दुर्गा मन्दिरों में परदा लगाना है शास्त्र के विरुद्ध 5

Shardiya Navratri 2023 : नवरात्रि के दौरान कई जगहों पर एक गलतफहमी फैल रही है, कि इस दौरान स्थायी दुर्गामन्दिरों में भी छह दिनों तक परदा लगा देते हैं. पं. भवनाथ झा के अनुसार यह शास्त्र के विरुद्ध है. नवरात्र में तीन प्रकार की पूजा होती है.

  • पंडाल लगाकर मिट्टी की मूर्ति की स्थापना होती है और उस मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है

  • देवी मन्दिरों में जहाँ मूर्ति स्थायी रूप से अनेक वर्षों से स्थापित हैं और सालों भर वहाँ पूजा होती है

  • अपने घरों में फोटो रखकर कलश स्थापित कर.

इन तीनों प्रकार की पूजा में विधि-विधान में अंतर है. खासकर स्थायी मन्दिर की पूजा तथा पंडाल की पूजा में बहुत अंतर है. पंडाल वाली पूजा में कलश स्थापित होने के दिन से षष्टी तिथि तक देवी की मूर्ति का दर्शन नहीं करना चाहिए आगे से परदा लगा दिया जाना चाहिए.

Shardiya navratri 2023 : स्थायी दुर्गा मन्दिरों में परदा लगाना है शास्त्र के विरुद्ध 6

क्यों लगाते हैं मूर्ति के आगे परदा : कलशस्थापना के दिन से लेकर षष्ठी तक मूर्ति निर्माण का दिन होता है. मूर्तियाँ इन दिनों में अधूरी रहती है.यदि हम पूरी मूर्ति खरीदकर भी लाते हैं तो भी उसमें प्राणप्रतिष्ठा नहीं हुई रहती है. इस प्राण-प्रतिष्ठा को पट खोलना या आँख प्रदान करना कहते हैं. यह कार्य सप्तमी तिथि को होती है. अतः आधी अधूरी और बिना प्राण-प्रतिष्ठा की हुई मूर्ति का दर्शन न कर केवल स्थापित कलश का दर्शन करने का विधान है. इतने दिनों तक केवल कलश पर पूजा होती है. इसलिए मूर्ति के आगे परदा लगा देने का विधान अस्थायी पंडालों के लिए है.

Shardiya navratri 2023 : स्थायी दुर्गा मन्दिरों में परदा लगाना है शास्त्र के विरुद्ध 7

स्थायी देवी मन्दिरों में पट नहीं लगाना चाहिए : स्थायी देवी मन्दिरों में न तो मूर्ति अधूरी है, न बिना प्राणप्रतिष्ठा की मूर्ति होती है। इसलिए वहाँ सप्तमी के दिन आँख भी नहीं नहीं दिया जाता है, क्योंकि देवी की आँखें तो स्थापित मूर्ति में पहले से है। इन मूर्तियों का न तो विसर्जन होता न ही स्थापना होती है। इसलिए ऐसी मूर्तियों का दर्शन तो हर दिन होना ही चाहिए। स्थायी मन्दिरों की यह अपनी गरिमा होती है.

Shardiya navratri 2023 : स्थायी दुर्गा मन्दिरों में परदा लगाना है शास्त्र के विरुद्ध 8

फोटो पर भी पट न लगावें : ऐसी सूचना मिली है कि लोग पंडाल वाली पूजा की नकल करते हुए फोटो के ऊपर भी छह दिनों तक परदा लगा देते है. इसकी भी कोई आवश्यकता नहीं है. वहाँ भी तो देवी माँ का चित्र पहले से ही पूर्ण है.

Also Read: Shardiya Navratri 2023 : ऐसे करें मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा, 9 दिनों में जानें 9 रंगों का महत्व
Exit mobile version