Arvind Kejriwal : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शराब घोटाला मामले में जमानत मिलने के दूसरे दिन (15 सितंबर) यह घोषणा कर दी है कि वे मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे और दो दिन बाद यानी 17 सितंबर को पद से इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने यह कहा कि वे तबतक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे, जबतक जनता उन्हें ईमानदार ना मान ले. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मनीष सिसौदिया भी उप मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे, सीएम का चुनाव विधायक दल की बैठक में किया जाएगा. अरविंद केजरीवाल ने तत्काल दिल्ली में चुनाव कराने की मांग की है. अरविंद केजरीवाल लगभग छह महीने से जेल में थे और उस दौरान उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था, ऐसे में जेल से बाहर आते ही अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा क्यों दिया, यह बड़ा सवाल है?
अरविंद केजरीवाल जनता की अदालत में क्यों जाना चाहते हैं ?
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी 21 मार्च को हुई थी, उस वक्त वे मुख्यमंत्री थे और उन्होंने जेल जाने के बाद भी इस्तीफा नहीं दिया था, जिसकी वजह से दिल्ली सरकार के कामकाज को लेकर काफी चर्चाएं भी हुई थीं. चूंकि संविधान में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है कि किसी मामले में आरोपी होने और जेल जाने पर एक मुख्यमंत्री को क्या करना होगा, इसलिए अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा नहीं देने पर भी सरकार पर कोई संकट नहीं आया और अरविंद केजरीवाल जेल से ही शासन चलाते रहे. इन हालात में जब अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आए हैं, तो फिर वे क्यों इस्तीफा देने की घोषणा कर रहे हैं? इसके पीछे के वजह क्या है? दरअसल अरविंद केजरीवाल अपने दामन पर लगे दाग को जनता के वोट से धुलवाना चाहते हैं, वे जनता की अदालत में जाकर यह साबित करना चाहते हैं कि चूंकि वे ईमानदार हैं, इसलिए जनता उन्हें अपना वोट दे रही है. आम आदमी पार्टी के मुख्यालय से उन्होंने आज जो भाषण दिया, उसका सार यही है.
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अरविंद केजरीवाल लगातार यह कहते रहे हैं कि अगर मैंने चोरी की है तो उसका कोई तो प्रमाण होगा, अगर मैंने पैसे लिये हैं, तो वो पैसे कहीं तो होंगे, चाहे नकद होंगे या मैंने कहीं इंवेस्ट किया होगा? वे कहते हैं मेरे खिलाफ झूठा केस बनाया गया है, इसलिए वे खुद को ईमानदार साबित करने के लिए जनता की अदालत में जाना चाहते हैं.
अरविंद केजरीवाल इस्तीफे की बात इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि पिछले कुछ दिनों से यह चर्चा हो रही थी दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है. बीजेपी विधायकों ने राष्ट्रपति से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा था और यह कहा था कि मुख्यमंत्री के जेल में रहने से कामकाज बाधित हो रहा है इसलिए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए. राष्ट्रपति ने ज्ञापन को गृहमंत्रालय के पास भेज दिया था. इसपर गृहमंत्रालय अपनी रिपोर्ट देगा. यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल जनता की अदालत में जाना चाह रहे हैं.
जनता की राय पहले भी मांगते रहे हैं अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने राजनीति की शुरुआत ही जनता की राय पर की थी. अरविंद केजरीवाल जब अन्ना आंदोलन से जुड़े थे, तो उन्होंने यह कहा था कि उनका मिशन भ्रष्टाचार के खिलाफ है, लेकिन 2012 में उन्होंने जनता की राय पर ही आम आदमी पार्टी बनाकर राजनीति में इंट्री की थी. अरविंद केजरीवाल ने हमेशा अपनी राजनीति से यह साबित करने की कोशिश की है कि वे जनता को सर्वोपरि मानते हैं और उनके लिए ही काम करते हैं. पार्टी का नाम भी उन्होंने जनता को ही समर्पित करते हुए बनाया है- आम आदमी पार्टी.
दिल्ली में फरवरी में होना है चुनाव
दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में पूरा होना है, 70 सदस्यीय विधानसभा में आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत प्राप्त है. आप के कुल 62 विधायक हैं, जबकि बीजेपी के आठ विधायक है. यह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दिल्ली में तीसरा कार्यकाल है. इससे पहले वे 2013 में पहली बार चुनाव जीते थे, लेकिन उस वक्त कांग्रेस के साथ उनका गठबंधन था. उस वक्त सरकार चल नहीं पाई थी. 2015 में अरविंद केजरीवाल ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई और 2020 में भी उन्हें पूर्ण बहुमत मिला.
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