उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों का CCTV वीडियो आया सामने, देखें, पिछले 10 दिनों से कैसे कर रहे सर्वाइव?
मलबे को आर-पार भेदकर डाली गयी छह इंच व्यास वाली पाइपलाइन के जरिए सोमवार रात को श्रमिकों तक खिचड़ी भेजी गयी. खिचड़ी को चौड़े मुंह वाली प्लास्टिक की बोतलों में पैक कर श्रमिकों तक पहुंचाया गया.
उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में पिछले 10 दिन से 41 मजदूर फंसे हुए हैं, जिन्हें बचाने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इस बीच सुरंग में फंसे मजदूरों के सुरक्षित होने को लेकर अच्छी खबर सामने आई. सुरंग में फंसे मजदूरों को पहला सीसीटीवी फुटेज सामने आया, जिसमें सभी मजदूर स्वस्थ्य लग रहे हैं.
एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी कैमरा के जरिए मजदूरों का वीडियो आया सामने
छह इंच की पाइपलाइन के जरिए खिचड़ी भेजने के कुछ घंटों बाद बचावकर्मियों ने मंगलवार तड़के उन तक एक कैमरा (एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी कैमरा) भेजा और उनके सकुशल होने का पहला वीडियो जारी किया. आधिकारिक सूत्रों द्वारा उपलब्ध इस वीडियो में श्रमिक सुरंग में एक साथ खड़े और एक-दूसरे से बात करते दिखाई दे रहे हैं.
#WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Rescue team officials establish audio-visual contact with the workers trapped in the tunnel for the first time, through the pipeline and endoscopic flexi camera.
— ANI (@ANI) November 21, 2023
(Video Source: District Information Officer) pic.twitter.com/JKtAtHQtN4
छह इंच वाली पाइपलाइन के जरिए मजदूरों तक पहुंचाई गई खिचड़ी
मलबे को आर-पार भेदकर डाली गयी छह इंच व्यास वाली पाइपलाइन के जरिए सोमवार रात को श्रमिकों तक खिचड़ी भेजी गयी. खिचड़ी को चौड़े मुंह वाली प्लास्टिक की बोतलों में पैक कर श्रमिकों तक पहुंचाया गया. सुरंग में चलाए जा रहे बचाव अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि इस पाइपलाइन से दलिया, खिचड़ी, कटे हुए सेब और केले भेजे जा सकते हैं.
श्रमिकों से उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछने वाले चिकित्सक प्रेम पोखरियाल ने बचावकर्मियों को सलाह दी है कि मंगलवार को उन्हें भोजन में मूंग दाल की खिचड़ी भेजी जाए जिसमें सोया बड़ी और मटर शामिल हों. इसके अलावा उन्होंने केला भेजने की भी सलाह दी है.
वॉकी-टॉकी से हुई मजदूरों से बात
बचाव अभियान में जुटे सुरक्षा कर्मचारी निपू कुमार ने कहा कि संचार स्थापित करने के लिए पाइप लाइन में एक वॉकी-टॉकी और दो चार्जर भी भेजे गए हैं. वॉकी-टॉकी की मदद से मजदूरों से बात भी हुई है.
अमेरिकन ऑगर मशीन से मजदूरों को निकाला जाएगा बाहर
श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए कई दिशाओं से किए जा रहे प्रयासों के तहत भारतीय वायुसेना ने एक सी-17 और दो सी-130जे सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान से 36 टन वजनी मशीनें पहुंचा दी हैं. इस बीच, सूत्रों ने बताया कि सिलक्यारा सुरंग की ओर से अमेरिकन ऑगर मशीन से ‘निकलने का रास्ता’ बनाने का कार्य फिर शुरू होने वाला है. दिल्ली से आई अभियांत्रिकी टीम ने शुक्रवार दोपहर किसी कठोर सतह से टकराने के बाद रुकी इस मशीन के कलपुर्जे बदल दिए हैं.