100 years of RSS : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने स्थापना के शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर गया और अगले साल विजयादशमी के अवसर पर यह संगठन अपने 100 वर्ष पूरे कर लेगा. इस विशेष अवसर पर मथुरा में संघ की कार्यकारी मंडल की बैठक आयोजित की गई है, जिसका आयोजन 25 और 26 अक्टूबर को किया गया है. कार्यकारी मंडल की यह बैठक बहुत ही खास है क्योंकि इस बैठक में संघ की स्थापना के 100 वर्ष पर चर्चा होगी. संघ को समझने की कोशिश होगी और भविष्य की नीति और रणनीति भी बनेगी.
प्रभात खबर के साथ बातचीत में झारखंड और बिहार के पूर्व क्षेत्र संचालक सिद्धनाथ जी ने कहा कि मथुरा में 25 और 26 अक्टूबर को जो बैठक आयोजित की जा रही है वह रूटीन वर्क है. यह मंथन शिविर नहीं बल्कि कार्यकारिणी की बैठक है, जो प्रतिवर्ष होती है. संघ के कार्यकारिणी की वर्ष में दो बार बैठक होती है एक मार्च के महीने में और दूसरी इसी समय होती है विजयादशमी के बाद. चूंकि हमारा शताब्दी वर्ष शुरू हो गया है इसलिए इस बैठक में इस बात पर जरूर चर्चा होगी कि अबतक हम कहां पहुंचे और आगे कहां जाना है.
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शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन के लिए काम करेगा आरएसएस
संघ अपने शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन के लिए काम करेगा जिसकी चर्चा मोहन भागवत ने की है, जो इस प्रकार हैं-1. सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण, स्व आधारित जीवन शैली और नागरिक कर्तव्य. साथ ही महर्षि दयानंद सरस्वती, भगवान बिरसा मुंडा, अहिल्यादेवी होलकर, रानी दुर्गावर्ती और अनुकूल चंद ठाकुर के सतसंग अभियानों पर भी चर्चा होगी. संघ समाज में शांति का भाव और परस्पर सौहार्द् के लिए भी काम करता रहेगा और इस मसले पर भी कार्यकारी मंडल की बैठक में चर्चा होगी.संघ के कार्यकारी मंडल की बैठक के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए सुनील आंबेकर जी ने बताया कि बैठक में विजयादशमी के अवसर पर सरसंघचालक मोहन भागवत ने जो विचार प्रस्तुत किए हैं उन्हें किस तरह साकार किया जाए, इसपर चर्चा होगी साथ ही देश के समसामयिक विषयों पर भी चर्चा होगी. साथ ही 2025 तक संघ के जो निर्धारित लक्ष्य हैं उन्हें पूरा करने पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा.
1925 में हुई थी संघ की स्थापना
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना 1925 में की गई थी. संघ को विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन के रूप में भी जाना जाता है. आरएसएस का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और उसके मूल्यों को संरक्षित करना है. 1925 में डाॅ हेडगेवार ने विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना की थी. संघ का मानना है कि राष्ट्र को एकजुट रखने के लिए धर्म को मजबूत करने की जरूरत है. तब से अबतक के सफर में संघ ने कई दौर देखा और आज यह एक मजबूत संगठन के रूप में पहचाना जाता है.
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