पीवीसी पाइप के धंधे से बीजेपी के रणनीतिकार तक, जानें कैसा रहा है अमित शाह का सफर

Amit Shah Birthday : बीजेपी के रणनीतिकार अमित शाह का नाता एक व्यवसायी परिवार से था. अमित शाह ने बाॅयोकेमेस्ट्री में बीएसएसी किया और उसके बाद अपने पिता के कारोबार से जुड़ गए, लेकिन वे संघ से बचपन से ही जुड़े और यही उनके राजनीति में आने की वजह भी बना. पढ़ें, कैसे अमित शाह ने पीवीसी पाइप के कारोबार से गृहमंत्री तक का सफर तय किया.

By Rajneesh Anand | October 22, 2024 2:52 PM

Amit Shah Birthday : देश के गृहमंत्री और बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह का 22 अक्टूबर को जन्मदिन है. उन्हें जन्मदिन पर बधाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असाधारण प्रशासक बताया है. अमित शाह वो व्यक्ति हैं जिन्होंने बीजेपी को प्रचंड बहुमत तक पहुंचाया और प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण निर्णय किए जिसमें जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाना सर्वप्रमुख है. अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई में एक गुजराती परिवार में हुआ था, उनके दादा बड़ौदा स्टेट की छोटी रियासत मानसा के नगर सेठ थे. 

नगर सेठ था अमित शाह का परिवार

अमित शाह के दादा नगर सेठ थे, यानी उनका परिवार व्यवसायी था. अमित शाह के पिता अनिल चंद्र शाह मनसा के एक व्यवसायी थे, जिन्होंने पीवीसी पाइप का व्यवसाय किया और उनका बड़ा नाम था. अमित शाह ने अहमदाबाद से बाॅयोकेमेस्ट्री में बीएससी की डिग्री ली और फिर वे अपने पिता के कारोबार से जुड़ गए. हालांकि अमित शाह ने स्ट्राॅक ब्रोकर के रूप में भी काम किया था. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से उनका जुड़ाव बचपन से ही हो गया था और वे संघ की शाखाओं में जाते रहते थे. जब वे काॅलेज में पढ़ते थे, उसी दौरान उन्होंने अधिकारिक रूप से संघ से नाता जोड़ा और स्वयं सेवक बन गए.

कब हुई थी नरेंद्र मोदी और अमित शाह की मुलाकात

पीवीसी पाइप के धंधे से बीजेपी के रणनीतिकार तक, जानें कैसा रहा है अमित शाह का सफर 4

अमित शाह और पीएम मोदी की मुलाकात 1982 में संघ के कार्यक्रम में हुई थी. उसी समय से इनके संबंध बढ़ते गए. जिस वक्त अमित शाह और मोदी की मुलाकात हुई थी उस वक्त नरेंद्र मोदी संघ के प्रचारक थे और युवाओं के गतिविधियों के प्रभारी के रूप में काम कर रहे थे. रणनीति बनाने में एक सी सोच की वजह से दोनों साथ आए और 1987 के अहमदाबाद नगर निगम के चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई. पार्टी को मजबूत करने के लिए दोनों ने साथ मिलकर हर गली-मुहल्ले में पार्टी का पोस्टर और बैनर लगवाया. कई जगहों पर तो उन्होंने खुद भी पोस्टर चिपकाने का काम किया था. इन चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत मिली और इस जीत के साथ ही नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी चुनाव प्रबंधन में हिट मानी जाने लगी. चुनाव के वक्त मतदाताओं का मूड भांपने और उसके अनुसार रणनीति बनाने में इस जोड़ी को महारत हासिल थी जिसे पार्टी ने भी समझा और उसके अनुसार ही इन्हें दायित्व भी सौंपा गया.

Also Read : झारखंड की 31 विधानसभा सीटों पर महिला वोटर्स पुरुषों से ज्यादा, जानिए कैसे लुभा रही हैं पार्टियां

पाकिस्तान में छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म, सरकार कर रही इनकार, कानून को जानिए

कांग्रेस की ताकत को मिट्टी में मिलाने का संकल्प लिया

अमित शाह ने 1982 में स्वयं सेवक के रूप राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. 1983 में वे अखिल भारतीय युवा परिषद से जुड़े और 1987 में अहमदाबाद नगर निगम के चुनाव में बीजेपी को चुनाव जिताने में अहम भूमिका निभाई. उसके बाद वे सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए. 1991 में जब उन्हें लाल कृष्ण आडवाणी के साथ गांधीनगर में लगाया गया और वे उनके चुनाव प्रबंधन बने तो सबकी नजर उनपर गई. 1995 के गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने कांग्रेस को कमजोर करने के प्लान पर काम किया और ग्रामीण इलाकों में उन्हें कमजोर कर दिया. इसके लिए कांग्रेस के बड़े नेताओं को बीजेपी में शामिल किया गया. घाटे में चल रहे सहकारी बैंकों को मुनाफे में लाकर भी अमित शाह ने खूब वाहवाही बटोरी. इसके बाद उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई और 1997 में वे पहली बार सरखेज विधानसभा सीट से उपचुनाव में विधायक बने. 2001 में जब बीजेपी ने केशुभाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया तो यह जोड़ी और मजबूत हो गई. 2002 में वे गुजरात में मोदी मंत्रिमंडल के सबसे युवा मंत्री बने और उनके पास कुल 12 विभाग थे, जिनमें गृह, कानून और न्याय, जेल और सीमा सुरक्षा भी शामिल थे. गुजरात में धर्मांतरण रोकने के लिए उन्होंने कानून पारित कराया, जिसके बाद यहां धर्मांतरण कठिन हो गया.

राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ा अमित शाह का प्रभाव

पीवीसी पाइप के धंधे से बीजेपी के रणनीतिकार तक, जानें कैसा रहा है अमित शाह का सफर 5

2014 में जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को बीजेपी का पीएम कैंडिडेट घोषित कर दिया तो अमित शाह का दखल राष्ट्रीय राजनीति में भी बढ़ गया. उन्हें पार्टी के रणनीतिकार के रूप में जाना जाने लगा था. वे पार्टी के महासचिव बने और यूपी चुनाव का प्रभारी भी उन्हें बनाया गया. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में यूपी में जबरदस्त प्रदर्शन किया और 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल की. चुनाव में आरएसएस के स्वयं सेवकों का प्रयोग कर अमित शाह ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और एक मिसाल भी कायम की. 2014 में वे पार्टी के अध्यक्ष बने और पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित किया, जिसके सदस्य 100 मिलियन थे. 2019 में बीजेपी को जीत दिलाई और 303 सीटों पर जीत दर्ज किया और उन्हें केंद्रीय गृहमंत्री का पद मिला. अपने कार्यकाल में उन्होंने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को समाप्त किया. साथ ही पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का कानून भी लाया. 2024 के चुनाव में बीजेपी की ताकत जरूर कम हुई है, लेकिन गृहमंत्री के रूप में अमित शाह अभी भी उतने ही ताकतवर हैं और मोदी के साथ उनकी जोड़ी कायम है.

Also Read : जमीन, स्थानीयता नीति और सरना धर्म कोड होंगे झारखंड विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के मुद्दे

Next Article

Exit mobile version