न्यू इनकम टैक्स स्लैब से कितना और किसे होगा फायदा, जानें भारत और अमेरिका की कर प्रणाली में क्या है अंतर

Budget 2025 : मोदी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में 12 लाख की कमाई को टैक्स फ्री घोषित कर दिया है, इससे मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिली है. वहीं लोगों के मन में यह सवाल भी है कि अगर उनकी सैलरी 12 लाख से अधिक है, तो उन्हें कितना टैक्स देना पड़ेगा. साथ ही अमेरिका जैसे देश में कैसी है कर प्रणाली, समझने के लिए पढ़ें यह खास आलेख.

By Rajneesh Anand | February 1, 2025 5:16 PM
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Budget 2025 : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में नए टैक्स स्लैब की घोषणा करते हुए करदाताओं को बड़ी राहत दी है. मध्यम वर्ग पर कृपा बरसाते हुए वित्तमंत्री ने 12 लाख रुपए तक की आय पर 0 टैक्स की घोषणा कर दी है. इस घोषणा से वेतनभोगियों को बड़ी राहत मिलेगी. सरकार वेतनभोगियों पर ज्यादा मेहरबान है और उनके लिए 12 लाख 75 हजार तक की आय टैक्स फ्री है. उससे अधिक की आय पर टैक्स देना होगा.

कैसा है न्यू टैक्स रिजीम और किस दर से देना होगा टैक्स

सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम में बदलाव करते हुए इसे 12 लाख रुपए तक की आय तक टैक्स फ्री कर दिया है, पहले 7 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री थी. बजट में की गई घोषणा के अनुसार अब टैक्स स्लैब भी बदल गया है और टैक्स की दर भी. करदाता इस दुविधा में हैं कि इस नई टैक्स प्रणाली से उन्हें कितना लाभ होगा? अगर आप एक करदाता हैं और आपकी सलाना आय 12 लाख रुपये से अधिक है और आपकी आय पर टैक्स बनता है, तो ऐसा नहीं हैं कि अगर आपकी आय 14 लाख रुपए है, तो आपको महज दो लाख पर टैक्स देना होगा, बल्कि इसके लिए नए टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा. जो इस प्रकार है-

टैक्स स्लैब
0-4 लाख0%
4-8 लाख 5%
8-12 लाख 10%
12-16 लाख 15%
16-20 लाख 20%
20 -24 लाख 25%
24 लाख से अधिक की आय 30%

अब 24 लाख की आय पर लगेगा 30% टैक्स

पहले न्यू टैक्स रिजीम में 15 लाख की आय पर ही 30% की दर से कर लगता था, जो अब 24 लाख हो गया है. यानी करदाताओं को बड़ी राहत मिल रही है. 2024 के टैक्स रिजीम और 2025 के टैक्स रिजीम की तुलना करने पर करदाताओं को होने वाला लाभ स्पष्ट नजर आ रहा है.

यू टैक्‍स रिजीम (2024-25)  
0-3 लाख0
3-7 लाख5%
7-10 लाख10%
10-12 लाख15%
12-15 लाख20%
15 लाख से अधिक30%

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भारत और अमेरिका की टैक्स प्रणाली

भारत में न्यू टैक्स रिजीम आने के बाद कई लोगों के मन में यह सवाल भी है कि क्या अपने देश में जिस तरह आय पर कर लिया है, क्या उसी पैटर्न पर किसी और देश में भी टैक्स वसूला जाता है. इन सवालों का जवाब तलाशते हुए हम अमेरिका की कर प्रणाली से अगर हम चर्चा करें तो पाएंगे कि दोनों देशों में जो टैक्स प्रणाली है, वह एक दूसरे से काफी अलग है, हालांकि दोनों ही देश में प्रगतिशील कर प्रणाली (Progressive Tax System) लागू है,यहां फ्लैट टैक्स की कोई व्यवस्था नहीं है.

भारत और अमेरिका की कर प्रणाली में क्या है अंतर

भारत और अमेरिका दोनों ही जगह प्रगतिशील टैक्स स्लैब है, जिसमें अधिक आय वाले लोगों पर टैक्स लगाया जाता है. लेकिन दोनों देशों के स्लैब और छूट की संरचना में अंतर है. भारत में टैक्स स्लैब बहुत जल्दी उच्च स्तर पर पहुंच जाता है, जबकि अमेरिका में यह स्थिति नहीं है. वहां प्रतिवर्ष महंगाई के अनुसार टैक्स स्लैब को एडजस्ट किया जाता है. अमेरिका में विवाहित और अविवाहित के लिए भी टैक्स स्लैब अलग है. भारत में सोशल सिक्यूरिटी के लिए टैक्स नहीं देना पड़ता है, जबकि अमेरिका में इसपर टैक्स लगता है. भारत में आयु के आधार पर सीनियर सिटीजन को टैक्स में छूट मिलता है. भारत में टैक्स का ब्रैकेट 0% से 30% तक का है, जबकि अमेरिका में यह 10% से 37% तक होता है.

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