रांची से 1700 किमी दूर बिरसा मुंडा के नाम पर है यह चौक, यहां झलकती है झारखंड की आदिवासियत
बिरसा मुंडा : धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा को कौन नहीं जानता है. लेकिन, क्या आप कल्पना कर सकते है कि रांची से करीब 1700 किलोमीटर की दूरी पर बिरसा मुंडा के नाम पर एक चौक है.
बिरसा मुंडा : धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा को कौन नहीं जानता है. लेकिन, क्या आप कल्पना कर सकते है कि रांची से करीब 1700 किलोमीटर की दूरी पर बिरसा मुंडा के नाम पर एक चौक है. उस चौक पर बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर कई कार्यक्रम भी होते है और शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि भी दी जाती है. आसपास के इलाके में झारखंड की आदिवासी संस्कृति झलकती है. जी हां, यह जगह कही और नहीं बल्कि महाराष्ट्र के ठाणे जिले के पालघर में स्थित है.
बिरसा मुंडा चौक में बहुत संख्या में रहते है आदिवासी
पालघर के मनोर इलाके में बिरसा मुंडा चौक स्थित है और वहां आए दिन कई तरह के आदिवासी संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इस चौक के आसपास के इलाकों में अच्छी तादाद में झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के आदिवासी रहते है, इसी वजह से यह नाम रखा गया है. ‘क्रांतिवीर बिरसा मुंडा चौक, चिंचोटी’ के नाम से प्रसिद्ध इस इलाके में कई ऐसे स्थल हैं, जहां आदिवासी प्रतीक चिन्हों को देखा जा सकता है.
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बिरसा मुंडा का शहादत दिवस आज
झारखंड के अलावा बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र इलाके में भी बिरसा मुंडा की प्रतिमाएं दिखेंगी. इन सभी जगहों पर बिरसा मुंडा के शहादत दिवस के मौके पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. झारखंड में भी आपको भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर कई स्टेडियम, चौक, दुकान, संग्रहालय समेत सार्वजनिक स्थल मिल जाएंगे.
बिरसा मुंडा के नाम पर कई स्मृति स्थल
झारखंड के अलावा भी कई ऐसे राज्य है जहां बिरसा मुंडा की स्थापित प्रतिमा और योजनाएं दिखेंगी. केवल आदिवासी समाज ही नहीं भारत के कई समुदाय और संस्कृति को मानने वाले लोग बिरसा मुंडा को अपनी प्रेरणा मानते है. ऐसे में आइए एक नजर डालते है झारखंड में मौजूद भगवान बिरसा मुंडा के कुछ प्रसिद्ध स्मृति स्थलों पर…
- बिरसा मुंडा स्मृति पार्क रांची
- बिरसा मुंडा का संग्रहालय
- रांची का बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम
- रांची का बिरसा मुंडा एथलेटिक्स स्टेडियम
- बिरसा मुंडा जैविक उद्यान
- बिरसा मुंडा एयरपोर्ट रांची
- बिरसा मुंडा कृषि विश्व विद्यालय
- बिरसा मुंडा एग्रो पार्क गुमला
- बिरसा मुंडा कॉलेज स्टेडियम
बिरसा मुंडा के नेतृत्व में 1889-1900 में उलगुलान आंदोलन
इन सबके अलावा जानकारी हो कि बिरसा मुंडा के नेतृत्व में 1889-1900 में उलगुलान आंदोलन हुआ था. जिसका मतलब होता है महाविद्रोह. इसकी शुरुआत सिंहभूम के संकरा गांव से हुई थी. यह विद्रोह सामंती व्यवस्था, जमींदारी प्रथा और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ था. बिरसा ने मुंडा आदिवासियों को जल, जंगल की रक्षा के लिए लोगों को प्रेरित किया. इसके लिए उन्होंने उलगुलान नाम से एक आंदोलन की शुरुआत की. यह अंग्रेजी शासन और मिशनरियों के खिलाफ था. जिसका मुख्य केंद्र खूंटी, तमाड़, सरवाडा और बंदगांव में थे. 25 साल की छोटी सी जिंदगी में बिरसा मुंडा ने कई ऐसे चमत्कारी काम किए, जिस वजह से उन्हें धरती आबा और भगवान के नाम से बुलाया जाने लगा.