झारखंड की महिलाओं में सबसे ज्यादा स्तन कैंसर की शिकायत
Cancer Alert: महिलाओं में अब यह आम बीमारी बनती जा रही है, मगर सोचें तो यह उनकी जिंदगी खराब कर दे रही है. समय से पहचान हो जाने पर इसका निदान संभव है, पर कैंब्रिज विश्वविद्यालय के एक हालिया रिसर्च से डराने वाले आंकड़े सामने आए हैं. 50 वर्ष से कम आयु की जिन महिलाओं में एक बार स्तन कैंसर का इलाज हो चुका है, उनमें अन्य महिलाओं की तुलना में दूसरी बार कैंसर डेवलप होने की संभावना 86% बढ़ जाती है. 50 वर्ष से ऊपर की महिलाओं में दोबारा कैंसर होने की संभावना सामान्य महिलाओं की तुलना में 17% ज्यादा है. ब्रिटेन में किए गए रिसर्च को पूरी दुनिया के परिप्रेक्ष्य में जोड़कर देखा जा रहा है. भारत में इस तरह का कोई अध्ययन अभी तक सामने नहीं आया है. बड़े संस्थान और डॉक्टरों की मानें तो ऐसे मामले भारत में लगातार बढ़ रहे हैं और इसका कारण और बचाव के बारे में सब कुछ जानना जरूरी है. यह भी सामने आ रहा है कि जिन महिलाओं को एक बार कैंसर हो चुका है उनमें दूसरी बार अन्य स्वरूप में कैंसर होने की आशंका बढ़ रही है. इसलिए इस सिचुएशन के मद्देनजर लोगों को अपनी जीवन शैली में परिवर्तन लाना होगा, तभी वह इस तरह के हालात से बचे रह सकते हैं.
Cancer Alert: क्या था रिसर्च का आधार
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की रिसर्च टीम ने राष्ट्रीय कैंसर पंजीकरण डेटा सेट का उपयोग करके 1995 और 2019 के बीच 580000 से अधिक महिलाओं और 3500 से अधिक पुरुषों को अपने रिसर्च में शामिल किया था. यह वैसे महिला व पुरुष थे जिन्हें एक बार स्तन कैंसर हो चुका था और वह इलाज के बाद ठीक भी हो चुके थे. स्तन कैंसर से बचे लोगों के डेटा का विश्लेषण किया गया. उनके विश्लेषण के परिणाम लैंसेट में प्रकाशित हुआ। स्तन कैंसर ब्रिटेन में सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है. यूके में हर साल लगभग 56000 लोगों के स्तन कैंसर का इलाज किया जाता है, जिनमें आश्चर्यजनक रूप से 99% से ज्यादा महिलाएं ही होती हैं.0
Cancer Alert: रिस्क है बड़ा!- डा. राम एस उपाध्याय
इस बारे में जब हमने स्वीडन के मेडिकल साइंटिस्ट डॉ राम एस उपाध्याय से बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों के सबसे ज्यादा केसेज भारत में आने की आशंका है. इसके लिए कई ऐसे फैक्टर हैं, जो इसमें मुख्य रोल निभाते हैं. भारत में ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी महिलाओं और पुरुषों में भी सेकेंडरी कैंसर आने का रिस्क काफी बढ़ा है. इनमें सबसे बड़े जो तीन कारण हैं वो हैं लाइफस्टाइल, हेल्थ केयर एक्सेस और इंवॉयरमेंटल एक्सपोजर.
- लाइफस्टाइल: इसके अंदर कई फैक्टर होते हैं. इनमें सबसे बड़ा कारण सोशियोइकोनॉमिक फैक्टर होता है, जिससे लोग बड़ी संख्या में प्रभावित होते हैं.सबसे अधिक कैंसर की बीमारी से जूझने वाले मरीज ज्यादातर आर्थिक तंगी से गुजर रहे होते हैं. ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं के केस में बहुत बार तो उन्हें पता भी नहीं चल पाता है कि आखिर उन्हें हुआ क्या है. और पता चलने पर भी उनके आस पास का माहौल उन्हें सही तरीके से इलाज और सावधानी लेने में कई तरीके से बाधा पैदा करता है.
- हेल्थ केयर एक्सेस: हेल्थ केयर फैसिलिटी का एक्सेस ना होना भारत की बड़ी आबादी को प्रभावित करता है. कई महिलाएं ऐसी होती है जिन्हें कुछ पता ही नहीं होता है कि कब और कैसे अपना चेकअप कराना है. कैंसर अगर डायग्नोज भी हो जाए तो लोग अपनी आर्थिक स्थिति की वजह से इलाज शुरू करने में काफी वक्त लगा देते हैं, जिससे बीमारी लगातार बढ़ती जाती है. सही समय में जांच, सही इलाज और मरीज की सही देखभाल ना होना इसका बड़ा कारण है.
- इंवॉयरमेंटल एक्सपोजर: अनहेल्दी और अनहाइजिनिक तरीके से रहना इसकी एक बड़ी वजह है.
Cancer Alert: 10 वर्षों में 759 मरीज, औसत उम्र सीमा 49 वर्ष
झारखंड में स्तन कैंसर से संबंधित किसी प्रमाणिक डाटा की उपलब्धता नहीं है. विभिन्न जरिए से 2012 से 2022 तक कुल 759 मरीज मिले थे जो जिन में स्तन कैंसर के लक्षण व शिकायत पाई गई थी. इन मरीजों की औसत आयु 49 वर्ष थी. जिसमें 74.83% मामले 31 से 60 वर्ष की आयु के बीच थे. 365 मामलों में अधिकांश मरीज़ कैंसर के तीसरे स्टेज में थे. हार्मोन रिसेप्टर-पॉजिटिव रोगियों की कुल संख्या 384 (56.2%) थी, एचईआर2/न्यू पॉजिटिव रोगियों की संख्या 210 (30.7%) थी, और 184 मामलों (26.93%) में ट्रिपल-नेगेटिव स्तन कैंसर पाया गया था.
Cancer Alert: झारखंड में दुगनी रफ़्तार से मिल रहा है कैंसर के मरीज
देश में हर साल कैंसर के 11 लाख मरीजों के पाए जाने का आंकड़ा है, जिनमें से 7 लाख की मौत हो जाती है. झारखंड राज्य की बात करें तो हर साल 35000 नए मरीजों की पहचान होती है. इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है. कैंसर का इलाज करने वाले डॉक्टरों के मुताबिक झारखंड में पहले की अपेक्षा दुगनी रफ़्तार से कैंसर के नए मरीज मिल रहे हैं.
Cancer Alert: रिम्स समेत कई प्राइवेट संस्थानों में होता है कैंसर का इलाज
कैंसर के इलाज की बात करें तो झारखंड में अभी भी बहुत बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं है। यही वजह है कि मरीज कैंसर के इलाज के लिए राज्य से बाहर का रुख करते हैं. वैसे रांची में कैंसर के इलाज के लिए रिम्स में अंकोलॉजी विंग है. इसके अलावा प्राइवेट नर्सिंग होम में भी कैंसर के इलाज का दावा किया जाता है. निजी अस्पतालों में टीएमएच जमशेदपुर, इरबा स्थित क्यूरी कैंसर अस्पताल, कटहल मोड़ स्थित पांडेय सुरक्षणा कैंसर अस्पताल शामिल है.
Cancer Alert: सबसे ज्यादा माउथ कैंसर, महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत सबसे ज्यादा
2020 में दुनियाभर में ब्रेस्ट कैंसर के 23 लाख मामले सामने आए थे. ये कुल मामलों के 12 फीसदी से अधिक थे. ब्रेस्ट कैंसर सबसे ज्यादा होने वाले कैंसर की बीमारी है दूसरे नंबर पर लंग्स कैंसर का नंबर आता है. झारखंड में भी स्थिति इससे अलग नहीं है यहां महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले सबसे ज्यादा मिलने की बात डॉक्टरों के द्वारा बताई जाती है. ओवरऑल झारखंड में कैंसर की बात करें तो यहां माउथ कैंसर के पेशेंट ज्यादा मिलते हैं.
Cancer Alert: समय से लक्षण की पहचान नहीं, 50 फ़ीसदी मरीज के पास ही सर्जरी का अंतिम विकल्प
रिम्स के कैंसर विंग के आंकड़े का अध्ययन करने पर चौंकाने वाली सच्चाई सामने आती है. बताया जाता है कि कैंसर विंग के विभाग मेडिकल अंकोलॉजी, सर्जिकल अंकोलॉजी व रेडियोथैरेपी अंकोलाॅजी में प्रतिदिन 70 से 80 कैंसर मरीज इलाज कराने आते हैं. इसमें 30 फीसदी नये मरीज होते हैं. रिम्स में आने वाले कैंसर के मरीजों में 50 फीसदी गंभीर मरीजों के पास सर्जरी ही अंतिम विकल्प होता है. इसकी वजह यह है कि वह समय से कैंसर के लक्षणों को पहचान नहीं पाते और अस्पताल आने में देर कर देते हैं. वहीं 25 फीसदी को दवा और 25 फीसदी को रेडियोथैरेपी से इलाज किया जाता है.
Cancer Alert: ब्रेस्ट कैंसर की पहचान खुद से भी की जा सकती है
ब्रेस्ट कैंसर के संबंध में कहा जाता है कि यह भारत में तेजी से बढ़ता हुआ कैंसर है. यह सामान्य गांठ से शुरू होता है. ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग यह पहचान खुद से ही समय पर की जा सकती है. महिलाएं खुद ब्रेस्ट के आकार में हो रहे बदलाव पर ध्यान देना चाहिए. किसी तरह की गांठ की आशंका हो तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें. ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए पैप्समियर विधि अपनाई जाती है. कैंसर के 100 से अधिक प्रकार होते हैं. अधिकतर कैंसर का नाम अंग व कोशिकाओं के नाम के आधार पर रखा गया है. कैंसर में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ना शुरू हो जाती हैं. पिंपल नियंत्रण नहीं रह जाता और यह तेज गति से विभाजित होना शुरू हो जाती है संक्रमित कोशिकाएं स्वस्थ कोशिकाओं को भी अपनी चपेट में ले लेती हैं.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.