दिल्ली की हवा हुई दमघोंटू, GRAP-4 लागू, जानिए कब लागू होता है ये प्लान
Air pollution in Delhi : दिल्ली की हवा इतनी जहरीली हो गई है कि आम आदमी को परेशानी हो रही है, तो बीमार और बच्चों की बात करना ही बेकार है. AQI का स्तर गंभीर हो जाने के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू कर दिया है. सरकारी प्रयासों से दिल्ली की हवा को साफ करने में कितनी सफलता मिलेगी, इसपर बात करने की जरूरत है. आम आदमी को भी समझना होगा कि आखिर किन वजहों से दिल्ली की हवा जहरीली हुई है और उससे कैसे बचा जा सकता है.
Air pollution in Delhi : दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति बहुत गंभीर हो गई है और AQI 500 हो गया है. दिल्ली की जहरीली हवा से बच्चों को बचाने के लिए 12वीं कक्षा तक स्कूलों को बंद कर दिया गया है. वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण 4 को लागू कर दिया है. इससे वायु प्रदूषण पर कितनी रोकथाम होगी और सांस लेना कितना मुनासिब होगा यह बड़ा सवाल, लेकिन इससे पहले यह जानना भी जरूरी है कि आखिर एक्यूआई होता क्या है और किस सीमा तक पहुंचने पर यह खतरनाक हो जाता है?
क्या होता है एक्यूआई (AQI) ?
वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स यह बताता है कि वायु कितनी साफ और स्वस्थ है और उसका इंसान के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा. वायु कितनी शुद्ध है इसका निर्धारण एक्यूआई के जरिए होता है. यानी एक्यूआई के जरिए वायु की गुणवत्ता को मापा जाता है. अब सवाल यह है कि वायु प्रदूषित कैसे होती है और उसकी वजह क्या है? इस सवाल का जवाब यह है कि हमारा वायुमंडल जिसमें हम रहते हैं वो मुख्यत: दो गैसों से बना है ऑक्सीजन और नाइट्रोजन. जब इनमें अन्य हानिकारक गैसों की मात्रा बढ़ जाती है तो वायु प्रदूषित हो जाता है. वायु प्रदूषण में AQI के जरिए वायुमंडल में मौजूद इन प्रदूषकों पर नजर रखी जाती है, ताकि पृथ्वीवासियों को बचाया जा सके.-
- पार्टिकुलेट मैटर (PM10)
- पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5)
- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2)
- सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)
- कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
- ओजोन (O3)
- अमोनिया (NH3)
- लेड (Pb)
वायु प्रदूषकों में पार्टिकुलेट मैटर हैं सबसे खतरनाक
पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियां नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर (PM) वायु में फैलाते हैं. इनमें पीएम 2.5 सबसे खतरनाक होता है क्योंकि यह आसानी से हमारे फेफड़ों तक पहुंचता है और परत के रूप में जमता जाता है, जिससे फेफड़े से संबंधित कई बीमारियां होती हैं. पीएम 10 और पीएम 2.5 हवा में मौजूद छोटे कण हैं, जो वायु के जरिए हमारे फेफड़ों तक जाते हैं. पीएम 2.5 वाहनों से निकलने वाले धुएं में शामिल होता है जबकि पीएम 10 निर्माण कार्य, जंगल की आग,औद्योगिक कार्य और धूल में शामिल होता है.
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कब वायु हो जाती है जहरीली
वायु में जब जहरीली गैस और पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो उसे खतरनाक माना जाता है. ये हैं एयर क्वालिटी की कैटेगरी-
GRAP क्या है?
दिल्ली में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी GRAP बनाया गया था. इस योजना को बढ़ते प्रदूषण के स्तर के आधार पर चरणों में लागू किया जाता है. अभी GRAP 4 लागू किया गया है, क्योंकि दिल्ली में घना कोहरा है और AQI 500 पहुंच गया है. स्थिति में सुधार के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं, मसलन अब दिल्ली में ट्रकों का प्रवेश रोका गया है, हालांकि आवश्यक वस्तुओं को लेकर आने वाले ट्रकों को नहीं रोका जाएगा. सीएनजी से चलने वाले और बीएस-4 वाहनों को भी दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी. दिल्ली में रजिस्टर्ड बीएस-IV और मध्यम और छोटे वाहन गाड़ियों को भी प्रवेश नहीं दिया जाएगा. निर्माण कार्य पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, जो राजमार्ग, फ्लाईओवर, सड़क और और विकास योजनाओं के लिए किए जा रहे थे. इसके साथ ही 12वीं तक स्कूलों को बंद किया गया है और राज्य एवं केंद्र सरकार के कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति दी जा सकती है.
नागरिक भी अपनी जिम्मेदारी समझें : पर्यावरणविद् सीमा जावेद
पर्यावरणविद् सीमा जावेद कहती हैं कि दिल्ली में आज जो स्थिति है उसके पीछे कई कारण हैं. जैसे सरकार ने प्रदूषण रोकने के लिए जो उपाय किए वो नाकाफी साबित हुए. दूसरे यह कि आम जनता अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं करती और हर चीज के लिए सरकार पर दोष मढ़ती है. अगर सरकार प्रदूषण रोकने के लिए प्रयास कर रही है तो जनता का यह फर्ज है कि वो भी उसमें शिरकत करे. दिल्ली जैसे बड़े शहर में वाहनों की बेतहाशा बढ़ती संख्या प्रदूषण के लिए बहुत जिम्मेदार है. सरकार ने पराली जलाने वालों को तो रोका, लेकिन एक ही घर में चार गाड़ी रखने वालों पर कोई रोक नहीं है. पर्यावरण थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट’ (CSE) की एक नई स्टडी में बताया गया है कि दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली जलाने की भूमिका आठ प्रतिशत है. वाहनों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण करीब 13 से 15 प्रतिशत तक है. साथ ही निर्माण कार्य और उद्योग भी बड़े पैमाने पर दिल्ली की हवा को प्रदूषित करते हैं.
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