साल 2022 का आखिरी सूर्यग्रहण मंगलवार की शाम बोकारो में 04.41 से 05.22 के बीच लगा. इससे 12 घंटे पहले ग्रहण का सूतक काल शुरू हुआ. सूतक काल के कारण सेक्टर वन स्थित श्रीराम मंदिर, सेक्टर चार स्थित जगन्नाथ मंदिर सहित बोकारो-चास के मंदिरों के कपाट मंगलवार को दिनभर बंद रहे. शाम 05.22 बजे के बाद ग्रहण समाप्ति पर साफ-सफाई होने के बाद ही मंदिरों के पट खुले. भगवान का दर्शन व पूजा-अर्चना शुरू हुई. ग्रहण काल में शुभ कार्यों पर बेक्र लगा रहा. खाना-पीने पर भी प्रतिबंध रहा.
श्रीराम मंदिर के ज्योतिषाचार्य पंडित शिव कुमार शास्त्री के अनुसार, सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने के 12 घंटे पहले से लग जाता है और ग्रहण समाप्त होने के साथ ही समाप्त होता है. मुख्य रूप से सूर्यग्रहण का सूतक काल वही मान्य होता है, जहां पर सूर्यग्रहण दिखाई देता है. इस बार सूर्यग्रहण भारत के कुछ हिस्सों में दिखा. इसलिए यहां सूतक काल मान्य हुआ. सूर्यग्रहण खंड सूर्यग्रहण रहा. सूतक के दौरान मूर्ति पूजा निषेध है. यही नहीं इस दौरान खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालकर रखे जाते हैं.
दिवाली के अगले दिन यानी मंगलवार की शाम साल का दूसरा सूर्यग्रहण खंड सूर्य ग्रहण लगा. इसका असर भारत में भी देखने को मिला. बोकारो में सूर्य ग्रहण शाम 04.41 बजे से 05.22 बजे तक रहा. इसलिए दिवाली की अगली सुबह ग्रहण के सूतक काल में शुरू हुई. पंचांग के अनुसार, इस साल 2022 में कुल चार ग्रहण लगेंगे. इसमें दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण हैं. पहला सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लग चुका है. साल का दूसरा सूर्य ग्रहण मंगलवार को लगा, जो साल का आखिरी सूर्य ग्रहण था. यह सूर्यग्रहण आंशिक था.
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रहण शुरू होने से लगभग 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है. इस दौरान मंदिर के कपाट बंद होने के साथ पूजा-पाठ जैसे कोई भी कार्य नहीं किये जाते हैं. ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए. इस दौरान कुछ भी काटना या सिलना नहीं चाहिए. माना जाता है कि गर्भवती को इस दौरान चाकू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ग्रहण के दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिये. नंगी आंखों से सूर्य को नहीं देखना चाहिए. लोगों ने इन नियमों का पालन किया.
रिपोर्ट : सुनील तिवारी, बोकारो.