40 Years of Prabhat Khabar : जरमुंडी से हरिनारायण राय 2005 में पहली बार विधायक बने थे. जब वे पहली बार विधायक बने थे उस वक्त उनके पास कोई वाहन नहीं था और कुछ हजार रुपए ही नकद उनके पास थे, लेकिन कुछ ही साल में वे करोड़ों के मालिक बन गए और रांची सहित झारखंड के अन्य शहरों में मकान और जमीन खरीदे. उनपर यह आरोप भी लगा कि उन्होंने पहचान छिपाकर संपत्ति खरीदी. उनपर आय से अधिक संपत्ति होने का केस भी दर्ज हुआ और उन्हें सजा भी सुनाई गई. पढ़ें, उनकी संपत्ति के ब्यौरे से जुड़ी एक खास रिपोर्ट जो प्रभात खबर में 29 जून 2008 में प्रकाशित हुई थी.
26 जून 2008 : आमदनी 15.39 लाख, संपत्ति 30.18 करोड़!
हरिनारायण राय वर्ष 2005 में जरमुंडी से विधायक बने. फरवरी 2005 में उनके पास मात्र 40 हजार रुपए नकद थे. मार्च 2005 में राज्य के मंत्री बने. सवा तीन साल से वे मंत्री हैं. मंत्री के रूप में वेतन भत्ता आदि मिलाकर अबत उनकी कुल आमदनी 15.39 लाख रुपए हुई. वर्तमान में उनके पास जो ज्ञात संपत्ति है, उसका बाजार मूल्य लगभग 30.18 करोड़ रुपए है. झारखंड का यह एक मामूली नमूना है. राज्य में ऐसे मंत्री -अफसर भरे पड़े हैं. राज्य में व्यवस्था संविधान के पहरेदार हैं. राज्यपाल, मुख्यमंत्री, आयकर समेत केंद्र सरकार के कई विभाग इन्हें आम जनता को बताना पड़ेगा कि क्या देश में ताकतवर लोगों को भ्रष्टाचार-लूट की खुली छूट है? या फिर यह स्थिति क्यों है?
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झारखंड के ग्रामीण अभियंत्रण संगठन (आरईओ) नगर विकास व पर्यटन विभाग के मंत्री हरिनारायण राय सिर्फ सवा तीन साल में खपरैल से आलीशान मकान के मालिक बन गए हैं. जो सूचनाएं प्रभात खबर में छपी हैं या जो मंत्री की ज्ञात संपत्ति है, उसके अनुसार इस अवधि में उन्होंने करोड़ों की चल-अचल संपत्ति अर्जित की है. मंत्री जी की अज्ञात संपत्ति के ब्यौरा और विवरण भी काफी है. पर वह अज्ञात या सिर्फ चर्चा में है. इन सवा तीन वर्षों में जबसे वह मंत्री बने. उनकी कुल आमद (वेतन, भत्ता वगैरह) 15.39 लाख रुपए की हुई. मान लिया जाए कि उन्होंने खाने-पीने पर अपने इस वेतन (15.39 लाख) से एक धेला भी खर्च नहीं किया, तब भी वह 15.39 लाख से 30.18 करोड़ की संपत्ति कैसे खरीद सकते हैं?
फरवरी 2005 में सिर्फ 40 हजार नकद थे
हरिनारायण राय पहली बार वर्ष 2005 में विधायक बने. जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने फरवरी 2005 में नामांकन पत्र दाखिल किया. साथ ही अपनी संपत्ति की घोषणा भी की. फरवरी 2005 में उनके पास 40 हजार रुपए नकद, 1.25 लाख रुपए का निवेश एनएससी और जीवन बीमा आदि भी था. खेती योग्य 5.5 एकड़ जमीन और एक खपरैल मकान जिक्र घोषणा पत्र में था. चल-अचल संपत्ति के नाम पर उनकी पत्नी के पास सिर्फ 50 हजार रुपए के जेवरात थे. उनकी आमदनी आयकर देने के लायक भी नहीं थी, ना ही उनका परमानेंट एकाउंट ननबर (पैन) था.
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मार्च 2005 में वह मंत्री बने. उस वक्त से अबतक मंत्री के पद पर काबिज हैं. यह मान लिया जाए कि विधानसभा चुनाव में उन्होंने सिर्फ 40 हजार रुपए ही खर्च किए, तो भी मंत्री पद की शपथ लेते वक्त उनके पास फूटी कौड़ी भी नहीं रही होगी. मंत्री बनते वक्त वह 5.5 एकड़ कृषि योग्य जमीन और एक खपरैल घर के मालिक रहे होंगे, पर अब वह करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं.
…तो 15.39 लाख का मालिक होना चाहिए था
मार्च 2005 में मंत्री बनने के बाद से जून 2008 तक की अवधि में मंत्री हरिनारायण राय को 39 माह का वेतन-भत्ता मिला, जो 15.39 लाख रुपए होता है. मंत्री बनने के बाद से अबतक अगर उन्होंने अपने पारिवारिक सदस्यों के खाने-पीने, कपड़ा, दवा आदि की जरूरतें खेती से होनेवाली आमदनी से पूरी की हों, तो उन्हें 15.39 लाख रुपए का मालिक होना चाहिए था, पर वह अन्य स्रोतों से हुई आमदनी के सहारे करोड़ों के मालिक बन बैठे हैं.
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